यूका कचरे में शासन ने क्या झूठे पत्रों से ली ट्रायल रन की मंजूरी, SC में आए शपथपत्र

यूनियन कार्बाइड (यूका) के कचरे को पीथमपुर स्थित रामकी संयंत्र में जलाने के लिए शासन और प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट में दिए गए दस्तावेजों की सत्यता पर सवाल उठने लगे हैं।

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Sanjay Gupta
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यूनियन कार्बाइड यानी यूका कचरे को पीथमपुर के रामकी संयंत्र में जलाने के लिए क्या शासन और प्रशासन ने हाईकोर्ट में झूठ बोला। यह बात इसलिए उठी है क्योंकि शासन ने हाईकोर्ट जबलपुर में 18 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान कुछ पत्र भी पुटअप किए और इसमें बताया गया कि जनप्रतिनिधि, आमजन कचरे के ट्रायल रन के लिए तैयार हैं और उनकी मंजूरी मिली है। लेकिन अब मामला सुप्रीम कोर्ट में गंभीर हो चला है। कारण है कि जिनके नाम और हस्ताक्षर शासन ने हाईकोर्ट में पुटअप किए थे, इसमें से कई ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र में कहा है कि उनके हस्ताक्षर और नाम नहीं है। हमने कचरा जलाने का मंजूरी पत्र शासन, प्रशासन को नहीं दिए।

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कलेक्टर ने नहीं दिया कोई जवाब  

इस मामले में 'द सूत्र' ने धार कलेक्टर प्रियांक मिश्रा को फोन किए और उन्हें सवाल भी वाट्सअप पर मैसेज किया, लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया।

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ये पत्र कचरा जलाने की मंजूरी के आए

सुरेश चौकसे, अय़्यूब पटेल, आर ठाकुर, प्रदीप चौकसे युवा मोर्च कार्यकारिणी बीजेपी, सुधाकर महाजन पूर्व पार्षद, मयंक चौकसे युवा छात्र संगठन पीथमपुर, अरविंद जायसवाल, संजय जयसवाल जिला उपाध्यक्ष युवा मोर्चा, गणेश जायसवाल मंडल अध्यक्ष बीजेपी, अमृत जैन संचालक श्रम कल्याण बोर्ड कालूसिहं, कुंदन राठौर इन सभी के हस्ताक्षर से सादे कागज पर कलेक्टर के नाम पर एक पत्र लिखा गया। 

सादे कागज में कलेक्टर के नाम पर पत्रों में ये लिखा  

कलेक्टर धार के नाम संबोधित इन पत्र में लिखा है कि...भोपाल के कचरे का निष्पादन पीथमपुर की रामकी फैक्ट्री में करने के बाद, 337 मीट्रिक टन कचरा पीथमपुर में जलाया जाना प्रस्तावित है। इस कचरे को लेकर पीथमपुर की जनता में डर का माहौल लगातार बना हुआ है। कई सगंठन इस कचरे का विरोध कर रहे हैं और विरोध की लगातार कार्रवई कर रहे हैं। साल 2015 में भी निष्पादन हुआ तब जलस्तर खराब हुआ और कैंसर जैसी घातक बीमारी हो गई थी।

जिला प्रशासन व नगर पालिका द्वारा सुरक्षित व वैधानिक तरीके से निष्पादन को लेकर बताया गया लेकिन संशय का वातारण बना हुआ है। पहले 337 मीट्रिक टन की जगह प्रयोगिक तौर पर 10 मीट्रिक टन कचरे का निष्पादन किया जाए और इसके दुष्प्रबाव का आकलन किया जाए। यदि कोई नुकसान, जनहानि नहीं होती है तो फिर धीरे-धीरे बाकी कचरे का निष्पादन किया जाए। इसलिए निवेदन है कि सर्वप्रथम सेंपल के तौर पर 10 टन कचरे का निष्पादन करने का कष्ट करें।

 (सभी के पत्र में यही लिखा हुआ और नीचे हस्ताक्षर है, यह पत्र 16 फरवरी की तारीख में है, जब कचरा 12 कंटेनरों से अनलोड हुआ था और फिर 18 फरवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई थी)

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अब इन्होंने कहा कि यह पत्र गलत है

अब सुप्रीम कोर्ट में 100-100 रुपए के स्टाम्प पर सुधाकर महाजन, सुरेस चौकसे, मनीष राठौर , राजेश सेन, प्रदीप चौकसे, मयंक चौकसे, उषा चौहान, कालू सिंह मौर्य और प्रिया गुप्ता के शपथपत्र पेश हुए हैं। इन सभी पर 19 फरवरी की साइन है।

सुप्रीम कोर्ट के शपथपत्र में यह लिखा गया

मैं शपथ ग्रहीता सत्य कथना करता हूं कि कलेक्टर महोदय धार, अथवा नगर पालिका परिषद पीथमपुर द्वारा यूका कचरे को पीथमपुर में जलाने से कोई हानि नहीं होगी के संबंध में मैं किसी भी जनसंवाद का हिस्सा नहीं हूं। इनके होने के संबंध में मुझे जानकारी नहीं है। मैं कचरे का पीथमपुर में निपटान होने का विरोध करता हूं। क्योंकि इससे पीथमपुर में काफी समस्या हो सकती है। सोशल मीडिया से मुझे यह जानकारी प्राप्त हुई है कि मेरे नाम और हस्ताक्षर का शासन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में गलत उपयोग कर शासन द्वारा यह कहा गया कि मेरे द्वारा यूका के कचरे को जलाने के लिए या उसके एक हिस्से को जलाने के लिए निवेदन कियाहै और स्वीकृति दी है। यह गलत है। मेरे द्वारा ऐसा कोई भी पत्र नहीं लिका गया है और कोई भी स्वीकृति नहीं दी गई है। मैं रामकी में कचरा जलाने का विरोध करता हूं। उधर नगर पालिका परिषद पीथमपुर 2 अगस्त 2024 को संकल्प क्रमांक 567 पास कर इस कचरे को पीथमपुर में नहीं जलने देने के लिए विरोध का प्रस्ताव पास कर चुकी है।  

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इन्हीं के पत्र पर हाईकोर्ट ने दिए ट्रायल रन आदेश  

उल्लेखनीय है कि 18 फरवरी को जबलपुर हाईकोर्ट में शासन द्वरा 11 लोगों के पत्र व अन्य बातों का जिक्र किया था। इसके चलते हाईकोर्ट ने 27 फरवरी से 10 मीट्रिक टन, फिर 4 मार्च से दूसरा 10 मीट्रिक टन कचरा और फिर 10 मार्च से तीसरा 10 मीट्रिक टन कचरे का ट्रायलर रन कर 27 मार्च को इसकी रिपोर्ट पुटअप के आदेश दिए थे। उधर सुप्रीम कोर्ट ने 25 फरवरी को इस पूरे मामले में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से भी नाराजगी जताई कि जब हम इसमें सुनवाई कर रहे थे फिर यह इसमें आगे नहीं बढ़ना चाहिए था। वहीं शासन, प्रशासन से सभी रिपोर्ट मांगी है और पूछा है कि बताओ यह कचरा जलाना वहां कितना सुरक्षित है। अब इसमें 27 फरवरी की सुबह पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा, इसमें शपथपत्र का मुद्दा भी आएगा।

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