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महाकाल मंदिर नई व्यवस्था: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में आज (18 अगस्त) श्रावण-भाद्रपद मास का समापन बाबा की राजसी सवारी के साथ हो जाएगा।
इस विशेष काल में भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर के पट जल्दी खोल दिए जाते थे लेकिन अब मंगलवार, 19 अगस्त से मंदिर की दर्शन व्यवस्था में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं।
पिछले डेढ़ महीने से श्रावण-भाद्रपद मास में, रविवार को मंदिर के पट रात 2:30 बजे और बाकी दिनों में रात 3:00 बजे खुल रहे थे ताकि भस्म आरती में अधिक से अधिक श्रद्धालु शामिल हो सकें।
अब यह व्यवस्था वापस अपनी पुरानी परंपरा पर लौट रही है। मंगलवार से भगवान महाकाल अपने नियमित समय यानी तड़के 4 बजे जागेंगे और इसके बाद उनकी दैनिक भस्म आरती होगी।
यह बदलाव उन सभी भक्तों के लिए राहत लेकर आया है जो श्रावण मास की भीड़ और परिवर्तित समय के कारण दर्शन नहीं कर पा रहे थे।
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40 मंदिरों के दर्शन का रास्ता खुला
खबरों के मुताबिक, महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन परिसर में पिछले तीन महीनों से चल रहे निर्माण कार्यों और भीड़ प्रबंधन के चलते आम भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित था।
केवल 4 नंबर गेट से आने वाले श्रद्धालुओं को ही परिसर के कुछ मंदिरों में प्रवेश की अनुमति थी, जिससे अधिकांश भक्त परिसर में मौजूद 40 छोटे-बड़े मंदिरों के दर्शन से वंचित रह गए थे।
इनमें सिद्धि विनायक गणेश, साक्षी गोपाल जैसे महत्वपूर्ण मंदिर भी शामिल थे। ऐसे में मंदिर प्रशासन के इस फैसले से भक्तों और पुजारियों दोनों में खुशी की लहर है।
परिसर के मंदिरों के पुजारी भी काफी समय से इस व्यवस्था को बदलने की मांग कर रहे थे क्योंकि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ रहा था। अब 19 अगस्त से सभी श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर के सभी मार्ग खोल दिए जाएंगे।
इसका मतलब है कि भक्त अब न केवल मुख्य ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाएंगे, बल्कि परिसर में मौजूद सभी धार्मिक और पौराणिक मंदिरों का भी भ्रमण कर सकेंगे।
महत्वपूर्ण बदलाव
यह परिवर्तन न केवल भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उज्जैन की धार्मिक और पर्यटन अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत है। जब मंदिर के सभी मार्ग खुलेंगे, तो पुजारियों और आसपास के छोटे दुकानदारों को भी आर्थिक लाभ होगा, जिससे स्थानीय समुदाय को मदद मिलेगी। |
मंदिर प्रशासन की चुनौती
महाकाल मंदिर के विस्तार की योजना बनाते समय, अधिकारियों ने यह दावा किया था कि विकास कार्यों के बाद भीड़ प्रबंधन में कोई समस्या नहीं आएगी और मंदिर परिसर में कभी भी प्रवेश प्रतिबंधित नहीं करना पड़ेगा।
हालांकि, पिछले कुछ समय से देखने में आया है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों को अक्सर परिसर को बायपास करना पड़ता है, जिससे भक्तों को असुविधा होती है।
आलोचकों का मानना है कि मंदिर प्रशासन के पास भीड़ नियंत्रण की कोई पुख्ता और स्थायी योजना नहीं है। वे केवल भीड़ को दूसरी तरफ मोड़कर तात्कालिक समाधान करते हैं, जिससे भक्तों को परिसर के 40 मंदिरों के दर्शन का लाभ नहीं मिल पाता।
इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि मंदिर प्रशासन भीड़ को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर पाएगा और सभी भक्तों को सुचारु रूप से दर्शन करने का मौका मिलेगा।
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Mahakaal Darshan