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BHOPAL.सरकार हर आयोजन में युवाओं को कौशल विकास के लिए प्रेरित कर रही है। सरकार ने 1540 करोड़ रुपए खर्च कर राजधानी भोपाल में संत शिरोमणि रविदास ग्लोबल स्किल्स पार्क भी शुरू किया है। इसे विश्वस्तरीय प्रशिक्षण सुविधाओं से सजा होने का दावा भी किया जा रहा है लेकिन भारी भरकम बजट के इस संस्थान में प्रशिक्षण के लिए युवा अरुचि दिखा रहे हैं।
साल 2024 में ग्लोबल स्किल्स पार्क में 480 सीटों पर केवल 125 प्रशिक्षणार्थियों ने ही प्रवेश लिया था। जबकि इस बार एक महीने से चल रही प्रवेश प्रक्रिया के बावजूद अब तक सीटें खाली हैं। तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान के प्रति युवाओं की अरुचि बिना परीक्षण और सर्वे बड़े बजट की बर्बादी की ओर इशारा कर रही है।
480 सीट पर 125 ने लिया प्रशिक्षण
साल 2024 में ग्लोबल स्किल्स पार्क में पांच कोर्स में 480 सीटों पर प्रवेश शुरू किए गए थे। सरकार के आव्हान, संस्थान के विज्ञापन और प्रचार-प्रसार के बाद भी केवल 125 सीटों पर ही युवाओं ने दिलचस्पी दिखाई। नतीजा शेष सीटें खाली रह गईं। युवा सरकार के कौशल विकास के आव्हान को अनदेखा क्यों कर रहे है ?
विश्वस्तरीय प्रशिक्षण सुविधाओं के दावों के बाद भी ग्लोबल स्किल्स पार्क में प्रवेश लेने आगे क्यों नहीं आ रहे हैं ? इसका जवाब न तो सरकार के पास है न इस संस्थान के जिम्मेदार इसे समझने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इस वजह से ग्लोबल स्किल्स पार्क से युवाओं के कौशल विकास का सपना अधूरा ही रह गया है।
कौशल विकास के लिए 9 कोर्स
ग्लोबल स्किल्स पार्क की स्थापना युवाओं को औद्योगिक प्रशिक्षण देकर उनमें कौशल का विकास के लिए की गई है। संस्थान में साल 2024 में एडवांस मैकेनिकल टेक्नोलॉजी, एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी, एडवांस मैकट्रोनिक्स और एडवांस मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल्स सर्विसेज में प्रशिक्षण कोर्स शुरू किए गए हैं। जबकि प्रिसिजन इंजीनियरिंग ट्रेड में पहले से प्रशिक्षण दिया जा रहा था।
इस साल से चार नए कोर्स एडवांस इलेक्ट्रिकल टेक्नोलॉजी पॉवर एंड कंट्रोल, इलेक्ट्रॉनिक्स मोबाइल डिवाइस एंड आईओटी इंटीग्रेशन, नेटवर्किंग एंड सिस्टम एडमिनिस्ट्रेशन, एयर कंडीशिनिंग एंड रेफ्रिजरेशन, एडवांस सीएनसी एंड प्रिसिजन इंजीनियरिंग भी शुरू किए जा रहे हैं। इन सभी कोर्स में युवाओं के प्रशिक्षण के लिए 920 सीट रखी गई हैं।
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पहली साल 355 सीट रही थीं खाली
1540 करोड़ रुपए की लागत से तैयार ग्लोबल स्किल पार्क में प्रशिक्षण से पहले ही साल से छात्रों ने दूरी बना ली है। यही वजह है कि पहले साल ही पांच ट्रेडों में प्रशिक्षणार्थियों की 355 सीट खाली रह गई थीं। हांलाकि तब अधिकारियों ने संस्थान में 25 फीसदी प्रवेश को शत- प्रतिशत दिखाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शुभारंभ करा लिया था।
इस साल यहां सभी 9 ट्रेड में 920 सीटों पर एडमिशन खोले गए हैं। 23 जून से स्किल्स पार्क में प्रवेश की प्रक्रिया जारी है लेकिन अब तक सीट आधी ही भर पाई हैं। सरकार द्वारा तमाम सुविधाएं मुहैया कराने के बाद भी युवाओं में ग्लोबल स्किल्स पार्क आकर्षण पैदा नहीं कर पा रहा है।
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कौशल विकास के लक्ष्य से भटका
कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए स्थापित ग्लोबल स्किल्स पार्क के प्रति युवाओं की बेरुखी की वजह जानने के लिए द सूत्र ने पड़ताल की है। प्रशिक्षण हासिल करने वाले युवाओं, संस्थान के अधिकारियों से भी बात की गई। इसमें मालूम चला कि स्किल्स पार्क के भवन निर्माण और व्यवस्थाओं को लेकर अधिकारी जितने उत्साहित हैं उतने ही उदासीन प्रशिक्षण को लेकर हैं।
स्किल पार्क में 2024 में कोर्स शुरू किया गया लेकिन यहां तब लैब अधूरी ही पड़ी थीं। आईटीआई के बाद प्रशिक्षण में शामिल युवाओं को कौशल विकास का मौका ही नहीं मिल पाया। अभी भी यहां कई काम अधूरे हैं। कम एडमिशन के बावजूद स्किल्स पार्क के संचालन के लिए 80 से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं जिनके मासिक वेतन पर ही 40 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो रहा है।
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