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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. सागर जिले की बीना सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनीं निर्मला सप्रे लगातार चर्चा में हैं। उनकी सदस्यता को लेकर मामला हाईकोर्ट में है। 18 नवंबर को उनके खिलाफ नेता प्रतिपक्ष की याचिका पर सुनवाई होनी है। इस दौरान निर्मला ने अपने दलबदल और विधायक पद को लेकर मीडिया से कई अहम बातें कहीं।
दलबदल मामले में कोर्ट की सुनवाई
निर्मला सप्रे ने कहा कि कोर्ट में चल रहे मामले पर वह कोई बयान नहीं देना चाहतीं। उन्होंने कहा कि कोर्ट का निर्णय सर्वोपरि होता है और वह इसे सम्मान देंगी। उनका यह भी कहना था कि वे कोई भी निर्णय खुद से नहीं ले सकतीं।
निर्मला ने अपनी सदस्यता की स्थिति को लेकर कहा कि यह सवाल केवल कोर्ट से जुड़ा हुआ है। वह कोर्ट के निर्णय का पालन करेंगी। उन्होंने कहा कि उनका पहला काम जनता की सेवा करना है। वह इसके लिए पूरी तरह से लगी हुईं हैं।
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बीजेपी से किनारा करने पर प्रतिक्रिया
निर्मला सप्रे ने कहा कि यदि उन्हें विधायक पद का मोह होता तो वे मंत्री बन चुकी होतीं। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी को किसी विधायक की जरूरत नहीं है। उनके विधायक पद से बीजेपी की सरकार नहीं गिरने वाली है। उन्होंने चुनाव के दौरान जो वादे किए थे, उन्हें पूरा करने का प्रयास कर रही हैं। जनता की सेवा ही उनका मुख्य उद्देश्य है।
बीना को जिला बनाने की कोशिश
निर्मला सप्रे ने यह भी स्पष्ट किया कि बीना को जिला बनाने की मांग अब जल्द ही पूरी होने वाली है। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से बीना को जिला बनाने की मांग की थी। इस पर सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। उनके मुताबिक, बीना को जिला बनाने के लिए जिला पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट का इंतजार है।
प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कही थी ये बात
6 नवंबर को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल से सवाल पूछा गया था। सवाल था कि निर्मला सप्रे बीजेपी में हैं या नहीं। इसका हेमंत खंडेलवाल ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास 164 विधायक हैं। हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि कौन किस पार्टी में है, यह सवाल वही लोग जवाब देंगे। बीजेपी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि पार्टी के सदस्य अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे। इसका फैसला वे करेंगे।
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9 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई
निर्मला सप्रे के खिलाफ विधानसभा सदस्यता खत्म करने की याचिका 7 जुलाई 2024 को दाखिल की गई थी। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार द्वारा दाखिल याचिका पर कार्रवाई में देरी हुई। इसके बाद 28 नवंबर 2024 को इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने 9 दिसंबर को पहली सुनवाई की तारीख तय की। अब मामले में 19 दिसंबर को सुनवाई होगी। सरकार ने हाईकोर्ट से सुनवाई जबलपुर में कराने की मांग की है।
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