राजस्थान में कृत्रिम बारिश का होगा प्रयोग, रामगढ़ बांध को करेंगे फिर से जिन्दा
राजस्थान में जयपुर के रामगढ़ बांध में कृत्रिम बरसात (क्लाउड सीडिंग) की तैयारी, ड्रोन और एआई तकनीक से बारिश का नया प्रयोग। देखिए इसके प्रभाव और सफलता की उम्मीदें।
पिछले दो दशकों से अधिक समय से सतही जल की कमी से जूझ रहा राजस्थान (Rajasthan) में जयपुर के रामगढ़ बांध को अब कृत्रिम बारिश (Cloud Seeding) के जरिए भरने की योजना पर काम कर रहा है। इस प्रयास का उद्देश्य बांध के जल स्तर को बढ़ाना है, जो लंबे समय से सूखा पड़ा हुआ था। अगस्त महीने में इस प्रयोग के सफल होने की उम्मीद है, और यदि यह सफल रहा, तो यह राज्य और देश के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा।
कृषि विभाग ने इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए एक अमेरिकी कंपनी को जिम्मेदारी दी है। इस कंपनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक जयपुर में पहुंचकर इस प्रयोग की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए हजारों फीट की ऊंचाई पर ड्रोन उड़ाए जाएंगे और सोडियम क्लोराइड जैसे रसायन बादलों में डाले जाएंगे, जिससे बादल बरसात के रूप में बदलेंगे। यह प्रयोग शायद भारत में पहली बार ड्रोन और एआई तकनीक के संयोजन से किया जाएगा।
क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तरीका है जिसमें मौसम में बदलाव लाने के लिए कृत्रिम बारिश करवाई जाती है।
सोडियम क्लोराइड, सिल्वर आयोडाइड और रड्राई आइस जैसे रसायनों का उपयोग करके बादलों में पानी की बूंदें जमा करवाई जाती हैं।
यह तब सफल होता है जब वायुमंडल में बादल और हवा में पर्याप्त नमी होती है।
राजस्थान में कृत्रिम बारिश के लिए ड्रोन कहां से मंगाए जा रहे हैं?
इसमें पहली बार ताइवान से मंगवाए गए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा, जो पहले हवाई जहाजों द्वारा किया जाता था। इस तकनीकी प्रयोग के लिए, जयपुर जिला प्रशासन, जल संसाधन विभाग, मौसम विभाग, और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बैठक की है। अभी दिल्ली से डॉयरेक्टर जनरल सिविल एविएशन (DGCA) से अप्रूवल का इंतजार है।
भारत में क्लाउड सीडिंग का प्रयोग नया नहीं है। सबसे पहला प्रयोग 1951 में केरल के पश्चिमी घाटों में किया गया था, जब टाटा फर्म ने इस तकनीक का उपयोग किया। इसके बाद, कई राज्यों में धुंध और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग के प्रयोग किए गए हैं, जैसे कि महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटका और दिल्ली में।
कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीना ने जून में इस परियोजना के लिए अमरीकी कंपनी के साथ बैठक की थी। यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो अगले कुछ दिनों तक लगातार कृत्रिम बरसात की जाएगी, जिससे बांध का जल स्तर बढ़ सके। इस प्रयोग के परिणामों का पूरा डेटा एक महीने तक रिकॉर्ड किया जाएगा, और भविष्य में इसी डेटा के आधार पर अन्य स्थानों पर कृत्रिम बरसात के प्रयोग किए जा सकते हैं।
FAQ
1. राजस्थान के रामगढ़ बांध में कृत्रिम बरसात कैसे की जाएगी?
रामगढ़ बांध में कृत्रिम बरसात के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें सोडियम क्लोराइड बादलों में डाला जाएगा, जिससे वे बरसात बनेंगे।
2. क्या यह पहली बार है जब भारत में कृत्रिम बरसात के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है?
जी हां, भारत में यह पहला मौका है जब कृत्रिम बरसात के लिए ड्रोन और एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
3. भारत में क्लाउड सीडिंग का इतिहास क्या है?
भारत में क्लाउड सीडिंग का पहला प्रयोग 1951 में केरल में किया गया था। इसके बाद विभिन्न राज्यों जैसे दिल्ली में इसका उपयोग वायुप्रदूषण और धुंध को कम करने के लिए किया गया है।