सरकारी राशन डकारने वाले विदिशा के 390, ग्वालियर के 99 सेल्समैन के सामने प्रशासन बेबस

कोरोना काल में सरकारी राशन की बंदरबाट का मामला सामने आया है। विदिशा, ग्वालियर और सागर जिलों के 390 सेल्समैनों पर कार्रवाई की जा रही है। विदिशा में 16 करोड़ रुपए की वसूली अटकी है। इनसे रिकॉर्ड सुधार की मांग की जा रही है।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (THESOOTR)

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BHOPAL. राशन घोटाला: कोरोना काल की आड़ में उचित मूल्य का राशन डकारने वाले सेल्समैनों से वसूली नहीं हो पा रही है। राजधानी से सटे विदिशा जिले में भी पीडीएस के 390 सेल्समैन चिन्हित हैं। फिर भी दो साल से 16 करोड़ की वसूली अटकी है।

हालांकि, कलेक्टर के आदेश के बाद खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने इन सेल्समैनों से वसूली के लिए दबाव बढ़ा दिया है। विभाग की ओर से इन सेल्समैनों को विभागीय नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं। हालांकि, अब तक ज्यादातर ने जवाब पेश नहीं किया है। 

16 करोड़ के राशन की हुई थी बंदरबांट

कोरोना संक्रमण के दौर में प्रदेश सरकार की ओर से जरूरतमंद परिवारों के लिए निशुल्क राशन उपलब्ध कराया था। यह राशन पीडीएस दुकानों के माध्यम से आर्थिक तंगी झेलने वाले परिवारों तक पहुंचा था।

कोरोना काल के बाद पीडीएस दुकानों से गरीबों के हिस्से के राशन की बंदरबाट की शिकायतें सामने आने पर सरकार द्वारा कराई गई जांच में प्रदेश भर से गड़बड़ियां उजागर हुई थीं।

भोपाल से सटे विदिशा जिले में 390 उचित मूल्य की दुकानों से राशन वितरण में जमकर गड़बड़ी सामने आने पर स्टॉक से मिलान किया गया तो राशन में भारी अंतर पाया गया था। 

उचित मूल्य की दुकानों पर वितरण रजिस्टर और स्टॉक में मिले अंतर के अलावा अन्य अनियमितताएं भी मिली थीं। हितग्राहियों को थंब इंप्रेशन के बिना ही राशन वितरण किया गया था इस वजह से दुकानों पर ज्यादातर का रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं था।     

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कहां खर्च कर दिया सरकारी राशन 

विदिशा जिले में राशन दुकानों के 390 सेल्समैनों को दुकान के वितरण और स्टॉक में मिले अंतर के आधार पर वसूली के नोटिस जारी किए गए हैं। इनसे 16 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली की जानी है।

इस वसूली के संबंध में कुछ सेल्समैन प्रशासन को जवाब भेज चुके हैं, लेकिन अब भी ज्यादातर चुप्पी साधे हुए हैं। प्रशासन के आदेश पर राशन दुकानों से कोरोना काल की अवधि में अन्य मद में राशन खर्च किए जाने की भी पड़ताल की जा रही है।

किसी विशेष कारण या आदेश पर जो राशन स्टॉक से खर्च किया गया है अब सेल्समैन को उसमें रियायत दी जाएगी। इससे सेल्समैनों से होने वाली वसूली की राशि कम या अधिक हो सकती है। इसके लिए सेल्समैनों से प्रमाण के साथ जवाब मांगा गया है।  

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पेश किए प्रमाणों का होगा परीक्षण

जिला आपूर्ति अधिकारी अनिल कुमार तंतुवाय ने बताया कि 390 सरकारी राशन दुकान सेल्समैन और संचालकों को नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें से कुछ ने जवाब पेश किए हैं जिसके संबंध में प्रमाण उपलब्ध कराने निर्देशित किया गया है।

सभी के जवाब आने के बाद प्रमाण के आधार पर परीक्षण किया जाएगा। जिसके बाद राशि का आंकलन वसूली की कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी। इसके संबंध में विभागीय स्तर पर भी मार्गदर्शन लिया गया है।   

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सागर में 30 पीडीएस दुकानों में हेराफेरी

कोरोना संक्रमण से जब लोग बेहाल थे तब सरकारी राशन की दुकानों पर गड़बड़झाले को अंजाम दिया जा रहा था। सागर जिले में जिला प्रशासन द्वारा कराई गई जांच में एक के बाद एक उचित मूल्य की दुकानों पर हुई राशन की हेराफेरी सामने आ रही है।

अब तक सागर, बीना और राहतगढ़ क्षेत्र में करीब 30 ऐसी दुकानों की धांधली उजागर हो चुकी है। इन दुकानों पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में जमकर गड़बड़ी की गई थी।

वास्तविक हितग्राहियों के हिस्से का राशन सेल्समैन और दुकान संचालक डकार गए थे। दुकानों के राशन स्टॉक और पीओएस मशीन के रिकॉर्ड में भारी अंतर सामने आने पर प्रशासन ने जांच कराई थी। अब इस दुकान संचालक और सेल्समैन से भी वसूली की जानी है। 

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ग्वालियर में 3 करोड़ का राशन गायब 

ग्वालियर अंचल में भी कोरोना काल में सरकारी राशन की जमकर बंदरबाट हुई थी। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा कराई गई जांच में 3 करोड़ से अधिक राशि के राशन की कालाबाजारी उजागर हो चुकी है।

तत्कालीन जिला आपूर्ति नियंत्रक विपिन श्रीवास्तव ने इसकी रिपोर्ट विभाग को भेजी थी। हेराफेरी में डबरा के 39, भितरवार के 37 और मुरार व घाटीगांव के 8- 8 दुकानें शामिल रही हैं।

कोरोना में शुरू होने वाली निशुल्क राशन वितरण की व्यवस्था का इन दुकानों पर फायदा उठाकर गरीबों के हिस्से का अनाज बाजार में बेचा गया। पीडीएस की इन दुकानों के सेल्समैन और संचालकों से भी साल भर से वसूली अटकी हुई है।

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