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मध्यप्रदेश: राजगढ़ जिले के नेवज गांव की 28 वर्षीय मंजू सौंधिया नाम की महिला को पिछले तीन वर्षों से एक रहस्यमयी बीमारी ने घेर लिया है। मंजू को दिनभर 60-70 रोटियां खाने की आदत हो गई है, फिर भी वह कमजोर महसूस करती हैं। यह संख्या सामान्य इंसान के लिए अधिक है, लेकिन मंजू की स्थिति अलग है। उनकी यह बीमारी न केवल उन्हें, बल्कि उनके परिवार को भी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से थका चुकी है।
बीमारी की शुरुआत
महिला के भाई चंदरसिंह सौंधिया के अनुसार, उसको को पहले टाइफाइड हुआ था। इसके बाद उसकी सेहत में बदलाव आ गए। अचानक उसे रोटियां खाने की आदत लग गई, जो बढ़ती जा रही है। अब वह दिनभर रोटियां और पानी खाती रहती हैं, फिर भी उन्हें भूख लगी रहती है।
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इलाज का प्रयास, लेकिन राहत नहीं
महिला ने कई बड़े शहरों में इलाज करवाने की कोशिश की है। राजस्थान के कोटा, झालावाड़ और एमपी के इंदौर, भोपाल और राजगढ़ में इलाज कराया गया। लेकिन कोई भी इलाज कारगर नहीं हो पाया। डॉ. कोमल दांगी, जिनके पास मंजू छह महीने पहले इलाज के लिए आई थीं, ने बताया कि वह घबराहट और कमजोरी की शिकायत करती थीं। उन्हें मल्टीविटामिन दवाएं दी गईं, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही।
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रोटियां छोड़ने की सलाह
महिला को कई दवाइयों से लूज मोशन की समस्या हो जाती है, जिससे वह लंबे समय तक दवा का सेवन नहीं कर पातीं। डॉ. दांगी ने महिला के परिवार को सलाह दी है कि वे धीरे-धीरे रोटियों को छोड़कर खिचड़ी, फल और हल्का खाना देना शुरू करें, ताकि उनकी आदत और मानसिक स्थिति में बदलाव आ सके।
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परिवार की आर्थिक स्थिति पर असर
मंजू के परिवार का कहना है कि उन्होंने इलाज के लिए कई शहरों में खर्च किया। फिर भी कोई ठोस परिणाम नहीं मिला है। परिवार का कहना है कि इलाज की बढ़ती लागत ने उन्हें आर्थिक रूप से तोड़ दिया है। सरकारी मदद का भी कोई असर नहीं हुआ है। वे अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि कोई डॉक्टर या सरकारी संस्थान इस बीमारी का हल निकाले।
महिला के परिवार का अनुरोध
मंजू के परिवार का कहना है कि वे इस रहस्यमयी बीमारी का समाधान चाहते हैं। उन्होंने सरकारी मदद की अपील की है, क्योंकि वे अब और खर्च नहीं कर सकते। उनकी उम्मीद है कि यह समस्या सुलझ सके, ताकि मंजू की हालत में सुधार हो और वह सामान्य जीवनशैली की ओर लौट सकें।
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साइकोसामैटिक डिसऑर्डर की संभावना
डॉ. दांगी के अनुसार, यह एक साइकोसामैटिक डिसऑर्डर हो सकता है, जिसमें मरीज को लगता है कि उसने खाना नहीं खाया है और वह लगातार खाने की ओर भागता है। हालांकि, जब मंजू को भोपाल के मनोचिकित्सक डॉ. आरएन साहू के पास दिखाया गया, तो उन्होंने मानसिक बीमारी से इनकार किया।