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JABALPUR. जबलपुर शहर की ऐतिहासिक ईदगाह को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। वक्फ बोर्ड ने नई गोहलपुर ईदगाह कमेटी गठित की है। पुरानी कमेटी ने इसे अपराधियों की कमेटी करार दिया। आरोप है कि प्रशासन ने बलपूर्वक पुरानी कमेटी को हटाकर नई कमेटी को कब्जा दिलाया है। इस घटना को लेकर पार्षद हीरा शफीक सहित मुस्लिम समाज के लोगों ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
वक्फ बोर्ड को नहीं है ये अधिकार: हीरा शफीक
'द सूत्र' से बातचीत में पार्षद हीरा शफीक ने कहा कि वक्फ बोर्ड ने जिस तरह पुरानी कमेटी को निष्कासित कर एक नई कमेटी गठित की है, वह पूरी तरह गैरकानूनी है। उन्होंने बताया कि यह ईदगाह हमारे पुरखों की खरीदी गई जमीन पर बनी है। समाज ने वक्फ बोर्ड को लिखित आवेदन दिया था। आवेदन में कहा गया है कि कमेटी में विवादित लोग शामिल हैं।
मुस्लिम समाज के नुमाइंदों ने बताया कि इससे पहले भी विवाद हुआ था। यह विवाद भोपाल वक्फ कमेटी द्वारा गठित एक अन्य कमेटी को लेकर था। हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी गई थी। अदालत ने वक्फ नियमों के तहत यह स्पष्ट किया। अदालत ने कहा कि बिना अधिसूचना के नई कमेटी नहीं बनाई जा सकती।
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SDM और तहसीलदार ने बिना आदेश के कराया कब्जा
पार्षद ने बताया कि जब SDM और तहसीलदार नई कमेटी को कब्जा दिलाने पहुंचे, तब उन्होंने उनसे आदेश और दस्तावेज दिखाने को कहा। एसडीएम ने भोपाल वक्फ कमेटी का एक आदेश दिखाया, लेकिन वह भी अधिनियम के अनुरूप नहीं था। तब उन्हें दिखाया गया कि वक्फ एक्ट के तहत बोर्ड को यह अधिकार ही नहीं है कि वह नई कमेटी बना सके। इसके बावजूद प्रशासन ने हमारे विरोध को दरकिनार करते हुए बलपूर्वक ताले तोड़कर कब्जा दिला दिया।
विरोध करने पर किया गया गिरफ्तार
हीरा शफीक ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने और अन्य सदस्यों ने इसका विरोध किया, तो प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। हमें पुलिस लाइन ले जाया गया और नई कमेटी को कब्जा दिला दिया गया। सरकार और प्रशासन दोनों इस पूरे मामले में नई कमेटी का खुला समर्थन कर रहे हैं।
शफीक ने बताया कि पुरानी कमेटी को नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में कहा गया था कि यदि कब्जा नहीं सौंपा, तो 8 हजार रुपए जुर्माना और छह माह की सजा हो सकती है। शफीक के अनुसार, जब उन्होंने एसडीएम से पूछा, तो उन्होंने धारा 68 का हवाला दिया। यह धारा इस संदर्भ में लागू नहीं होती।
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राजनीतिक प्रभाव की कार्रवाई के आरोप
पार्षद का कहना है कि यह पूरा घटनाक्रम राजनीतिक रूप से प्रेरित है। यह नई कमेटी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों की है। भाजपा इस पूरी प्रक्रिया को वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण पाने की मुहिम के रूप में चला रही है। उन्होंने दावा किया कि कब्जे की पूरी कार्रवाई के वीडियो उनके पास मौजूद हैं। वीडियो में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में ताले तोड़ा जाना साफ दिख रहा है।
विरोध करने वाले सभी लोगों को भेजा गया जेल
इस मामले में प्रशासन ने विरोध करने वालों को जेल भेजा गया है। पहले उन्हें गोहलपुर थाने ले जाने की बात की गई। लेकिन शाम तक उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल भेज दिया गया। जेल के उप अधीक्षक मदन कमलेश ने शाम 6:30 बजे बताया कि अब जेल बंद हो चुका है। उन्होंने कहा कि किसी नई एंट्री की अनुमति नहीं होगी। लेकिन शाम 7 बजे जानकारी मिली कि प्रदर्शनकारी अपराधियों के साथ जेल भेजे गए। उप अधीक्षक व्यस्त थे और रिहाई के मामलों में लगे हुए थे। इस बात से समझ में आया कि मामला राजनीतिक रंग ले चुका है। जबलपुर में ऐसे विरोध प्रदर्शन आम हैं। आमतौर पर नेताओं को थाने से छोड़ दिया जाता है। लेकिन यहां प्रदर्शनकारियों को अपराधियों के साथ जेल भेजा गया। यह प्रशासनिक दबाव को दर्शाता है।