/sootr/media/media_files/2025/08/19/mp-unemployment-list-2025-08-19-12-25-38.jpg)
मध्यप्रदेश में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है। यहां लाखों युवा रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लिस्ट में राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर है। वहीं, सागर जिला में पहले नंबर पर है। 25.68 लाख से ज्यादा युवाओं ने जिला रोजगार दफ्तर में अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। ऐसे में जानते हैं कि राज्य में टॉप पर कौन-कौन से जिले हैं, जहां बेरोजगारी दर काफी ज्यादा है।
मध्यप्रदेश में बेरोजगारी का बढ़ता संकट
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में बेरोजगारी (Unemployment) एक गंभीर समस्या बन चुकी है। प्रदेश की 7.26 करोड़ की आबादी में हर 30वां व्यक्ति रोजगार की तलाश में है। सरकारी आंकड़े यह दर्शाते हैं कि लाखों युवा रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं और सरकार इसके लिए रोजगार सृजन के विभिन्न प्रयास कर रही है, लेकिन इन प्रयासों के बावजूद बेरोजगारी दर में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं आई है।
बेरोजगारी की स्थिति: आंकड़ों का विश्लेषण
रोजगार कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, 30 जून तक 25.68 लाख से ज्यादा युवाओं ने जिला रोजगार दफ्तर में अपना पंजीकरण करवाया है। इस संख्या को देखते हुए यह स्पष्ट है कि बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर है। एक तरफ सरकार रोजगार के अवसर देने का वादा करती है, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे महज एक चुनावी प्रचार बताता है।
बेरोजगारी समस्या का फैलाव
रोजगार के लिए संघर्ष करने वाले युवाओं की संख्या अब सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रही है। आंकड़ों के अनुसार, छोटे और मझोले शहर भी अब बेरोजगारी के मामले में बड़े शहरों को टक्कर दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, सागर (Sagar) शहर में 95 हजार से अधिक बेरोजगार हैं, जो भोपाल (Bhopal) से भी ज्यादा हैं।
बेरोजगारी में प्रदेश के टॉप-5 जिले
1. सागर (Sagar) – 95,835 बेरोजगार
2. भोपाल (Bhopal) – 95,587 बेरोजगार
3. ग्वालियर (Gwalior) – 94,159 बेरोजगार
4. रीवा (Rewa) – 89,326 बेरोजगार
5. सतना (Satna) – 84,024 बेरोजगार
यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि बेरोजगारी की समस्या केवल राजधानी भोपाल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह छोटे शहरों और कस्बों में भी गंभीर रूप से बढ़ रही है।
रोजगार आकांक्षी युवा: एक सकारात्मक दृष्टिकोण
सरकार ने बेरोजगार युवाओं को ‘आकांक्षी युवा’ (Aspirational Youth) कहा है। ऐसा कहने के पीछे की वजह रोजगार की स्थिति के दौरान बेरोजगार युवाओं को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जा सके। इसके अंतर्गत युवाओं को स्वरोजगार (Self-Employment) और उद्यमिता (Entrepreneurship) के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। हालांकि, नाम बदलने के बावजूद आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, और बेरोजगारी की समस्या जस की तस बनी हुई है।
सरकार के प्रयास और उद्योगों की भूमिका
मोहन सरकार ने विभिन्न उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए हैं। उद्योगों के बढ़ने से रोजगार के नए अवसर सृजन होने की उम्मीद है। लेकिन फिलहाल इसके परिणाम उम्मीद के अनुसार नहीं आ पाए हैं। उद्योगों का बढ़ता हुआ नेटवर्क बेरोजगारी को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन सकता है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक समाधान है, जिसका असर समय के साथ ही दिखाई देगा।
बेरोजगारी के आंकड़े और सरकार की योजनाएं
|
हालांकि, इन योजनाओं के बावजूद बेरोजगारी दर में कोई गंभीर सुधार नहीं हुआ है। इसका मुख्य कारण राज्य में उद्योगों का पर्याप्त विकास न होना है।
रोजगार के अवसर: एक नई दिशा में बदलाव की जरूरत
प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान उद्योगों के विकास, शिक्षा की गुणवत्ता और कौशल विकास के क्षेत्र में सुधार से ही संभव हो सकता है। बेरोजगार युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे रोजगार के नए अवसरों के लिए तैयार हो सकें। इसके अलावा, सरकारी योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन और निरंतर निगरानी भी आवश्यक है।
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧👩