वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन इस बार रेलवे में इतिहास बन गई। हाल ही में हुए मान्यता चुनाव में यूनियन को मंडल और जोन स्तर पर कुल 32% वोट मिले, जिससे उसकी मान्यता खत्म हो गई। यूनियन को मान्यता प्राप्त करने के लिए कम से कम 35% वोट की जरूरत थी, जो कि पूरी नहीं हो पाई है। इस चुनावी परिणाम के बाद अब वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ एकमात्र मान्यता प्राप्त यूनियन बन गई है, जिसे पहले जैसी सुविधाएं मिलती रहेंगी।
वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ की जीत
मान्यता का चुनाव जीतने के बाद वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ को रेलवे प्रशासन से मिलने वाली सभी सुविधाएं पहले जैसी जारी रहेंगी। मजदूर संघ के जोनल महासचिव अशोक शर्मा और भोपाल मंडल अध्यक्ष राजेश पांडेय के नेतृत्व में यह जीत मिली है। जबकि यूनियन का नेतृत्व टीके गौतम (कार्यकारी जोनल अध्यक्ष) ने किया।
मान्यता छिनने के बाद की समस्याएं
यूनियन की मान्यता छिनने के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव यूनियन के कार्यालय और कर्मचारियों के सुविधाओं पर पड़ेगा
-
ऑफिस की सुविधाएं: वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन को अपना कार्यालय वापस करना होगा।
-
सीयूजी सिम: यूनियन को रेलवे द्वारा दी गई सीयूजी सिम भी वापस करनी पड़ेंगी।
-
पीएनएम मीटिंग्स: जोन और मंडल स्तर पर रेलवे अधिकारियों के साथ हर महीने होने वाली पीएनएम मीटिंग्स में यूनियन का प्रतिनिधित्व अब नहीं होगा।
यूनियन के संघर्ष का इतिहास
वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन का इतिहास करीब 100 साल पुराना है। यह यूनियन अन्य यूनियनों से काफी पहले स्थापित हुई थी और लाल झंडे के तहत कई आंदोलन भी किए गए थे। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यूनियन के नेताओं का कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील रवैया और आपसी जोड़तोड़ की राजनीति के कारण उसे बड़ा नुकसान हुआ है।
अब यूनियन को पांच साल तक जोन स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना होगा। आगामी चुनावों में यह देखना होगा कि वह कैसे अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा और मान्यता को फिर से प्राप्त करने के लिए तैयारी करती है।
thesootr links
द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें