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राजस्थान के 14 प्रमुख मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों के 78 पीजी डॉक्टरों के स्टडी लीव Study Leave के लिए 80 लाख रुपये के फर्जी बॉन्ड देने का मामला सामने आया है। यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग की जांच में हुआ। इन डॉक्टरों को पढ़ाई के बाद 5 साल तक सरकारी सेवा में काम करने के लिए बॉन्ड देना था। इन बॉन्डों में गवाहों तक के नाम 'गायब' कर दिए गए थे, और कई डॉक्यूमेंट्स पर डॉक्टरों के हस्ताक्षर भी मौजूद नहीं थे।
क्या था घोटाले का उद्देश्य?
इन डॉक्टरों के फर्जी बॉन्डों का मुख्य उद्देश्य सरकारी सेवा से बचकर निजी क्षेत्र में जाने या विदेश में काम करने के लिए था। सरकार प्रति डॉक्टर की शिक्षा पर लगभग 50 लाख रुपये खर्च करती है। इस निवेश को सुरक्षित करने के लिए इन बॉन्डों को बनवाया जाता है ताकि डॉक्टर पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी सेवा में कुछ समय काम करें। राजस्थान डॉक्टर घोटाला चर्चा में है।
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FAQ
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जांच में इन कॉलेजों और अस्पतालों के नाम आए सामने
स्वास्थ्य विभाग के राजपत्रित अधिकारी डॉ. सुशील परमार द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि राजस्थान के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों के डॉक्टर इस घोटाले में शामिल थे। ये कॉलेज और अस्पताल निम्नलिखित हैं:
- आरएनटी मेडिकल कॉलेज, उदयपुर
- एसएन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर
- एसपी मेडिकल कॉलेज, बीकानेर
- एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर
- कोटा, झालावाड़, सीकर
- आयुर्विज्ञान संघ डूंगरपुर, आयुर्विज्ञान कॉलेज जयपुर
- महात्मा गांधी कॉलेज जयपुर, टोंक, ब्यावर, चित्तौड़गढ़ और अलवर
स्वास्थ्य विभाग की जांच
स्वास्थ्य विभाग ने Medical College Scam की जांच के दौरान पाया कि डॉक्टरों ने जिन बॉन्डों पर हस्ताक्षर किए थे, वे पूरी तरह से फर्जी थे। गवाहों के नाम गायब थे और डॉक्यूमेंट्स में कई अनियमितताएँ पाई गईं। जांच में यह भी सामने आया कि इन डॉक्टरों ने जानबूझकर सरकारी सेवा से बचने के लिए यह कदम उठाया।
बॉन्ड में अनियमितताएं : क्या थे प्रमुख सवाल?
1.गवाहों के नाम गायब
फर्जी बॉन्डों में गवाहों के नाम गायब कर दिए गए थे, जो सामान्य रूप से अनिवार्य होते हैं।
2.डॉक्टरों के हस्ताक्षर का अभाव
इन बॉन्डों पर डॉक्टरों के हस्ताक्षर भी नहीं थे, जो उनके फर्जी होने का स्पष्ट संकेत था।
3.धोखाधड़ी की ओर इशारा
इन बॉन्डों का उद्देश्य केवल सरकारी सेवा से बचने और विदेश जाने का था, जिससे यह पूरी प्रक्रिया धोखाधड़ी की ओर इशारा करती है।