रतलाम में किसानों का जल सत्याग्रह, सड़क व पुल बनाने की मांग को लेकर 12 घंटे पानी में बैठे रहे

रतलाम के किसानों ने सड़क और पुलिया निर्माण की मांग को लेकर जल सत्याग्रह शुरू किया है। वहीं, प्रशासन द्वारा सहयोग राशि के तौर पर 12 लाख रुपए की मांग की जा रही है।

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Sourabh Bhatnagar
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किसानों का जल सत्याग्रह
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मध्य प्रदेश के रतलाम (Ratlam) में सड़क व पुल बनाने की मांग को लेकर किसानों ने जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है। दरअसल, यह मामला रतलाम से 18 किमी दूर गांव हतनारा का है, जहां खेतों के बीच से कुड़ेल नदी गुजर रही है। बारिश के दौरान नदी उफान पर रहती है। गांव से नदी तक जाने का एक रास्ता जरूर है लेकिन उसका हाल बदहाल हो चुका है। इससे किसानों को खेत तक जाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता  है। इसी कारण किसान सड़क व पुल बनाने की मांग को लेकर जल सत्याग्रह कर रहे है। इस दौरान किसान करीब 12 घंटे पानी में रहे। आपको बता दें कि सड़क निर्माण को लेकर ग्राम पंचायत में प्रस्ताव भी पारित किया गया लेकिन अब तक गांव में रोड नहीं बन पाई।

प्रशासन ने की 12 लाख रुपए की मांग

जिला प्रशासन मनरेगा नियमों के प्रावधानों के तहत रोड बनाने के लिए ग्रामीणों से सहयोग राशि मांग रहा है। इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि वह इसके लिए राशि कहां से लाएं। एक ग्रामीण ने बताया कि इससे पहले कई बार पंचायत के माध्यम से सड़क निर्माण की मांग की जा चुकी है। उनका कहना है कि   जब तक सड़क निर्माण को लेकर लिखित में नहीं मिलेगा तब तक वह सत्याग्रह जारी रखेंगे। एक अन्य ग्रामीण का कहना है कि प्रशासन उनसे सड़क बनाने के लिए 12 लाख रुपए की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की इस मांग को मानन संभव नहीं है, इसलिए हमने जल सत्याग्रह करने का फैसला लिया है।

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फसल को लाने के लिए कोई रास्ता नहीं

एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि नदी के दूसरी ओर कई किसानों के खेत हैं और सोयाबीन की फसल तैयार हो गई है। उनका कहना है कि खेत तक जाने का मुख्य रास्ता नदी से होकर ही जाता है, ऐसे में इस फसल को लाने का को रास्ता नहीं है। उन्होंने बता.या कि इसी कारण हमने जल सत्याग्रह करने का का निर्णय लिया है।

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अधिकारियों ने क्या कहा

मामले को लेकर जिला पंचायत के अतिरिक्त सीईओ निर्देशक शर्मा का कहना है कि ग्रामीणों ने सड़क के लिए आवेदन दिया है, उसमें पुल को लेकर कोई बात कही नहीं गई है। उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण के लेकर 30 लाख रुपए की तकनीकी स्वीकृत (टीएस) प्रस्तावित हुई थी। उनका कहना है कि मनरेगा नियमों के प्रावधान के तहत जनसहयोग की राशि ग्राम पंचायत में जमा होती है तो हम रोड बनाने का काम शुरू कर सकते हैं।

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