वंदे भारत के लिए BHEL बना रहा खास उपकरण, अब हवा से बातें करेगी यह मॉडर्न ट्रेन
भेल की भोपाल यूनिट में वंदे भारत ट्रेनों के लिए ट्रैक्शन मोटर्स बनाई जा रही हैं। कोच में इन मोटर्स के फिट होने से वंदे भारत हवा से बातें करेगी। इसी के साथ भेल की बेंगलुरू और झांसी यूनिट में भी तेजी काम चल रहा है।
BHOPAL. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) या कहें भेल के अच्छे दिन लौट आए हैं। देश की यह महारत्न कंपनी अब भारतीय रेलवे के ड्रीम प्रोजेक्ट वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण कर रही है। भेल की भोपाल यूनिट में वंदे भारत ट्रेनों के लिए ट्रैक्शन मोटर्स बनाई जा रही हैं। कोच में इन मोटर्स के फिट होने से वंदे भारत हवा से बातें करेगी। इसी के साथ भेल की बेंगलुरू और झांसी यूनिट में भी तेजी काम चल रहा है।
प्रोजेक्ट करीब 23 हजार करोड़ रुपए का
भेल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 3 हजार 403 करोड़ रुपए का उत्पादन किया है, जो वर्ष 2022-23 से 15 फीसदी से भी ज्यादा है। अब भेल प्रबंधन ने आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4 हजार 275 करोड़ रुपए के उपकरणों के उत्पादन का टारगेट सेट किया है। गौरतलब है कि भेल को वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का बड़ा काम मिला है। यह पूरा प्रोजेक्ट करीब 23 हजार करोड़ रुपए का है। यह प्रोजेक्ट लंबे समय से घाटे में चल रही इस कंपनी के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है।
भेल की भोपाल यूनिट के अपर महाप्रबंधक विनोदानंद झा ने बताया कि भोपाल में चार पोल और थ्री फेस इंडेक्शन वाली ट्रैक्शन मोटर का ट्रायल सफल रहा है। अब हम इनका उत्पादन करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि BHEL को 80 वंदे भारत ट्रेनें बनानी हैं। इनके 640 कोचों में 2 हजार 560 ट्रैक्शन मोटर लगेंगी।
हवा से बातें करेगी वंदे भारत
देश की सबसे आधुनिक यानी मॉडर्न ट्रेन कही जाने वाली वंदे भारत को BHEL भोपाल में बनी ट्रैक्शन मोटर रफ्तार देंगी। 16 कोच वाली वंदे भारत के 8 कोच में 4-4 मोटर लगाई जाएंगी। इन मोटर्स के जरिए ट्रेन 160 से 176 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। अभी वंदे भारत की औसत स्पीड 120 से 135 तक ही रहती है।
तीन यूनिट्स में बन रहे पार्ट्स
जानकारी के मुताबिक, वंदे भारत ट्रेन का निर्माण पांच यूनिट में हो रहा है। इनमें से BHEL की तीन यूनिट में पार्ट्स बन रहे हैं। भेल की मदर यूनिट यानी भोपाल में ट्रैक्शन मोटर पर काम चल रहा है। बेंगलूरू यूनिट में पावर कंट्रोल सिस्टम और झांसी में ट्रांसफॉर्मर बनाए जा रहे हैं। टीटागढ़ में बोगी बन रही हैं तो चेन्नई में टेस्टिंग हो रही है।