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MP News : मध्यप्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा पिछले दिनों एकलव्य और विक्रम अवॉर्ड की सूची जारी की गई। इसमें सॉफ्टबॉल कैटेगरी में इंदौर के प्रवीण कुमार दवे को विक्रम अवॉर्ड दिया गया। इन्हें विक्रम अवॉर्ड दिए जाने वाले नियमों को लेकर जब द सूत्र ने पड़ताल की तो पता चला कि उन्हें जिस कैटेगरी में अवॉर्ड दिया गया है इसके लिए तो वे पात्र ही नहीं हैं। इस कैटेगरी से तो केवल महिलाओं को ही अवॉर्ड दिया जाना था। जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसको लेकर इसको लेकर नियम पूरी तरह से स्पष्ट हैं। इसमें सॉफ्ट बॉल महिलाओं और बेस बॉल पुरूष खिलाड़ियों के लिए आरक्षित किए गए हैं।
यह कर दिया खेल विभाग ने
मप्र सरकार का खेल विभाग खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए लगातार एकलव्य और विक्रम अवॉर्ड बांट तो रहा है, लेकिन उसको लेकर अपनाई जा रही चयन प्रक्रिया लगातार विवादों में आ रही है। हाल ही में इंदौर की योग खिलाड़ी एवं पर्वतारोही मधुसूदन पाटीदार ने भी इसको लेकर हाइकोर्ट में याचिका दायर की है। वहीं, इस बार तो सॉफ्ट बॉल के ओलंपिक फेडरेशन के नियमों को ही ताक पर रखकर मप्र के खेल विभाग ने एकलव्य और विक्रम अवॉर्ड जारी कर दिए। इसमें महिला कोटे से पुरूष खिलाड़ी को विक्रम अवॉर्ड दे दिया गया।
ऐसे हुई गफलत
मप्र के खेल विभाग ने सॉफ्ट बॉल को ओलंपिक की कैटेगरी में तो डाल दिया, लेकिन उसमें महिला खिलाड़ी के साथ पुरूष खिलाड़ियों को भी जोड़ दिया। जबकि पुरूष खिलाड़ी ओलंपिक में केवल बेस बॉल ही खेल सकते हैं। ऐसे में महिलाओं को सॉफ्ट बॉल में अवॉर्ड मिलने के साथ पुरूषों को भी दिए जाने लगे। वहीं, इसको लेकर जब अवॉर्ड दिए जाने की बारी आई तो स्क्रीनिंग कमेटी ने भी नियमों को अनदेखा कर दिया। उन्होंने भी सॉफ्ट बॉल में अवॉर्ड के लिए पुरूषों के आवेदन पर आपत्ति नहीं ली।
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स्कॉलरशिप के साथ नौकरी में भी मिलता है आरक्षण
विक्रम और एकलव्य अवॉर्ड वाले खिलाड़ियों को सरकार की तरफ से ना केवल स्कॉलरशिप मिलती है, बल्कि नौकरी में भी आरक्षण मिलता है। यही कारण है कि एकलव्य और विक्रम अवॉर्ड के लिए बड़ी संख्या में प्रदेश स्तर पर खिलाड़ियों द्वारा आवेदन किए जाते हैं।
यह है पिछले 5 साल के अवॉर्ड की जानकारी
अगर पिछले 5 साल के विक्रम और एकलव्य अवॉर्ड की सूची देखी जाए तो उसमें विक्रम अवॉर्ड इंदौर के ही दो खिलाड़ियों को दिया गया है। जिसमें 2022 में सुबोध चौरसिया और 2023 में प्रवीण कुमार दवे को सॉफ्टबॉल में टीम श्रेणी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए चयनित किया गया।
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3 महिलाओं को मिला
वहीं, पिछले 5 साल में तीन महिला खिलाड़ियों को 2019 और 2021 में सॉफ्टबॉल में विक्रम अवॉर्ड दिया गया है। जिसमें 2019 में इंदौर निवासी पूजा पारखे और टीकमगढ़ की शिवांगनी वर्मा, 2021 में देवास निवासी रागिनी चौहान को सॉफ्टबॉल में टीम श्रेणी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये चयनित किया गया।
यह नुकसान है पुरूष खिलाड़ियों को
