JAIPUR. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को पेपर लीक के मामलों में उम्रकैद की सजा के प्रावधान वाला बिल पेश कर दिया गया। यह बिल इसी सत्र में पारित किया जाएगा। राजस्थान में सार्वजनिक परीक्षाओं में पेपर लीक की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यह संशोधन बिल लाया गया है।
यह बिल सदन में पेश कर दिया गया है
ऐसे मामलों में अब तक यह प्रावधान था कि पेपर लीक या परीक्षा में अनुचित साधनों के उपयोग में लिप्त है तो उसे पांच से दस वर्ष तक के कारावास की सजा देने और दस लाख से दस करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान था। अब सरकार ने इस सजा को और कठोर बनाते हुए ऐसे मामलों में न्यूनतम कारावास दस वर्ष और अधिकतम आजीवन कारावास कर दिया है। यानी अब पेपर लीक मामलों में पकड़े गए लोगों को उम्र कैद तक की सजा हो सकेगी। सरकार की ओर से मंगलवार को यह बिल सदन में पेश कर दिया गया है। अब आने वाले एक-दो दिन में इस पर चर्चा कर इसे पारित कर दिया जाएगा।
सचिन पायलट की एक मांग पूरी करने के रूप में देखा जा रहा है
इस संशोधित बिल को कांग्रेस नेता सचिन पायलट की एक मांग को पूरा करने के रूप में देखा जा रहा है। पायलट ने पेपर लीक प्रकरणों के शिकार हुए लोगों को मुआवजा देने की मांग उठाई थी। हालांकि सीएम अशोक गहलोत ने इस मांग को तो नहीं माना, लेकिन कानून कड़ा करने की घोषणा कर दी और इसी के तहत यह संशोधन बिल लाया गया है।
राजस्थान की जेलों के लिए सरकार ने बदला अंग्रेजों के जमाने का कानून
राजस्थान की जेलों में अब कैदियों को मानव सम्मान से जीने और जेलों में चलने वाले उद्योगों के जरिए उचित आय प्राप्त करने का अधिकार मिल गया है। राजस्थान विधानसभा ने आज राजस्थान कारगार बिल पारित कर दिया। यह बिल 139 साल पुराने कारागार अधिनियम 1894 और 63 साल पुराने बंदी अधिनियम 1960 का स्थान लेगा। सरकार ने इन दिनों बिलों के स्थान पर अब एक एकीकृत कानून बना दिया है। इस कानून में बंदियों के मानवीय सम्मान से जीने, उचित आजीविका कमाने, मूलभूत जरूरतें पूरी करने और कानूनी पहुंच के अधिकार दिए गए हैं। इसके साथ ही जेलर, जेल अधीक्षक आदि के काम भी बताए गए हैं। इसके साथ ही बंदियों को सुधारने के लिए उन्हें स्किल डेवलपमेंट के कोर्स कराने और अन्य उपाय करने के प्रावधान भी किए गए हैं।
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भाजपा विधायकों ने कहा, अब क्यों लाए बिल
बिल पर चर्चा के दौरान प्रतिपक्ष भाजपा के विधायकों ने कहा कि सरकार जाते-जाते यह बिल क्यों लाई है। यह बिल लाना था, तो पहले लाया जाना चाहिए था। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड ने कहा कि यह नखदंत विहीन कानून है, जिसका अब कोई अर्थ नहं है, क्योंकि सरकार के पास इस बिल में किए गए प्रावधानों को पूरा करने का ना तो समय है और ना ही पैसा है। वहीं चर्चा का जवाब देते हुए कारागर मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि सरकार जेलों की स्थिति सुधारने के लिए सभी तरह के प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि बंदियों को सुधारने के लिए जेलों में एलईडी बल्ब बनाने से लेकर कई तरह के उद्यम चलाए जा रहे हैं। जयपुर, अलवर, कोटा में कैदी पेट्रोल पम्प भी चला रहे हैं और हम ऐसे 15 पम्प और खोलने की तैयारी कर रहे हैं।