पुलिस के अहम पदों पर गैर राजस्थानी अफसर ही क्यों, जानिए इस सवाल का पूरा सच

राजस्थान में पुलिस के अहम पदों पर गैर-राजस्थानी अफसरों की नियुक्ति पर विवाद। क्या राजस्थान के मूल निवासी अफसरों को तवज्जो मिलेगी? जानिए पूरी सच्चाई।

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Kamlesh Keshote
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) में पुलिस महकमे के अहम पदों पर कुछ सालों से गैर राजस्थानी अफसर ही क्यों तैनात हो रहे हैं। प्रदेश की आईपीएस लॉबी में यह सवाल इन दिनों बहस का मुद्दा बना हुआ है। ऐसा नहीं है कि यह सवाल प्रदेश की भजनलाल सरकार के समय उठा है। बल्कि पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के समय भी यह सवाल हवा में था। यह सवाल इसलिए मुखर हो रहा है कि दोनों सरकारों में पुलिस (राजस्थान पुलिस) महकमे में महत्वपूर्ण पदों पर गैर राजस्थानी आईपीएस ही पोस्टेड रहे है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में मथुरा के रहने वाले वरिष्ठ आईपीएस राजीव शर्मा को डीजीपी बनाए जाने के बाद यह सवाल अधिक मुखर हो गया है। ऐसे में प्रदेश की आईपीएस लॉबी में गैर राजस्थानी अफसरों को तवज्जो देने का परसेप्शन बनता जा रहा है। पिछले पांच डीजीपी भूपेंद्र यादव, एमएल लाठर, उमेश मिश्रा, यूआर साहू (उड़ीसा) और राजीव शर्मा में से एक भी राजस्थान का मूल निवासी अधिकारी डीजीपी नही बन पाया है। 

राजस्थान के अफसरों की 'बर्फ' में पोस्टिंग 

सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में कई अहम पदों पर अभी भी अन्य राज्यों के ही अफसर ही लगे हुए हैं। राजस्थान के मूल निवासी अफसरों को वरिष्ठ होने के बावजूद अहम पद नहीं दिए जा रहे हैं। राजनीतिक दखल के कारण कई अफसर बर्फ में लगे हुए हैं। यही वजह है कि वरिष्ठ अफसरों की अनदेखी कर अन्य अफसरों को नियुक्ति दे दी जाती है। 

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मेहरड़ा एक माह कार्यवाहक डीजीपी रहे 

राजस्थान सरकार ने डीजीपी उत्कल रंजन साहू को आरपीएससी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। इससे डीजीपी का पद खाली हो गया। राज्य सरकार ने सीकर जिले के रहने वाले आईपीएस रवि प्रकाश मेहरड़ा को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया। लेकिन वे एक महीने ही इस पद पर रह पाए। वे 30 जून को रिटायर हो गए। 

लाठर को गहलोत सरकार बचाने का मिला इनाम 

राजस्थान में नियुक्त दो अफसरों को पिछली सरकार में सीएम अशोक गहलोत की सरकार बचाने का इनाम मिला था। हरियाणा के रहने वाले लाठर को गहलोत सरकार में डीजीपी बनाया गया। उन्होंने एडीजी रहते हुए कोरोना काल में नाकाबंदी कर सचिन पायलट समर्थक विधायको को मानेसर जाने से रोका था। इससे अशोक गहलोत सरकार को जीवनदान मिल गया। इसके बाद उन्हें डीजीपी बना दिया गया। तब राजनीतिक दखल के कारण उदयपुर निवासी भूपेंद्र कुमार दक साइडलाइन हो गए। 

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राजनीतिक दखल के चलते सोनी भी नहीं बन पाए डीजीपी

आईपीएस बीएल सोनी मूलतः जोधपुर के रहने वाले हैं। जोधपुर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह क्षेत्र भी था। अशोक गहलोत के करीबी होने के बावजूद बीएल सोनी डीजीपी बनने से रह गए। तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने बीएल सोनी की वरिष्ठता को नजर अंदाज कर एमएल लाठर को डीजीपी बना दिया। एमएल लाठर के सेवानिवृत्त से पहले ही उमेश मिश्रा को राज्य का नया डीजीपी नियुक्त कर दिया। इस तरह वरिष्ठता के बावजूद बीएल सोनी को मौका नहीं मिला सका। 

क्या अगला डीजीपी राजस्थान का होगा 

सवाल यह भी है कि क्या आईपीएस राजीव शर्मा के बाद क्या अगला डीजीपी राजस्थान का मूल निवासी होगा। राजीव शर्मा जून 2027 में सेवानिवृत्त होंगे। सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठता के आधार पर आईपीएस राजेश निर्वाण, संजय अग्रवाल और गोविंद गुप्ता में से किसी एक को डीजीपी बनाया जा सकता है। आईपीएस राजेश निर्वाण मूलतः जोधपुर और गोविंद गुप्ता करौली के रहने वाले है। सूत्रों को उम्मीद है कि सब कुछ ठीक रहा तो  सुप्रीम कोर्ट की गाइडलान के मुताबिक इन्हीं में से एक अफसर को शॉर्टलिस्ट किया जा सकता है। 

