असंवैधानिक तो फिर किसके आदेश पर हुई DGP सुधीर सक्सेना की सलामी परेड

मध्य प्रदेश के डीजीपी सुधीर सक्सेना शनिवार को रिटायर हो गए। स्पेशल डीजी शैलेश सिंह ने पत्र लिखकर नियम विरुद्ध बताया था, इसके बावजूद डीजीपी सक्सेना को मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में सलामी परेड के बाद विदाई दी गई।

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Sanjay Sharma
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DGP Sudhir Saxena salute parade

BHOPAL : डीजीपी सुधीर सक्सेना शनिवार को सेवानिवृत्त हो गए। सीनियर आईपीएस कैलाश मकवाना अब पुलिस महकमे के मुखिया होंगे। स्पेशल डीजी शैलेश सिंह द्वारा पत्र लिखकर इसे नियम विरुद्ध बताने के बावजूद मोतीलाल नेहरु स्टेडियम में डीजीपी सक्सेना को सलामी परेड के बाद विदाई दी गई। इसके साथ ही डीजीपी की विदाई के मौके पर सलामी परेड को लेकर नई बहस चल पड़ी है। स्पेशल डीजी के पत्र के जरिए एक दिन पहले ही सलामी परेड असंवैधानिक होने की जानकारी के बावजूद आयोजन के आदेश पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वहीं सेवानिवृत्त डीजीपी और स्पेशल डीजी सहित पीएचक्यू में सीनियर अफसरों में जारी खटपट भी चर्चा में आ गई है। 

राज्यपाल ही सलामी ले सकेंगे

पुलिस महकमे के मुखिया यानी डीजीपी सुधीर सक्सेना की विदाई शनिवार 30 नवम्बर को हो गई है। एक दिन पहले ही स्पेशल डीजी शैलेष सिंह का एक पत्र सामने आया था। पुलिस सुधार का दायित्व संभाल रहे स्पेशल डीजी शैलेष सिंह ने 29 नवम्बर को प्रदेश के सभी जोन और रेंज सहित सभी इकाइयों में तैनात अफसरों को आदेश जारी किया था। स्पेशल डीजी ने साल 2007 में पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी एक आदेश का हवाला देते हुए यह आदेश जारी किया है। पत्र में आदेशित किया गया है कि मुख्यमंत्री, मंत्रीगण एवं पुलिस अफसरों को दी जाने वाली सलामी समाप्त की गई है। केवल राज्यपाल ही सलामी ले सकेंगे। लेकिन साल 2007 के बाद ये आदेश कहीं दबकर रह गया और सीएम, मंत्री और पुलिस अफसरों की सलामी परेड की परम्परा जारी रही।

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किसके आदेश पर हुआ आयोजन

स्पेशल डीजी के पत्र के अगले ही दिन इसे भुला दिया गया। मोतीलाल नेहरु स्टेडियम शनिवार सुबह ही सज चुका था। यानी रात से ही तैयारी शुरू हो गई थी। इसका साफ मतलब ये भी है कि स्पेशल डीजी के आदेश को सलामी परेड के लिए पुलिस मुख्यालय के आला अफसरों द्वारा ही नजरअंदाज किया गया। जबकि इस पत्र में आगाह किया गया है कि निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं हो रहा है। इस वजह से पुलिसकर्मियों की ड्यूटी प्रभावित होती है। स्पेशल डीजी के इस पत्र में सलामी परेड को अंग्रेजी शासन या उपनिवेशवाद की याद दिलाने वाला और असंवैधानिक बताया है। उन्होंने इस पर चिंता जताते हुए लिखा है कि पुलिस जैसे अनुशासित रहने वाले महकमे में इस तरह के आयोजनों का गलत प्रभाव पड़‍ेगा। अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल ये कि 29 नवम्बर को स्पेशल डीजी के पत्र के बाद शनिवार को सलामी परेड का आयोजन किस अफसर के आदेश पर हुआ ‍? पत्र के मुताबिक सलामी परेड असंवैधानिक है तो आयोजन के लिए कौन जिम्मेदार है ? यदि सलामी परेड का नियम है तो स्पेशल डीजी द्वारा अचानक पुराने पत्र के आधार पर नया आदेश जारी करने के पीछे वजह क्या रही ?

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बेटी ने की सलामी परेड की अगुवाई

डीजीपी की विदाई से एक दिन पहले इस पत्र के सामने आने से महकमे में खलबली मच गई थी। शुक्रवार को इसको लेकर पुलिस मुख्यालय में भी अफसरों के कक्षों में सुगबुगाहट का लंबा दौर चलता रहा था। शनिवार को बदस्तूर लाल परेड मैदान पर मंच सजाया गया और डीजीपी सुधीर सक्सेना को सलामी के साथ विदाई दी गई। सेवानिवृत्त हो रहे डीजीपी सक्सेना को परेड कमांडर सोनाक्षी सक्सेना के नेतृत्व में सलामी दी गई। आईपीएस सोनाक्षी डीजीपी सक्सेना की पुत्री हैं जो इंटेलीजेंस डीसीपी के रूप में तैनात हैं।

मुखिया का सम्मान बनाए रखना जरूरी

पूर्व स्पेशल डीजी पुलिस रिफार्म्स मैथलीशरण गुप्त का कहना है महकमे के मुखिया का सम्मान बना रहा ये आज के हालातों में सबसे जरूरी है। डीजीपी जैसे पद की गरिमा का ध्यान महकमे के सीनियर अफसर ही नहीं रखेंगे तो वो कैसे मजबूत होगा। सलामी परेड को लेकर इस तरह एक दिन पहले आदेश जारी करना मेरे नजरिए से ठीक नहीं है। वहीं इस पत्र के बाद पीएचक्यू में सीनियर अफसरों के बीच की खींचतान और मनमुटाव एक बार फिर सामने आ गया है।

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