संजय गुप्ता, INDORE, इंदौर निगमायुक्त व 2012 बैच की आईएएस हर्षिका सिंह ( Harshika Singh ) ने मंगलवार, 5 मार्च शाम को एक्स (X) पर ऐसा एक लाइन का कोड डाला था जिसने कई लोगों को अचंभे में डाल दिया और इसे अब उनके इंदौर से संभावित ट्रांसफर के रूप में देखा जाने लगा। 'द सूत्र' द्वारा खबर ब्रेक किए जाने के बाद इस पर बखेड़ा खड़ा हो गया। विवादों को देखते हुए सिंह ने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया है।
यह लिखा था हर्षिका सिंह ने
सिंह ने अंग्रेजी में कोड लिखा था कि- It’s stupid to be humble and innocent in present times…यानि आज के समय में दयालु और सीधा होना मूर्खता है।
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उठी थी बात, यह निशाना आखिर किस पर
इस संदेश के बाद बात चलने लगी कि आखिर मैडम ने किस ओर निशाना साधा है? वैसे महापौर, एमआईसी सदस्यों से लेकर विधायक तक से अभी निगमायुक्त सहित निगम के कई अधिकारियों से सामंजस्य सही नहीं बैठ रहा है।
सामान्य रूप से कम ही सक्रिय होती है सिंह X पर
सामान्य रूप से हर्षिका सिंह टिव्टर यानि X पर अधिक सक्रिय नहीं है, वह गिने-चुने ही मैसेज इस पर डालती है जो सामान्य तौर पर विविध कामों को लेकर होते हैं। फरवरी के पूरे महीने में उनके 17-18 पोस्ट ही मुश्किल से है। ऐसे में अचानक उनके इस तरह के संदेश लिखने से फिर निगम में सब कुछ सही नहीं चलने वाली बातों को हवा मिलने लगी है।
नौकरशाही पर राजनीति हावी होने लगी है
वहीं उनके इस टिव्ट पर लोगों ने प्रतिक्रियाएं भी देना शुरू कर दिया है। इसमें एक टिव्ट में कहा गया है कि नौकरशाही बड़ी कठिन हो चली है मैम, राजनीति हावी है। वहीं कई लोग उनके इस संदेश से सहमत नजर आए। किसी ने कहा कि यह हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग निर्भर करता है तो किसी ने कहा कि स्थितियों पर यह मामला निर्भर होता है।
नियुक्ति के बाद से ही निगम में जनप्रतिनिधियों के साथ नहीं जम रही
अप्रैल 2023 में सिंह की प्रतिभा पाल की जगह नया निगमायुक्त बनाया गया था। पाल भी उन्हीं की बैच की अधिकारी थी। उनके आने के बाद से ही निगम में महापौर, एमआईसी सदस्यों के साथ मैडम का तालमेल सही नहीं बैठ रहा है। वहीं तब तक सीएम शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल था, तब तक तो फिर भी मैडम के हिसाब से काम चल रहा था, लेकिन सरकार बदलने के बाद चीजें बदलने लगी है। महापौर के साथ ही विधायक, एमआईसी सदस्य भी लगातार ब्यूरोक्रैसी को लेकर मुखर होने लगे हैं।
लंबे समय से बदलाव का इंतजार
इस पद पर बदलाव के लिए लंबे समय से दोनों ही पक्ष इंतजार कर रहे हैं चाहे खुद निगमायुक्त हो या फिर जनप्रतिनिधि। लेकिन इस दौरान दो बार आईएएस की सूची आने के बाद भी नए निगमायुक्त का कोई नाम नहीं आया। ऐसे में दावेदारों का भी इंतजार लंबा होता जा रहा है। वहीं एक बार फिर चर्चा चली है कि आचार संहिता के पहले चार-पांच दिनों मे ही एक और सूची आईएएस की आएगी। इस सूची में नाम नहीं आया तो फिर बात जून माह तक जाएगी। इसी बीच निगमायुक्त के नए संदेश ने खलबली मचा दी है।