देश के 762 हाईकोर्ट जजों में सिर्फ 95 ने संपत्ति सार्वजनिक की, मध्यप्रदेश-राजस्थान सहित 18 हाईकोर्ट पूरी तरह पारदर्शिता से दूर हैं। दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर नकदी मिलने के मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जजों की संपत्ति सार्वजनिक करने का फैसला लिया। इसके बाद भी देश के अधिकांश हाईकोर्टों में पारदर्शिता को लेकर उदासीनता देखी गई।
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मध्यप्रदेश सहित 18 हाईकोर्टों की स्थिति चिंताजनक
राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत देश के 18 हाईकोर्टों में किसी भी जज की संपत्ति सार्वजनिक नहीं की गई है। देशभर के 24 हाईकोर्टों में कार्यरत 762 जजों में से अब तक केवल 95 जजों ने अपनी संपत्ति संबंधित हाईकोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक की है, जो कुल आंकड़े का मात्र 12.46% है।
केरल और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट सबसे आगे
संपत्ति सार्वजनिक करने के मामले में केरल हाईकोर्ट सबसे आगे है, जहां 44 में से 41 जजों ने अपनी जानकारी साझा की है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में 53 में से 30 जजों ने ऐसा किया है।
30 सुप्रीम कोर्ट जजों ने दी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट के 33 में से 30 जजों ने अपनी संपत्ति की जानकारी चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को दे दी है। हालांकि तकनीकी कारणों और फॉर्मेट संबंधी समस्याओं के चलते फिलहाल वेबसाइट पर यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।
कानून में नहीं है संपत्ति घोषित करने का प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के वेतन एवं सेवा शर्तों में संपत्ति घोषित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। वर्ष 1997 में जारी ‘री-स्टेटमेंट ऑफ वेल्यूज ऑफ ज्यूडीशियल लाइफ’ में इसे स्वैच्छिक रूप से अपनाने की सिफारिश की गई थी। अगस्त 2023 में संसद की लोक शिकायत तथा विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति ने सिफारिश की थी कि जजों को भी अपनी संपत्ति और देनदारियों का खुलासा करना चाहिए, जैसे सांसदों और विधायकों के लिए अनिवार्य है।
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