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BHOPAL. मध्य प्रदेश के कॉलेज प्राध्यापकों की कमी से जूझ रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग की लेटलतीफी के कारण इस शैक्षणिक सत्र में भी कॉलेजों को पर्याप्त संख्या में प्रोफेसर नहीं मिल पाए हैं। इससे कॉलेजों की पढ़ाई सत्र की शुरूआत से ही पिछड़ने लगी है। वहीं अपनी कमी पर पर्दा डालने के लिए विभाग ने पिछले सत्र की तरह रिडिप्लॉयमेंट का खेल शुरू कर दिया है।
उच्च शिक्षा विभाग लगातार रिडिप्लॉयमेंट बहाली और निरस्त करने के आदेश जारी कर रहा है। इसके कारण कई कॉलेजों में महीने- दो महीने पहले आए प्रोफेसरों को भी बदला जा रहा है। इससे न केवल प्राध्यापक बल्कि गेस्ट फैकल्टी भी प्रभावित हो रही है और असर पढ़ाई पर होना तय है।
एक दिन में तीन आदेश किए जारी
रिडिप्लॉयमेंट उच्च शिक्षा विभाग की अटैचमेंट व्यवस्था है। इसके तहत जहां कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी है उसे पूरा करने दूसरे कॉलेज से व्यवस्था की जाती है। प्रदेश के कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 की शुरूआत पिछले माह हुई है और पढ़ाई भी होने लगी है। इस बीच 9 सितम्बर को उच्च शिक्षा विभाग ने एक-एक कर तीन आदेश जारी कर दिए।
पहले आदेश में दो असिस्टेंट प्रोफेसरों को तीन माह के लिए दूसरे कॉलेजों में पदस्थ किया गया है। दूसरे आदेश में दो असिस्टेंट प्रोफेसरों का रिडिप्लॉयमेंट खत्म कर वापस मूल पदस्थापना कॉलेज लौटाया गया है। वहीं तीसरे आदेश के जरिए कॉलेज के 50 प्राध्यापकों की अस्थायी पदस्थापना की गई है।
इन प्राध्यापकों को किया यहां से वहां
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 9 सितम्बर को जो आदेश जारी किया गया है उसके तहत इंदौर के होल्कर साइंस कॉलेज से डॉ.संतोष गहरवाल को अटलबिहारी वाजपेयी आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज, डॉ.भक्ति चौरे को माता जीजाबाई गर्ल्स पीजी कॉलेज इंदौर से नीलकंठेश्वर पीजी कॉलेज खंडवा भेजा गया है।
वहीं डॉ नीरज मोहन गुप्ता को एमएलबी गर्ल्स पीजी कॉलेज और शासकीय गीतांजलि गर्ल्स पीजी कॉलेज भोपाल में अध्यापन करा रहे असिस्टेंट प्रोफेसर राजकुमार वर्मा को वापस शासकीय पीजी कॉलेज गुना भेजा गया है। इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न सरकारी कॉलेजों से 50 प्राध्यापकों का भी रिडिप्लॉयमेंट किया गया है।
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17 कॉलेजों में भरपाई की कोशिश
उच्च शिक्षा विभाग ने जबलपुर के महाकौशल आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज में शिक्षकों की कमी को पूरा करने दूसरे कॉलेजों से 7 प्राध्यापकों का रिडिप्लॉयमेंट किया है। भोपाल के पीएमश्री हमीदिया आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज और देवास के कृष्णाजीराव पंवार पीजी कॉलेज में 6- 6 प्राध्यापक भेजे गए हैं।
उज्जैन के माधव आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज में 5, रीवा के मॉडल साइंस कॉलेज में 4, अटलबिहारी वाजपेयी कॉलेज इंदौर, स्वामी विवेकानंद पीजी कॉलेज हरदा और गवर्मेंट पीजी कॉलेज पन्ना में 3- 3 प्राध्यापकों को तैनात किया गया है।
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सत्र में बदलाव से पढ़ाई पर असर
प्रदेश के कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र की शुरूआत को महीना भर ही हुआ है। जिन कॉलेजों में विषय विशेषज्ञ थे वहां गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति नहीं हुई थी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दूसरे कॉलेजों में कमी पूरा करने इन्हीं विशेषज्ञों का रिडिप्लॉयमेंट कर दिया है।
नतीजा अब इन कॉलेजों में एक्सपर्ट का पद रिक्त हो गया है। विभाग की इस पॉलिसी से पिछले शैक्षणिक सत्र में छात्रों को पढ़ाई अधूरी रहने का खामियाजा उठाना पड़ा था। अब नए सत्र में फिर विभाग स्थायी समाधान तलाशने की जगह इस खेल में जुट गया है।
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जहां पद रिक्त वहां कैसे होगी पढ़ाई
जिन 50 कॉलेजों से प्राध्यापकों का रिडिप्लॉयमेंट किया गया है उनमें विषय विशेषज्ञ की वैकल्पिक व्यवस्था कैसे होगी, क्या इन खाली जगहों को दूसरे किसी कॉलेज के प्रोफेसर के रिडिप्लॉयमेंट से भरा जाएगा या गेस्ट फैकल्टी का सहारा लेना होगा। फिलहाल इसका जवाब कॉलेज प्रबंधन भी तलाश रहा है, लेकिन जो भी हो महीने- दो महीने के लिए इन कॉलेजों में संबंधित विषयों की पढ़ाई गड़बड़ाना तय है।
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व्यवस्था नहीं रसूख के लिए कारगर
उच्च शिक्षा विभाग की यह नीति अध्यापन व्यवस्था में सुधार के लिए कारगर साबित नहीं हुई है। हालांकि इसका फायदा रसूखदार और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच रखने वाले प्रोफेसरों को जरूरत मिल रहा है। स्थानांतरण से नाखुश प्रोफेसर इस पॉलिसी का फायदा उठाकर पसंदीदा कॉलेज में जमावट करने में कामयाब हो जाते हैं।
वैसे तो यह व्यवस्था अस्थायी है लेकिन विभाग प्राध्यापकों के प्रभाव के अनुरूप तीन-तीन माह के लिए उनकी तैनाती बढ़ा देता है। प्रदेश के कई कॉलेज ऐसे हैं जहां रिडिप्लॉयमेंट पर भेजे गए प्राध्यापक डेढ़ साल से भी ज्यादा समय से जमे हुए हैं।