नील तिवारी, JABALPUR. सीलिंग ( Ceiling ) शब्द खसरे में आते ही जमीन लगभग माटी मोल हो जाती है। खसरे के कॉलम में सीलिंग ( Ceiling ) लिखा होने के बाद जमीन को बेचने में पसीने छूट जाते हैं। ऐसी जमीन पर मालिक बैंक से लोन भी नहीं ले सकता है। जबलपुर में कई कॉलोनी और जमीन मालिक ऐसे हैं जिन्हें अपने पूर्वजों से जमीन मिली है। उसके बाद भी खसरे के कॉलम में सीलिंग लिखे होने के कारण यह जमीन माटी मोल हो चुकी है। लगातार दर-दर भटकने के बाद भी जिनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। अब उनके लिए यह राहत भरा आदेश सामने आया है।
अब सीलिंग शब्द से मुक्त होंगे इन जमीनों के खसरे
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सीलिंग को लेकर सभी राजस्व अधिकारियों की बैठक की। सीलिंग भूमि की समीक्षा के दौरान पाया गया कि जिले में स्थित कई भूमियों के राजस्व अभिलेख खसरे के कॉलम 5 में निजी भूमि स्वामियों के नाम दर्ज होने के साथ-साथ कैफियत कॉलम 12 में सीलिंग से प्रभावित या शहरी सीलिंग भूमि की प्रविष्टि दर्ज है। यही नहीं जबलपुर विकास प्राधिकरण (JDA) के स्वामित्व की विभिन्न गांवों की जमीनों के कई खसरा नंबर पर भी इसी तरह की प्रविष्टि दर्ज हैं।
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कलेक्टर ने कहा- राजस्व अभिलेखों में समयसीमा में सुधार किया जाए
कई वैध कॉलोनियों के खसरा नंबर पर यह प्रविष्टि पाई गई है। अब निजी भूमि स्वामियों को जमीन बेचने और नामांतरण की प्रक्रिया में बेवजह कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि इसमें उनका कोई भी दोष नहीं है। अब कलेक्टर ने आदेशित किया है कि चंद सरकारी जमीनों के फेर में हजारों लोगों को परेशान करना न्यायोचित नहीं और राजस्व अभिलेखों में समयसीमा में सुधार किया जाए।
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आदेश के अनुसार
नगरीय अतिशेष घोषित शासकीय भूमि को छोड़कर शेष राजस्व खसरों के कैफियत कॉलम में दर्ज 'सीलिंग से प्रभावित' या 'शहरी सीलिंग भूमि' की प्रविष्टि 1 जुलाई से निष्प्रभावी मानी जाएगी।