भारतीय शादियों में दूल्हा तलवार या चाकू क्यों रखता है, क्या है ये परंपरा

शादी में दूल्हा तलवार या चाकू रखता है जो उसकी शौर्य और दुल्हन की रक्षा का प्रतीक होता है। यह परंपरा खासकर राजपूत और क्षत्रिय समाज में गहरी मान्यता रखती है।

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Kaushiki
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भारतीय शादियों में दूल्हे के हाथ में तलवार या चाकू रखना सदियों से चली आ रही परंपरा है। तलवार को शौर्य, शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। यह सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि दूल्हे द्वारा दुल्हन की रक्षा करने का संकल्प भी दर्शाता है।

तलवार दूल्हे की वीरता और परिवार की रक्षा का चिन्ह होती है। खासकर राजपूत और क्षत्रिय समाज में इस परंपरा का गहरा महत्व है। आइए जानें शादी में तलवार रखने की परंपरा और नजर से बचाव में इसकी भूमिका।

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तलवार रखने की धार्मिक मान्यताएं

हिंदू धर्म और राजपूत समाज में तलवार को बहुत शुभ माना जाता है। दूल्हा जब बारात लेकर दुल्हन के घर जाता है तो तलवार उसके साहस और जिम्मेदारी का प्रतीक होती है। सात फेरे लेते समय तलवार रखना यह दर्शाता है कि दूल्हा अपनी पत्नी की हर परिस्थिति में रक्षा करेगा।

नजर से बचाव 

परंपरागत मान्यताओं के मुताबिक, तलवार और अन्य लोहे के हथियार बुरी नजर और काली शक्तियों से रक्षा करते हैं। कई जगहों पर दूल्हे को काला टीका लगाने के साथ तलवार दी जाती है ताकि नजर लगने से बचाया जा सके। यह नजरबंदी का एक प्रतीक माना जाता है।

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क्षत्रिय समाज में तलवार की अहमियत

राजपूत और क्षत्रिय जाति के लोग सदियों से युद्ध में अग्रिम पंक्ति में रहे हैं। उनकी तलवार उनकी शान और शौर्य की निशानी रही है। बारात के समय तलवार रखना उनकी वीरता की परंपरा का हिस्सा है। पुराने समय में बारात को रास्ते में दुश्मनों और लुटेरों से बचाने के लिए तलवार साथ रखना जरूरी था।

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तलवार रखने की कानूनी स्थिति

हालांकि तलवार या चाकू रखना कई जगह कानूनी रूप से प्रतिबंधित है, लेकिन शादी जैसी परंपरागत रस्मों में इसे धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में स्वीकार किया जाता है। इस परंपरा को आज भी कई जगह सम्मान के साथ निभाया जाता है।

तलवार के साथ जुड़े रीति-रिवाज

बारात में माताएं दूल्हे के माथे पर काला टीका लगाती हैं और तलवार पकड़ा कर उसे बुरी नजर से बचाती हैं। यह रस्म सुरक्षा और शुभता का प्रतीक है।

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