विक्रम अवॉर्ड के लिए पात्र इंदौर की योग खिलाड़ी मानसी पहुंची हाईकोर्ट, सरकार को नोटिस, 7 दिन में देना होगा जवाब
मध्य प्रदेश सरकार के खेल विभाग ने वर्ष 2023 के लिए विक्रम और एकलव्य अवॉर्ड के लिए पात्र उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए थे। इनमें उन खिलाड़ियों को भी अवॉर्ड दिए जाने थे जो कि ओलंपिक में नहीं खेले जाने वाले खेलों में खेलते हैं।
इंदौर की योग खिलाड़ी मानसी बागोरा ने विक्रम अवॉर्ड की पात्र होने का दावा जताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मानसी का आरोप है कि मप्र के खेल विभाग ने उसके साथ अन्याय किया है। विक्रम अवॉर्ड के लिए आवश्यक अंक होने के साथ वह पात्र थी, लेकिन खेल विभाग ने उसकी जगह अपात्र पावर लिफ्टिंग के खिलाड़ी अपूर्व दुबे को विक्रम अवॉर्ड दे दिया। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए मप्र के खेल विभाग और खिलाड़ी अपूर्व दुबे को नोटिस जारी किया है। इन दोनों से एक सप्ताह में जवाब मांगा गया है।
यह है पूरा मामला
मध्यप्रदेश सरकार के खेल विभाग ने वर्ष 2023 के लिए विक्रम और एकलव्य अवॉर्ड के लिए पात्र उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए थे। इनमें उन खिलाड़ियों को भी अवॉर्ड दिए जाने थे जो कि ओलंपिक में नहीं खेले जाने वाले खेलों में खेलते हैं। इसके लिए विक्रम अवॉर्ड की दावेदारी पेश करते हुए इंदौर की योग खिलाड़ी मानसी बागोरा ने भी आवेदन किया था, लेकिन उन्हें यह अवॉर्ड ना देते हुए अपूर्व दुबे को पावर लिफ्टिंग के लिए विक्रम अवॉर्ड दे दिया गया।
विक्रम और एकलव्य अवॉर्ड की शीट, जो खेल विभाग ने जारी की
मानसी की तरफ से एडवोकेट दिनेश सिंह चौहान ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा था। इसमें मानसी ने बताया था कि वर्ल्ड, एशिया और नेशनल जैसी कुल 5 प्रतियोगिताओं में भागीदारी व पदक जीतने के आधार पर उसके अंक 715 हो रहे थे। वहीं, अपूर्व दुबे जिसे खेल विभाग ने विक्रम अवॉर्ड दिया उसके कुल 180 अंक ही हुए थे। ऐसे में अपूर्व के बजाय अवॉर्ड की दावेदार मानसी थी, जो कि उसे नहीं दिया गया।
मानसी के केवल एक प्रतियोगिता के अंक ही अपूर्व से ज्यादा
एडवोकेट चौहान ने बताया कि 3 साल के 8 मैडल के आधार पर अपूर्व को 180 नंबर मिले हैं। जबकि मानसी को केवल एक बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट करने पर ही 300 अंक मिल गए हैं। ऐसे में केवल एक खेल के आधार पर ही मानसी के अंक अपूर्व से ज्यादा हैं।
ये नियम है विक्रम और एकलव्य अवॉर्ड की पात्रता के लिए
उन्होंने बताया कि जब विक्रम अवॉर्ड के लिए विभाग द्वारा कागजी प्रक्रिया शुरू की गई तो आवेदन करने के बावजूद मानसी को तो वेरिफिकेशन तक के लिए नहीं बुलाया था। इस पर मानसी ने खेल विभाग को लीगल नोटिस पहुंचाया था। उसके बाद विभाग में हड़कंप मचा और मानसी को वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया।
यह लीगल नोटिस भेजा मानसी ने खेल विभाग को
अपूर्व ने यह दिया जवाब
एडवोकेट चौहान ने बताया कि इस संबंध में अपूर्व द्वारा दिए गए जवाब में स्वयं के सर्टीफिकेट बताए जाने के बजाए मानसी के अंकों पर ही सवाल खड़े किए हैं। अपूर्व के जवाब के मुताबिक मानसी इस अवॉर्ड के लिए पात्र नहीं है, लेकिन अपूर्व किस तरह से इस अवॉर्ड के लिए पात्र हैं इसकी जानकारी नहीं दे पाए। जबकि भारत में पावर लिफ्टिंग की पांच फेडरेशन कार्यरत हैं। उसके बावजूद वे यह नहीं बता पाए कि अपूर्व किस फेडरेशन की तरफ से अभी तक खेले हैं।
अपूर्व ने यह शीट पेश की कोर्ट में
शीट तक सार्वजनिक नहीं करते
उन्होंने बताया कि अवॉर्ड का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, लेकिन उसके लिए विभाग द्वारा तैयार की जाने वाले कोई शीट नहीं दी जाती है। किस खिलाड़ी को किस आधार पर कितने नंबर दिए गए हैं वह शीट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, ताकि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे। खिलाड़ियों को बुलाकर उनसे जानकारी ले लेते हैं और फिर बंद कमरे में प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं। पारदर्शिता बची ही नहीं है। खेल विभाग की वेबसाइट पर भी शीट को अपलोड नहीं किया जाता है। जबकि पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए सार्वजनिक करनी चाहिए। ये शीट उन्हीं नंबरों के आधार पर तैयार की जाती है जो नंबर खिलाड़ियों को सार्वजनिक तौर पर खेले गए खेलों में मैडल जीतने पर मिले होते हैं।
इसमें देखें अपूर्व को 180 नंबर मिले
अन्य खेल को लेकर यह लिखा है गजट नोटिफकेशन में
उन्होंने बताया कि गजट नोटिफिकेशन में लिखा है कि अन्य खेल वे हैं जिसको सरकार और ओलंपिक से मान्यता नहीं है। ऐसे किसी एक खेल के खिलाड़ी को प्रतिवर्ष 1 विक्रम और 1 एकलव्य अवॉर्ड मिलेगा। इसी कैटेगरी के अंतर्गत अपूर्व और मानसी इन दोनों ने ही योग और पावर लिफ्टिंग में आवेदन किया था। ये दोनों ही खेल सरकार और ओलंपिक से मान्यता प्राप्त नहीं हैं।