BHOPAL.उज्जैन में हर साल मई में भक्तों की गहरी आस्था देखने को मिलती है। दरअसल हर साल यहां के पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर से 118 किलोमीटर की पंचकोशी यात्रा शुरू होती है। पंचकोशी यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। वहीं इस यात्रा में भगवान नागचंद्रेश्वर को एक नारियल चढ़ाकर भगवान से बल लेकर यात्री 118 किलोमीटर की यात्रा शुरू करते हैं। पंचकोशी यात्रा इस बार 3 मई से शुरू हो रही है। साथ ही इसका समापन 7 मई को किया जाएगा। आइए जानते हैं इस यात्रा के बारे में…
कहां से शुरू होती है यात्रा
उज्जैन की पंचकोशी यात्रा की शुरुआत नागचंद्रेश्वर मंदिर से होती है। यहां श्रद्धालु भगवान को नारियल अर्पित कर यात्रा अच्छी तरह से पूरी करने के लिए बल मांगते हैं। यहीं से पैदल यात्रा की शुरुआत की जाती है। यात्रा पूरी करने के बाद श्रद्धालु भोलेनाथ को घोड़े चढ़ाकर बल वापस लौटा देते हैं।
किन-किन जगहों के करते हैं दर्शन
इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु उज्जैन के 118 किलोमीटर के दायरे में स्थित शिव मंदिरों के दर्शन करते हैं। हालांकि ये यात्रा 5 कोस की होती है। इस यात्रा में 5 पड़ाव होते हैं। पहले पर पिंगलेश्वर, दूसरा कायावरोहणेश्वर, तीसरा विल्वेश्वर, चौथा दुर्धरेश्वर और पांचवा नीलकंठेश्वर। इन सभी जगह पर पूजा अर्चना कर अंतिम में शिप्रा स्नान कर यात्री अपनी यात्रा खत्म करते हैं।
क्यों की जाती है पंचक्रोशी यात्रा
दरअसल स्कंद पुराण में बताया गया है कि वैशाख माह में भगवान विष्णु की आराधना करने से पुण्य फल मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान जल दान और कुंभ दान का पौराणिक महत्व होता है।हर कोई गंगा परिक्रमा नहीं कर पाता है, इसलिए पंचकोशी यात्रा के जरिए 5 कोस की यात्रा की जाती है।
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एक दिन में कितना चलते हैं श्रद्धालु
यात्रा के दौरान यात्री प्रतिदिन 20 से 25 किलोमीटर रोज पैदल चलते हैं। यात्रा में शामिल श्रद्धालु सुबह और शाम के समय पैदल चलते हैं और दोपहर में गर्मी अधिक होने की वजह से विश्राम करते हैं।