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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के अजमेर जिले के एलिवेटेड ब्रिज को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो रही है। कांग्रेस और भाजपा के नेता एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए शुक्रवार तक ब्रिज को यातायात के लिए बंद कर दिया है।
घटिया निर्माण सामग्री के कारण बड़े गड्ढे होने से ब्रिज निर्माण को लेकर कांग्रेस और बीजेपी सवाल उठा रहे हैं और जांच की मांग कर रहे हैं। ब्रिज का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया था और इसका लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था।
कोर्ट में की गई थी जनहित याचिका दाखिल
कुछ दिनों पहले ब्रिज की फव्वारा सर्किल से गांधी भवन जाने वाली भुजा पर बारिश के बाद बड़ा गड्ढा बन गया था। इसके बाद ब्रिज की भुजा पर यातायात को बंद कर दिया गया। सियासी शोर मचा, तो यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने इसका निरीक्षण किया और जांच की बात कही। वहीं पूर्व कांग्रेसी विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल ने ब्रिज निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल होने पर सवाल उठाते हुए कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। इसमें नगर निगम और अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड को पक्षकार बनाया गया।
कांग्रेस बोली-भाजपा राज में हुआ भ्रष्टाचार
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने अजमेर एलिवेटेड ब्रिज का निर्माण करवाया। इससे पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री राजे ने एलिवेटेड रोड की बजट घोषणा की। बाद में अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से ब्रिज निर्माण करवाया गया। वसुंधरा सरकार में ही ब्रिज की डीपीआर बनी और तत्कालीन जनप्रतिनिधियों के उस पर हस्ताक्षर भी हैं। जैन ने कहा कि ब्रिज के निर्माण में काम ली गई घटिया सामग्री से भ्रष्टाचार हुआ।
कांग्रेस नेताओं-अधिकारियों ने किया भ्रष्टाचार
भाजपा के शहर अध्यक्ष रमेश सोनी ने आरोप लगाया कि ठेका फर्म को 242 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। ब्रिज के निर्माण का पूरा कार्य कांग्रेस सरकार में हुआ। ब्रिज का काम शुरू भी नहीं हुआ, उससे पहले ही कंपनी को 100 करोड़ रुपए भुगतान कर दिया गया था।
ब्रिज की डिजाइन में ही खामी
जैन का कहना है कि ब्रिज की डिजाइन ही गलत है। उन्होंने आरोप लगाया कि ब्रिज के निर्माण का श्रेय लेने के लिए भाजपा के नेता आगे आए, लेकिन अब घटिया निर्माण सामग्री के कारण हुए खराबे की जिम्मेदारी भी लें। ब्रिज की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पूरी जांच होनी चाहिए। बरसात आने पर यदि कोई ब्रिज के नीचे खड़ा हो जाए, तो भी वह भीगने से नहीं बच सकता। ब्रिज के कारण व्यापारियों को नुकसान हो रहा है और बारिश के दिनों में पानी भर रहा है।
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चहेती कंपनी को दिया गया ठेका
वहीं भाजपा के शहर अध्यक्ष रमेश सोनी ने कहा कि मई, 2018 को ब्रिज का शिलान्यास किया था। इसके तुरंत बाद प्रदेश में सरकार बदल गई और कांग्रेस सत्ता में आई। 2022 तक ब्रिज का निर्माण पूरा होना था। शुरुआत में इसकी लागत 220 करोड़ रुपए थी, लेकिन बाद में बढ़कर 272 करोड़ हो गई। सोनी ने आरोप लगाया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में ब्रिज को लेकर हुई बैठक में कांग्रेस के नेता ने आपत्ति कर व्यवसायी को लाभ पहुंचाने के लिए डिजाइन में फेरबदल करवाया। कांग्रेस के राजनेता की शह पर निर्माण का ठेका चहेती कंपनी को लागत और समयावधि बढ़ाकर दिया गया।
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