उज्जैन नगरी 2028 में होने वाले महाकुंभ की तैयारियों में जुट गई है। प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि सिंहस्थ 2028 से पहले क्षिप्रा नदी को साफ और निर्मल कर दिया जाएगा। इसके लिए एक मेगा प्लान बनाया गया है। प्लान के अंतर्गत अब दूषित कान्हा नदी को शहर से बाहर निकालने की परियोजना बनाई गई है। इससे क्षिप्रा में कान्हा का पानी मिलने से वह दूषित नहीं होगी।
अंडरग्राउंड टनल में जाएगी कान्हा
दूषित कान्हा नदी को उज्जैन से बाहर निकालने की परियोजना बनाई गई है। इस योजना के तहत कान्हा के पानी को 28.5 किमी के बैराज ( barrage ) बनाकर शहर से बाहर निकाला जाएगा। पानी अंडरग्राउंड टनल में से होते हुए शहर से बाहर निकलेगा। इस पानी को स्वच्छ करने के लिए इंदौर, उज्जैन, सांवरे और देवास शहरों में ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जा रहे हैं।
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480 करोड़ की लागत का प्रोजेक्ट
अंडरग्राउंड टनल के जरिए कान्हा का पानी उज्जैन से बाहर निकालने का प्रोजेक्ट 480 करोड़ का है। इसे लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले मंजूर कर लिया गया था। प्रोजेक्ट को 42 महीनों में पूरा करने का टारगेट है। कान्हा नदी को स्वच्छ करने वाले डक्ट्स की पानी जमा करने की क्षमता 40,000 लीटर प्रति घंटा होगी। यह डक्ट जमीन से 13 मीटर अंदर होंगे। इस परियोजना के जरिए क्षिप्रा की सफाई का कार्य पूरा होगा।
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14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान
उज्जैन में महाकुंभ का आयोजन 2028 में है। यह आयोजन 12 साल में एक बार होता है। 2028 महाकुंभ में 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इसकी तैयारी के लिए वर्तमान में 18,840 करोड़ रुपए की 523 परियोजनाएं प्रस्तावित है। इसमें क्षिप्रा नदी की सफाई प्राथमिकता है। इसके अलावा उज्जैन शहर में बुनियादी सुविधाएं, श्रद्धालुओं के रुकने का इंतजाम, सड़कों का ट्रैफिक जैसे कई इंतजामों पर कार्य किया जा रहा है। सीएम मोहन यादव स्वयं पूरे काम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उज्जैन महाकुंभ भक्त गणोंं के लिए तैयार किया जा रहा है।
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