डॉ. बृजेश शर्मा@ नरसिंहपुर
MP News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नरसिंहपुर में कृषि उद्योग समागम का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि खेतों की समृद्धि से देश प्रगति करता है। किसी विकसित देश का विकास किसान के गांव और खेत से होकर गुजरता है। उपराष्ट्रपति ने ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा की और प्रधानमंत्री की सात बार तारीफ की। धनखड़ ने बताया कि भारत ने पिछले एक दशक में आर्थिक तेजी से विकास किया है।
भारत जल्द ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बनेगा। उपराष्ट्रपति ने किसानों को पशुधन, मछलीपालन, फल और सब्जी उद्योग में जुड़ने को कहा। उन्होंने कहा कि भारत के किसान राष्ट्रभक्त हैं और प्रेरणा देते हैं। कृषि से जुड़ी तकनीक के विकास को भी आवश्यक बताया। धनखड़ ने सांसदों, विधायकों और प्रमुख गैर सरकारी संगठनों से अपील की कि वे गांवों को गोद लें। इससे किसान उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा।
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खेत और किसान से जुड़ा है देश का भविष्य
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब खेत मुस्कुराता है, तो देश आगे बढ़ता है। उन्होंने बताया कि किसी भी विकसित देश की राह गांवों और खेतों से होकर ही गुजरती है। भारत के किसानों की राष्ट्रभक्ति पर उन्होंने भरोसा जताया और उन्हें प्रेरणा का स्रोत बताया।
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प्रधानमंत्री के फैसलों की सात बार की प्रशंसा
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने प्रधानमंत्री की सात बार खुले मंच से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर सशक्त पहचान बनाई है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि पहलगाम की घटना के बाद देश ने सटीक कार्रवाई की, जिसे दुनिया ने सराहा।
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पानी और खून एक साथ नहीं: उपराष्ट्रपति
धनखड़ ने कहा कि पाकिस्तान को जाने वाला पानी बंद करने का निर्णय ऐतिहासिक था। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। यह फैसला पिछले 70 वर्षों में कभी नहीं लिया गया, जिसे अब साकार किया गया।
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कृषि को उद्योग से जोड़ने पर दिया जोर
उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि किसान केवल परंपरागत खेती तक सीमित न रहें। उन्हें पशुपालन, मछली पालन, फल और सब्जी उत्पादन के साथ उद्योग की दिशा में बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
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गांवों को गोद लेने की अपील
धनखड़ ने सांसदों, विधायकों और प्रमुख एनजीओ से आग्रह किया कि वे गांवों को गोद लें। इससे गांवों में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि तकनीक, संसाधन और मार्गदर्शन से गांवों का कायाकल्प हो सकता है और किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
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