MP News: जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में NSUI के कार्यकर्ता अपने खास अंदाज में कुलपति के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे। छात्र संगठन ने विरोध प्रदर्शन का ऐसा तरीका चुना जो देखने वालों का ध्यान खींचने में कामयाब रहा। एनएसयूआई के छात्र कार्यकर्ता बैंड-बाजों और ढोल-नगाड़ों के साथ कुलगुरु कार्यालय पहुंचे। इस दौरान एक छात्र 'कुंभकरण' के भेष में लेटा हुआ नजर आया। इस प्रदर्शन का मकसद कुलगुरु प्रोफेसर राजेश वर्मा को उनके पद से हटाने की मांग करना था।
कुंभकर्णी नींद में सो रहे कुलगुरु
इस अनोखे प्रदर्शन में एक छात्र को कुंभकरण की तरह कपड़े पहनाकर लेटाया गया। बाकी छात्र उसे नींद से जगाने के लिए बैंड-बाजे और ढोल-नगाड़ों की आवाज में लगातार शोर मचाते रहे। इस प्रदर्शन का संदेश था कि कुलगुरु राजेश वर्मा इतने निष्क्रिय और उदासीन हो चुके हैं कि जैसे कुंभकरण गहरी नींद में होता है। वैसे ही वे भी छात्रों की समस्याओं, विश्वविद्यालय की दशा और लगे आरोपों के बावजूद आंखें बंद किए हुए हैं। छात्रों का कहना था कि बार-बार ध्यान दिलाने के बाद भी कुलगुरु ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, इसलिए अब उन्हें नींद से जगाने के लिए यह तरीका अपनाना पड़ा।
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कुलगुरु पर लगे गंभीर आरोप
एनएसयूआई के नेताओं ने कुलगुरु राजेश वर्मा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कुलगुरु का कार्यकाल छात्रों के लिए नुकसानदायक रहा है और उनके निर्णय शिक्षा विरोधी रहे हैं। इसके साथ ही एक महिला प्रोफेसर के द्वारा कुलगुरु पर उत्पीड़न का आरोप भी लगाया गया है, जो अब जांच के अधीन है। कोर्ट के निर्देश पर इस मामले में एक विशेष जांच टीम (SIT) भी गठित की जा चुकी है। इसके बावजूद कुलगुरु न तो कोई सफाई दे रहे हैं और न ही अपने पद से हटने को तैयार हैं। छात्रों का आरोप है कि जब किसी पद पर बैठे व्यक्ति पर ऐसे गंभीर आरोप लगते हैं, तो उसे नैतिकता के आधार पर स्वयं ही इस्तीफा दे देना चाहिए।
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छात्रों की समस्याओं से बेखबर हैं कुलगुरु : NSUI
प्रदर्शन कर रहे छात्र नेताओं ने कहा कि राजेश वर्मा की नीतियां पूरी तरह छात्र विरोधी हैं। विश्वविद्यालय में शैक्षणिक वातावरण लगातार खराब होता जा रहा है। कई कोर्सों की क्लासेस समय पर नहीं होतीं, वहीं पर प्रश्न पत्र से लेकर टाइम टेबल और एडमिट कार्ड तक लगातार यूनिवर्सिटी में गफलते सामने आ रही है। हॉस्टलों की व्यवस्था भी बदहाल हो चुकी है। छात्रों को कोई समाधान नहीं मिल रहा, और कुलगुरु पूरे घटनाक्रम से अनजान बने हुए हैं। एनएसयूआई का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को सही दिशा देने के लिए अब नेतृत्व परिवर्तन जरूरी हो गया है।
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नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग
एनएसयूआई नेता सचिन रजक ने कहा कि जब किसी शिक्षण संस्थान का प्रमुख खुद विवादों में घिरा हो। उस पर जांच चल रही हो, तो यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह स्वेच्छा से पद छोड़ दे। लेकिन यहां मामला उल्टा है, कुलगुरु अपने पद से चिपके हुए हैं और छात्रों की मांगों की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए है, जिससे छात्रों में और नाराजगी बढ़ती जा रही है।
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