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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. रायसेन राशन घोटाला: जिले में फूड सप्लाई सिस्टम में बड़े स्तर की अनियमितताओं का मामला सामने आया है। जांच में एमपी स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (वेयरहाउसिंग) के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा ने 5 कर्मचारियों को नोटिस थमाए हैं। इनसे तीन दिन में जवाब तलब किया गया है।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मामला साल 2021-22 का है। वेयर हाउस के गोदाम से करीब 321 क्विंटल सरकारी गेहूं की अफरा-तफरी की गई। इसका खुलासा बीते साल एक शिकायत के बाद हुआ। इसकी जांच के लिए तत्कालीन कलेक्टर अरविंद दुबे ने पांच सदस्यीय एक समिति गठित कर सात दिन में रिपोर्ट तलब की थी।
7 दिन की जांच डेढ़ साल में
तत्कालीन एसडीएम मुकेश सिंह की अध्यक्षता में यह समिति बनाई गई। समिति को जांच में डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त लगा। रिपोर्ट भी तब सामने आ सकी जब 'द सूत्र' ने लगातार इस मामले का खुलासा किया और जांच पूरी नहीं होने पर सवाल उठाए।
बहरहाल, जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई। इसमें तौल की गड़बड़ी, स्टॉक मिलान में अंतर, रिकॉर्ड सुधार में देरी और खराब गेहूं जारी करने जैसी गंभीर खामियाँ सामने आईं।
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5 अधिकारी-कर्मचारी को थमाया नोटिस
कलेक्टर विश्वकर्मा ने संबंधित पांच अधिकारियों-कर्मचारियों को कारण बताओ सूचना पत्र (शो-कॉज नोटिस) जारी किए हैं। इनमें वेयर हाउस शाखा प्रबंधक, साधना पंवार, संजय तिवारी, कनिष्ठ सहायक अतुल ​ठाकुर व नीलेश गौर तथा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी दीपक लोधी शामिल हैं।
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जांच में मिली ये बड़ी गड़बड़ियां...
- स्टॉक मिलान में बड़ा अंतर : जनवरी 2024 में जांच के दौरान 321 क्विंटल गेहूं का अंतर पाया गया। रजिस्टर में दर्शाई गई मात्रा और वास्तविक स्टॉक मेल नहीं खा रहे थे। ऑनलाइन रिकॉर्ड भी मेल नहीं पाए गए।
- वेयरहाउस में महीनों रखा खराब गेहूं : कई महीनों तक 197 क्विंटल खराब गेहूं वेयरहाउस में पड़े रहने के बाद भी उसे समय पर बदला नहीं गया। सार्वजनिक वितरण प्रणाली(पीडीएस) में प्रभावित गेहूं की आपूर्ति की आशंका जताई गई।
- रिकॉर्ड सुधार में लापरवाही : जांच में पाया गया कि वरिष्ठ अफसरों के निर्देश के बाद भी कर्मचारियों ने समय पर रजिस्टर और ऑनलाइन प्रविष्टियों को सही नहीं किया। कुछ मामलों में कर्मचारियों के हस्ताक्षर तक नहीं मिले।
- डिलीवरी ऑर्डर में गड़बड़ी : कई डिलीवरी आदेश में जिम्मेदारों के दस्तखत तक नहीं थे। इस खामी को छिपाने बाद में सुधार करने की कोशिश हुई। कलेक्टर ने इसे गंभीर प्रशासनिक चूक माना है।
- वरिष्ठ अफसरों को भी किया गुमराह : रिपोर्ट में उल्लेख है कि कर्मचारियों ने स्थिति छिपाने की कोशिश की और गलत विवरण प्रस्तुत किए। जांच में स्पष्ट हुआ कि नियमों का अनुपालन नहीं किया गया।
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तीन दिन में दें जवाब, वरना कार्रवाई: कलेक्टर
कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा ने संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों को जवाब देने व्यक्तिगत तौर पर तलब किया है।उन्हें तीन दिन की मोहलत दी गई। कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा कि जवाब असंतोषजनक हुआ तो एक पक्षीय कार्रवाई होगी।
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