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जानिए कैसे होता है डीजीपी का चयन 

राज्य के पुलिस मुखिया के चयन के लिए सरकार लगभग 10 अफसरों का नाम यूपीएससी को पैनल के लिए भेज सकती है। यूपीएससी इस पैनल में से तीन अधिकारियों को उनकी योग्यता, अनुभव और विशिष्टता के आधार पर चिन्हित करती है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलिन को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ अफसरों का चयन करना होता है। 

अब आईपीएस राजेश निर्वाण, संजय अग्रवाल और गोविंद गुप्ता के अलावा किसी और अधिकारी को शार्टलिस्ट नही किया जा सकता। डीजीपी राजीव शर्मा के रिटायर होने तक आईपीएस आनंद श्रीवास्तव भी सेवानिवृत हो जाएंगे। 

इन अहम पदों पर राजस्थान से बाहर के आईपीएस 

राजस्थान में एडीजी क्राइम और एडीजी विजिलेंस को अहम माना जाता है। प्रदेश में अभी एडीजी क्राइम आईपीएस दिनेश एमएन और एडीजी विजिलेंस के पद पर संजीब नर्जरी काबिज है। दिनेश एमएन कर्नाटक और संजीब नर्जरी मूलतः असम के रहने वाले हैं। जयपुर के पुलिस कमिश्नर जैसे अहम पद पर आईपीएस बीजू जार्ज जोसेफ लगे हुए हैं। बीजू जार्ज जोसेफ मूलतः केरल के रहने वाले हैं।    

राजस्थान का सिर्फ एक अफसर महत्वपूर्ण पद पर 

पुलिस में एडीजी कार्मिक का पद भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस पद पर आईपीएस सचिन मित्तल और बिपिन पांडे को भर्ती और पदोन्नति के एडीजी पद पर नियुक्त कर रखा है। आईपीएस सचिन मित्तल मूलतः सहारनपुर और बिपिन पांडे बिहार के रहने वाले है। एसओजी भी पुलिस महकमे का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस पद पर बिहार के मूल निवासी आईपीएस वीके सिंह लगे हुए है।

इन सबके बीच, अजमेर के रहने वाले आईपीएस विशाल बंसल जरूर एडीजी (कानून व्यवस्था) पद पर कार्यरत है। बाकी इनसाइडर अधिकारी बर्फ में है। कुछ ऐसा ही हाल राजस्थान के आईएएस अफसरों का भी है। ज्यादातर महत्वपूर्ण पदों पर राजस्थान के बाहर के अफसर ही काबिज है।

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आईपीएस लिस्ट का बेसब्री से इंतजार 

राजस्थान में आईपीएस अफसरों की सूची का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। आईपीएस की सूची आने के बाद ही तय होगा कि सरकार राजस्थान के मूल निवासी अफसरों को कितनी तवज्जो मिलती है। चर्चा है कि इस सूची में भी महत्वपूर्ण पदों पर बाहरी आईपीएस अफसरों को ही बैठाया जा सकता है। सूची आने से पहले एसीबी डीजी और जयपुर पुलिस कमिश्नर पद हथियाने की होड़ मची हुई है। 

माना जा रहा है कि राजस्थान मूल के अफसरों को इस सूची से कोई खास उम्मीद नही है। दूसरी ओर, पूरी तरह ऐसा भी नही है कि सभी गैर राजस्थानी सभी अफसर मजे कर रहे हो। आईपीएस भूपेंद्र साहू, मालिनी अग्रवाल और सुष्मिता विश्वास जैसे अफसर लॉबिंग के अभाव में योग्य होते हुए भी बर्फ में हैं।

FAQ

1. क्या राजस्थान में पुलिस विभाग के पदों पर सिर्फ गैर राजस्थानी अफसरों की नियुक्ति होती है?
नहीं, हालांकि राज्य में बाहरी अफसरों की नियुक्ति पर सवाल उठते हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण पदों पर राजस्थान के मूल निवासी अफसर भी कार्यरत हैं।
2. राजस्थान में डीजीपी पद का चयन कैसे होता है?
डीजीपी का चयन यूपीएससी के द्वारा किया जाता है। राज्य सरकार 10 अफसरों का पैनल भेजती है, और यूपीएससी इन अधिकारियों में से तीन का चयन करती है, जिनमें से एक को डीजीपी बनाया जाता है।
3. क्या भविष्य में राजस्थान के मूल निवासी अफसर को डीजीपी पद मिलेगा?
सूत्रों के मुताबिक, अगर सब कुछ सही रहता है, तो राजस्थान के कुछ अफसर जैसे आईपीएस राजेश निर्वाण और गोविंद गुप्ता को डीजीपी पद मिल सकता है।

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