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ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों को एज रिलैक्सेशन दिए जाने के मामले में यूपीएससी ने नया तथ्य रखा था कि इस समय पर किए जाने वाले बदलाव के कारण बहुत सी प्रैक्टिकल परेशानियां खड़ी हो सकती हैं, पर कोर्ट ने इस दलील को सिरे से नकारते हुए यह साफ कर दिया है कि ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों के लिए पोर्टल को खोला जाएगा।
EWS आरक्षण के अलग-अलग नियमों को लेकर केंद्र और मध्य प्रदेश राज्य में बनी असमंजस की स्थिति के चलते EWS अभ्यर्थियों को भेदभाव से बचाने का हाईकोर्ट का निर्णय यथावत है। कोर्ट ने यूपीएससी को साफ आदेश दे दिया है कि उन्हें इन अभ्यर्थियों के लिए पोर्टल खोलना ही होगा और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिए गए एज रिलैक्सेशन का लाभ मिलेगा।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के अभ्यर्थियों को विभिन्न सरकारी भर्तियों में अन्य आरक्षित वर्गों की तरह अधिकतम आयु सीमा में छूट दिए जाने की मांग को लेकर दाखिल 17 याचिकाओं पर आज मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद अगली और अंतिम बहस की तारीख 25 फरवरी 2025 निर्धारित की है।
EWS आरक्षण से जुड़ा है मामला
EWS अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिकाओं में मांग की गई है कि जैसे अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में छूट दी जाती है, वैसे ही EWS श्रेणी को भी यह लाभ मिलना चाहिए। यूपीएससी के अभ्यर्थियों के द्वारा दायर की गई याचिका पर कोर्ट पहले ही छात्रों को राहत दे चुका है। वर्तमान में मध्य प्रदेश में SC/ST को 5 वर्ष और OBC को 3 वर्ष की आयु सीमा में छूट दी जाती है। EWS के लिए ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं होने के कारण, याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी है।
कोर्ट ने पहले ही अपने अंतरिम आदेशों के माध्यम से PSC, शिक्षक भर्ती सहित कई अन्य भर्तियों में EWS अभ्यर्थियों को अस्थायी राहत प्रदान की थी, जिसके तहत वे भर्ती प्रक्रियाओं में भाग ले सके। लेकिन अंतिम निर्णय लंबित होने के कारण चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए जा सके हैं।
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सरकार और UPSC ने किया विरोध
आज की सुनवाई में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार ने कोर्ट को बताया कि EWS को आयु सीमा में छूट देने का कोई संवैधानिक या कानूनी प्रावधान नहीं है। भारत सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव ने तर्क दिया कि संविधान और DOPT (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) की गाइडलाइंस में EWS को आयु छूट का उल्लेख नहीं है। UPSC की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक ने भी कोर्ट को यही जानकारी दी कि संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जान्हवी पंडित ने कहा कि प्रदेश में EWS को 10% आरक्षण दिया गया है, लेकिन अन्य आरक्षित वर्गों की तरह आयु सीमा में छूट देने का नियम नहीं है।
राज्य सरकार के आरक्षण में मनमाने नियम
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, रामेश्वर सिंह ठाकुर और अन्य अधिवक्ताओं ने कोर्ट को अवगत कराया कि जब अन्य आरक्षित वर्गों को यह लाभ मिल रहा है, तो EWS को इससे वंचित करना संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है। इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट के समक्ष यह तथ्य भी रखा कि केंद्र सरकार के द्वारा यह लाभ मिल रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश राज्य सरकार अभ्यर्थियों को इस लाभ से वंचित कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हाईकोर्ट द्वारा पहले जारी किए गए अंतरिम आदेशों के बावजूद अंतिम निर्णय न होने के कारण कई चयनित उम्मीदवार नियुक्ति से वंचित हैं।
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UPSC को खोलना होगा पोर्टल
लंबी बहस के बाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि कोर्ट के पिछले आदेश के अनुसार अभ्यर्थियों को अंतरिम राहत मिल चुकी है और उनके रजिस्ट्रेशन के लिए यूपीएससी को पोर्टल खोलना ही होगा। हालांकि पिछले आदेश के अनुसार इन अभ्यर्थियों की नियुक्तियां कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन रहेंगी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अंतिम रूप से विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। इसलिए सभी पक्षों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी लिखित दलीलें एवं सुसंगत प्रावधान 25 फरवरी 2025 से पहले कोर्ट में दाखिल करें। अगली सुनवाई 25 फरवरी 2025 को दोपहर 2:30 बजे से होगी, जिसमें इस मुद्दे पर अंतिम बहस होगी और संभवतः न्यायालय अपना अंतिम निर्णय सुनाएगा।
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EWS अभ्यर्थियों को अंतिम आदेश का इंतजार
EWS श्रेणी के अभ्यर्थियों को इस मामले में तो आयु सीमा में अभी छूट मिल चुकी है। अब इसका असर नियुक्ति पर होता है या नहीं, इसका फैसला हाईकोर्ट की अंतिम सुनवाई के बाद होगा। यदि कोर्ट याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय देता है, तो यह EWS उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी राहत होगी और देशभर में सरकारी भर्तियों में उनकी स्थिति को प्रभावित कर सकता है। अगली सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
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