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अरुण तिवारी, BHOPAL.वक्त के साथ चुनाव का चेहरा बदलता जा रहा है। चुनाव में अब आपराधिक छवि वाले नेता और पैसे वालों का बोलबाला दिखाई देता है, लेकिन इसमें एक अच्छी बात सामने आई है। जनता को आज भी साफ छवि वाले नेता पसंद आ रहे हैं। वहीं रईसों से लोग कम प्रभावित हो रहे हैं। हाल ही में हुए प्रदेश के विधानसभा चुनावों के अध्ययन में ये बातें सामने आई हैं। ये अध्ययन किया है एडीआर ने। एडीआर की रिसर्च के मुताबिक क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले नेताओं से ज्यादा साफ छवि वाले नेताओं की जीत का प्रतिशत रहा है। वहीं करोड़पति उम्मीदवारों से ज्यादा गैर करोड़पति उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर विधायकी पाई है।
आपराधिक छवि वाले नेताओं की चुनावी स्थिति
प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 90 उम्मीदवारों ने शपथ पत्र में आपराधिक मामले घोषित किए। इनमें से 50 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। यानी इनकी सफलता 56 फीसदी रही। वहीं साफ छवि वाले 141 उम्मीदवारों में से 81 उम्मीदवार जीतकर विधायक बने। यानी 58 फीसदी उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की। इनमें से 65 उम्मीदवार ऐसे थे जिनका मुकाबला आपराधिक बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों से था। 12 विधायकों ने बीस फीसदी के अंतर से जीत हासिल की बाकी विधायकों को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले।
दागियों पर भारी बेदाग चेहरे
- आपराधिक छवि वाले 90 उम्मीदवारों में से 50 ने जीत हासिल की। इनकी सफलता 56 फीसदी रही।
- साफ छवि वाले 141 उम्मीदवारों में से 81 ने जीत हासिल की। इनकी सफलता 58 फीसदी रही।
- साफ छवि वाले 65 उम्मीदवारों का मुकाबला आपराधिक छवि वाले नेताओं से था।
- 12 विधायकों ने बीस फीसदी के अंतर से जीत हासिल की बाकी विधायकों को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले।
करोड़पति उम्मीदवारों की चुनावी स्थिति
205 करोड़पति उम्मीदवारों में से 112 यानी 56 फीसदी ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर के साथ जीत हासिल की। इनमें से 31 ऐसे थे जिनका मुकाबला गैर करोड़पति उम्मीदवारों से था। वहीं 25 में से 19 यानी 76 फीसदी गैर करोड़पति उम्मीदवारों ने 50 फीसदी वोट शेयर के साथ जीत हासिल की।
करोड़पति पर भारी लखपति
- 205 करोड़पति उम्मीदवारों में से 112 की जीत यानी 56 फीसदी
- 31 उम्मीदवारों का मुकाबला गैर करोड़पति उम्मीदवारों से
- 25 गैर करोड़पति उम्मीदवारों में से 19 ने जीत हासिल की यानी 76 फीसदी
जीतने वाले विधायकों को 51 फीसदी वोट मिले
एडीआर के इस अध्ययन में कुछ और रोचक तथ्य सामने आए हैं। इस बार जीतने वाले विधायकों ने औसतन 51 फीसदी वोट हासिल किए हैं। जबकि 2018 में विजेताओं को 47 फीसदी वोट हासिल हुए थे। 131 विधायकों ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर जीत दर्ज की, जबकि 99 विधायकों ने 50 फीसदी से कम वोट हासिल किए। वहीं कोई भी महिला विधायक 35 फीसदी वोटों के अंतर से कम से नहीं जीती। वहीं फिर से चुनकर आए 101 विधायक भी 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर विजयी हुए।
इस बार भारी वोटों से जीते विधायक
- विधायकों ने औसतन 51 फीसदी वोट हासिल किए
- 2018 में 47 फीसदी वोट मिले थे
- 131 विधायकों ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए
- 99 विधायकों ने 50 फीसदी से कम वोट हासिल किए
- महिला विधायक 35 फीसदी वोटों के अंतर से जीतीं
- दोबारा चुने गए 101 विधायकों ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिए किए
इस बार एक फीसदी वोट नोटा को मिले हैं। चार लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। यानी समय के साथ नोटा का उपयोग भी बढ़ने लगा है।
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