एक्सपर्ट के मुताबिक, सॉफ्टबॉल असल में ओलंपिक में महिलाओं के लिए रिजर्व रखा गया है। ऐसे में पुरूष खिलाड़ी इस खेल के जरिए ओलंपिक में खेल ही नहीं सकते हैं। असल में जब खिलाड़ी छोटे स्तर से किसी खेल में अपना भविष्य बनाना शुरू करते हैं तो उसका लक्ष्य ओलंपिक, एशियन आदि होते हैं। जिनमें वे भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व कर पूरी दुनिया में अपना व देश का परचम लहरा सकें, लेकिन सॉफ्ट बॉल के केस में ऐसा नहीं है। मप्र सरकार भले ही सॉफ्टबॉल पुरूषों के लिए भी खेले जाने वाला खेल मान रही है, लेकिन खिलाड़ी इसमें अपना भविष्य नहीं बना पा रहे हैं। इसके चलते उनका ओलंपिक में खेलने का सपना अधूरा ही रह जाता है।
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यह नुकसान है महिला खिलाड़ियों को
एक्सपर्ट के मुताबिक, सॉफ्टबॉल में मप्र में पुरूष खिलाड़ियों को ना केवल खेलने की अनुमति मिली हुई है, बल्कि विक्रम और एकलव्य अवॉर्ड में भी उनको शामिल किया गया है। इसके कारण दोनों अवॉर्ड के लिए जो कोटा केवल महिलाओं के लिए रखा जाना था उसी में से पुरूष खिलाड़ियों को अवॉर्ड दे रहे हैं। ऐसे में कुल मिलाकर महिला खिलाड़ियों का हक मारा जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी 1990 से महिला-पुरूष के अलग-अलग खेल
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सॉफ्टबॉल और बेसबॉल को लेकर जो नियम देखने को मिल रहे हैं उसमें भी महिला और पुरूषों के लिए दोनों खेल अलग-अलग हैं। सॉफ्टबॉल और बेसबॉल के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1990 से खेले जाने के प्रमाण मिलते हैं। ऐसे में लगभग 35 साल से बेसबॉल पुरूष और सॉफ्टबॉल महिलाओं के लिए ही आरक्षित रखा गया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह किए बदलाव
इंटरनेशनल ओलंपिक फेडरेशन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेसबॉल और सॉफ्टबॉल को लेकर नए नियम बना दिए हैं। इसके चलते अब बेसबॉल पुरूष और सॉफ्टबॉल महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इंटरनेशनल ओलंपिक फेडरेशन (IOC) ने बेसबॉल और सॉफ्टबॉल को लेकर जो नए नियम बनाए हैं, वे 2028 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक से लागू होंगे।
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ओलंपिक में यह हैं नियम
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बेसबॉल केवल पुरुषों के लिए आरक्षित रहेगा।
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सॉफ्टबॉल केवल महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगी।
यह निर्णय लैंगिक समानता (Gender Equality) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि ओलंपिक में पुरुषों और महिलाओं की भागीदारी समान रूप से सुनिश्चित की जा सके।
यह कहना है अफसरों का
एसोसिएशन के सीईओ ने माना अवॉर्ड के नियम बदलने थे
सॉफ्टबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ डॉ. प्रवीण अनावकर का कहना है कि इसको लेकर लंबे समय से नेशनल लेवल पर झगड़ा चल रहा है। बाकी गेम में पोजीशन ही नहीं आती है तो क्या करें। सरकार अन्य खेलों में अवॉर्ड देकर प्रोत्साहित कर रही है। पूर्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सॉफ्टबॉल और बेस बॉल दोनों फेडरेशन अलग-अलग थी। अब एक साथ हो गई हैं। खिलाड़ियों को दिए जाने वाले नियमों को लेकर स्पष्टता लाना तो सरकार का काम है। जो नॉन ओलंपिक गेम्स जैसे मलखंभ के खिलाड़ियों को भी तो अवॉर्ड दे रहे हैं। सॉफ्ट बॉल को लेकर अवॉर्ड में कैटेगरी अलग से बना सकते हैं।
जानकारी देखकर बताता हूं
इस संबंध में मप्र खेल एवं युवा कल्याण विभाग के डायरेक्टर राकेश गुप्ता का कहना था कि वैसे ऐसा हो तो नहीं सकता है, लेकिन फिर भी मुझे एक बार इसके नियम देखना होंगे। मैं जानकारी देखकर आपको बताता हूं।
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