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Photograph: (the sootr)
UJJAIN. उज्जैन में महाकाल मंदिर विस्तार के लिए 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद जनवरी 2025 में तोड़ी गई। इस कार्रवाई को लेकर धार्मिक स्वतंत्रता, भूमि कानून व वक्फ नियमों के उल्लंघन की शिकायत सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सरकार ने इसे अतिक्रमण बताया है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा 200 साल पुरानी मस्जिद का मामला
उज्जैन के निजामुद्दीन कॉलोनी में स्थित तकिया मस्जिद को जनवरी 2025 में महाकाल मंदिर परिसर के विस्तार के लिए तोड़ा गया था। याचिका में मोहम्मद तैयब समेत कई लोगों ने राज्य सरकार पर धार्मिक स्वतंत्रता और भूमि कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया है। याचिककर्ताओं ने वक्फ संपत्ति पर बिना वक्फ बोर्ड की मंजूरी के विध्वंस को गैरकानूनी बताया है।
5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
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महाकाल मंदिर परिसर विस्तार को लेकर विवाद
महाकाल मंदिर क्षेत्र को 2.5 हेक्टेयर से बढ़ाकर 40 हेक्टेयर किया जा रहा है। विस्तार के दौरान 257 से अधिक घरों के साथ मस्जिद का भी तोड़फोड़ हुआ। मस्जिद पर 1985 की अधिसूचना में वक्फ बोर्ड का मालिकाना हक दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी गई कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में अनियमितताएं रहीं और वक्फ अधिनियम का पालन नहीं हुआ।
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एमपी सरकार का पक्ष साफ
मध्यप्रदेश सरकार का कहना है कि तकिया मस्जिद समेत अन्य मकान अवैध अतिक्रमण थे। मंदिर आने वाले दर्शनार्थियों के लिए जगह बनाए जाने के लिए कार्रवाई ज़रूरी थी। भूमि कब्जे का मामला विभागीय जांच के दायरे में रहा, सरकार ने कोर्ट में सभी प्रक्रिया कानून के मुताबिक होने की दलील दी।
वक्फ बोर्ड की स्वीकृति क्यों जरूरी थी?
मस्जिद को वक्फ संपत्ति मानते हुए बोर्ड की अनुमति लेना अनिवार्य है। वक्फ अधिनियम 1995 के तहत किसी भी वक्फ संपत्ति के हस्तांतरण या विध्वंस पर बोर्ड की स्वीकृति जरूरी है। याचिकाकर्ता मांग कर रहे हैं कि विध्वंस की जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई हो।
महाकाल मंदिर विस्तार, जनता और प्रशासन
महाकाल मंदिर विस्तारीकरण उज्जैन नगर और उसकी संस्कृति के लिए अहम माना जा रहा है। मंदिर परिसर को बड़ा करने पर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी। प्रशासन का दावा है कि कानून के मुताबिक ही सभी कदम उठाए जा रहे हैं।
विस्तार से जानिए- सुप्रीम कोर्ट में क्या चल रहा है?
सुप्रीम कोर्ट में याचिका के बाद मस्जिद विवाद पर सुनवाई शुरू हो गई है। याचिकाकर्ता धार्मिक अधिकार, संपत्ति अधिग्रहण में पारदर्शिता और विधि के उल्लंघन की जांच की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उज्जैन की धार्मिक, सांस्कृतिक और कानून व्यवस्था पर असर होगा।
मस्जिद मामले की टाइमलाइन
जनवरी 2025: तकिया मस्जिद विध्वंस
फरवरी 2025: स्थानीय समुदाय ने विरोध जताया
मार्च 2025: वक्फ बोर्ड ने शिकायत दर्ज की
नवंबर 2025: मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा
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महाकाल मंदिर का विस्तार क्यों
महाकालेश्वर मंदिर हिंदू धर्म में खास महत्व रखता है। मंदिर परिसर का बड़ा होना पर्यटन, श्रद्धालु व्यवस्था और शहर के विकास से जुड़ा है। प्रशासन का कहना है कि मंदिर का विस्तार उज्जैन की अर्थव्यवस्था और संस्कृति को भी मजबूती देगा।
सामाजिक प्रतिक्रिया
उज्जैन मस्जिद विवाद पर सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ वर्गों ने सरकार के पक्ष का समर्थन किया तो कुछ ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को लेकर आपत्ति जताई है।
सुप्रीम कोर्ट अपडेट: आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश आने के बाद उज्जैन प्रशासन और समुदायों की भूमिका तय होगी। न्यायालय के फैसले से धार्मिक अधिकार, भूमि कानून और प्रशासनिक दायित्व पर कई सवालों के जवाब मिलेंगे।
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