मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में एक हैरान कर देने वाली परंपरा निभाई जाती है। दरअसल यहां जिला के लसूडिया परिहार गांव में हर साल दीपावली के दूसरे दिन अनोखी अदालत लगती है। आपको बता दें कि यहां पर सांपों की अदालत लगती है। सुनकर अजीब लग रहा होगा लेकिन दावा है कि यह परंपरा बाबा मंगलदास के मंदिर में 200 सालों से चली आ रही है। जानकारी के मुताबिक इस अदालत में सांपों के काटे हुए लोगों को सांप खुद काटने का कारण बताते हैं।
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नाग देवता की महसूस होती हैं उपस्थिति
मंदिर में विशेष अनुष्ठान किया जाता है, जैसे की थाली को नगाड़े की तरह बजाया जाता है और पुजारी मंत्रोच्चार करते हैं, इस के बाद उन लोगों पर असर दिखने लगता है, जिन्हें कभी सांप ने काटा हो। दावा है कि उस दौरान उन लोगों के शरीर में नाग देवता की उपस्थिति महसूस होती है और वो बताने लगते हैं कि उन्हें किस कारण डसा गया था।
200 सालों से चली आ रही परंपरा
इस परंपरा के अनुसार, जिन लोगों को सालभर में कभी भी सांप ने काटा होता है, वो दीपावली के अगले दिन इस मंदिर में आते हैं। यहां पुजारी द्वारा विशेष मंत्र पढ़े जाते हैं और व्यक्ति के गले में बेल बांधकर जहर को उतारने की प्रक्रिया की जाती है। मान्यता है कि स्वयं व्यक्ति के अंदर आकर बताते हैं कि उन्होंने उसे क्यों काटा। दावा है कि ये परंपरा 200 सालों से चली आ रही है।
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धार्मिक आस्था और सांपों के प्रति गहरे विश्वास
यह अनोखी अदालत हर साल सैकड़ों लोगों को अपनी ओर खींचती है। श्रद्धालु इस परंपरा को देख हैरान रह जाते हैं, लेकिन इस पर अटूट विश्वास भी करते हैं। यह परंपरा एक अनोखी धार्मिक आस्था और सांपों के प्रति गहरे विश्वास की कहानी है।
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