आखिर दो साल से कहां अटका है एनएचएम स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा का रिजल्ट

मध्‍य प्रदेश में नेशनल हेल्थ मिशन की स्टाफ नर्स भर्ती- 2023 में 2877 पदों के लिए एनएचएम द्वारा ली गई परीक्षा का दो साल बाद भी परिणाम जारी नहीं किया गया है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL.मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। मेडिकल कॉलेज, जिला और सिविल अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है। एक तरफ तो स्वास्थ्यकर्मियों की भर्ती नहीं हो रही है और दूसरी ओर जब कभी भर्ती परीक्षा होती है तो परिणाम अटक जाते हैं। ऐसी तमाम विसंगतियों पर सरकारी सिस्टम चुप्पी साधे बैठा रहता है और समस्या विकराल हो जाती है। यही स्थिति मध्य प्रदेश में नेशनल हेल्थ मिशन की स्टाफ नर्स भर्ती की हो रही है।

साल 2023 में 2877 पदों के लिए एनएचएम द्वारा ली गई इस परीक्षा का दो साल बाद भी परिणाम जारी नहीं किया गया है। अभ्यर्थी चक्कर काट-काटकर थक चुके हैं और अब हाईकोर्ट द्वारा परिणाम जारी करने के लिए दी गई समय सीमा भी खत्म हो चुकी है। इसके बावजूद एनएचएम परिणाम जारी नहीं कर रहा है। वहीं सरकार की ओर से भी इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है। 

नियुक्ति में परिणाम का रोड़ा

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग में 40 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। इसकी पुष्टि खुद मध्य प्रदेश सरकार कर चुकी है। 11 जून 2024 को मध्य प्रदेश केबिनेट ने 40461 पदों को स्वीकृति दी थी। इनमें से शुरूआती तीन साल में 18653 पदों पर भर्ती का भी निर्णय लिया गया था।

कुल पदों में से 27828 पदों को नेशनल हेल्थ मिशन के तहत भरा जाना है। लेकिन नई भर्तियां निकालना तो दूर एनएचएम की स्टाफ नर्स भर्ती का परिणाम दो साल बाद भी अटकाकर रखा गया है। परिणाम अब तक क्यों जारी नहीं किया गया ? परिणाम को रोकने के पीछे आखिर एनएचएम का उद्देश्य क्या है और यह कब तक जारी होगा, यह भी अभ्यर्थियों को नहीं बताया जा रहा है।

4 साल से भटक रहे नर्सिंग उम्मीदवार

नेशनल हेल्थ मिशन यानी एनएचएम ने 2 जून 2023 को संविदा स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा का इश्तहार जारी किया था। इसके तहत महिला नर्सिंग स्टाफ के 2877 पदों के लिए यह भर्ती निकाली गई थी। 21 अगस्त 2023 को परीक्षा आयोजन किया गया था। जिसमें 50 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इस भर्ती परीक्षा का परिणाम दो साल से रुका है।

इसमें हैरत इस बात की है कि यह भर्ती पहले साल 2022 में निकाली गई थी। जिसे पहले परीक्षा के बाद रद्द किया गया था तो दूसरी बार में अभ्यर्थियों को केंद्र से लौटा दिया गया था। तीसरी बार जब अभ्यर्थियों ने तैयारी कर परीक्षा दी तो अब दो साल से परिणाम अटका दिया गया। यानी एक ही भर्ती के लिए अभ्यर्थी चार साल से भटक रहे हैं और अब भी उनके हाथ खाली हैं। 

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हाईकोर्ट के आदेश की नहीं परवाह

संविदा नर्सिंग स्टाफ के 2877 पदों पर दो साल पहले हुई परीक्षा का परिणाम जारी न करने के पीछे एनएचएम संचालक सलोनी सिडाना भी कोई जवाब नहीं दे रही हैं। अभ्यर्थी अब तक 100 बार से भी ज्यादा एनएचएम के भोपाल स्थित राज्य मुख्यालय के चक्कर काट चुके हैं। हजारों आवेदन भेजे जा चुके हैं लेकिन एनएचएम के पास कोई जवाब ही नहीं है।  

25 जुलाई 2025 को संविदा नर्सिंग भर्ती को लेकर हाईकोर्ट में जस्टिस मनिन्दर सिंह भट्टी ने अभ्यर्थियों की याचिका पर एनएचएम को 60 दिन में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। यह मियाद भी पूरी हो चुकी है। तब भी एनएचएम की ओर से न तो परिणाम जारी किया गया है न ही इसको लेकर कोई स्पष्ट सूचना ही अभ्यर्थियों को दी गई है। 

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भर्तियां जारी लेकिन रिजल्ट को भूले

जिस संविदा नर्सिंग स्टाफ भर्ती के केवल 2877 पदों पर परिणाम जारी करने में एनएचएम बेबसी दिखा रहा है वही दूसरे पदों पर बेहिसाब भर्तियां करता आ रहा है। एनएचएम ने 2023 से अब तक ईपीएफ सलाहकार, मेडिकल ऑफिसर, एएनएम, इंजीनियर, माईक्रोबॉयोलॉजिस्ट, ऑपरेशन थिएटर तकनीशियन, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, काउंसर जैसे हजारों पदों पर भर्तियां की हैं।

इन भर्तियों के लिए एनएचएम के अधिकारियों के पास समय और बजट है लेकिन दो परीक्षा दो साल पहले ली गई थी उसके परिणाम के संबंध में बात करने भी कोई तैयार नहीं है।  इसी वजह से बार-बार एनएचएम मुख्यालय के चक्कर काट चुके अभ्यर्थियों को अधिकारियों की नीयत पर संदेह हो रहा है और वे अपने भविष्य को लेकर गहरी चिंता में डूबे हुए हैं।

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अब हाईकोर्ट से ही मदद की उम्मीद

लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में भर्ती के लिए भी नेशनल हेल्थ मिशन संसाधन जुटाता है। इतना महत्वपूर्ण और जिम्मेदार होने के बावजूद संविदा नर्सिंग स्टाफ की भर्ती में एनएचएम का रवैया पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना है। 50 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी हाईकोर्ट से आस लगाए बैठे हैं।

हाईकोर्ट में अभ्यर्थियों की ओर से पैरवी करने वाले वकील दिनेश सिंह चौहान का कहना है हाईकोर्ट ने इस मामले में 60 दिन में स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है लेकिन मियाद पूरी होने पर भी कोई जवाब नहीं आया है। यह सीधे तौर पर अभ्यर्थियों से छलावा और हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी है। 

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NHM की बेरुखी से बेबस अभ्यर्थी

स्वास्थ्य व्यवस्था की प्रदेश में जो स्थिति है और मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल हों या उप स्वास्थ्य केंद्र हर कहीं स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है। प्रदेश सरकार भी डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की कमी स्वीकार कर रही है, नई भर्तियों को स्वीकृति दी जा रही है। इसके बावजूद एनएचएम पर दो साल पहले हुई भर्ती का परिणाम जारी करने का दबाव बनाने की फुरसत किसी के पास नहीं है।

ऐसे में नर्सिंग स्टाफ परीक्षा की हजारों अभ्यर्थी बेबस हैं और भगवान भरोसे हैं। उनका कहना है किसी भी स्वास्थ्य संस्था के संचालन के लिए नर्सिंग स्टाफ सबसे जरूरी है लेकिन एनएचएम और प्रदेश में इसकी उपेक्षा हो रही है। 

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