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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (उदयपुर) की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा द्वारा औरंगजेब पर दिया गया बयान अब पूरे राज्य में विवाद का कारण बन चुका है। इस बयान पर विरोध बढ़ता जा रहा है। अब भीलवाड़ा में भी इस पर गंभीर आपत्तियां जताई जा रही हैं। कोटा यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रो. बीपी सारस्वत ने भी इस बयान को लेकर आपत्ति जताते हुए प्रो. मिश्रा से इस्तीफे की मांग की है।
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प्रो. सारस्वत बोले-मेवाड़ का अपमान
भीलवाड़ा में एक कार्यक्रम के दौरान प्रो. सारस्वत ने प्रो. मिश्रा के बयान को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह बयान मेवाड़ क्षेत्र का अपमान है। प्रो. सारस्वत ने यह भी कहा कि औरंगजेब एक आक्रांता था, जिसने तलवार के बल पर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया था। इस बयान के बाद उन्होंने कहा कि प्रो. मिश्रा को केवल माफी नहीं, बल्कि इस्तीफा देना चाहिए और पश्चाताप करना चाहिए।
12 सितंबर को दिया विवादित बयान
12 सितंबर को गुरुनानक कॉलेज में आयोजित एक सेमिनार में प्रोफेसर मिश्रा ने औरंगजेब को एक कुशल प्रशासक के रूप में पेश किया था। इस बयान के बाद से मेवाड़ और अन्य क्षेत्रों में विरोध बढ़ गया। छात्र संगठनों ने इसे गलत ठहराया और मांग की कि उन्हें पद से हटा दिया जाए। हालांकि इस विवाद के बाद प्रोफेसर मिश्रा ने माफी भी मांगी, लेकिन छात्रों का कहना है कि माफी काफी नहीं है। उनका कहना है कि माफी के बाद भी उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए।
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एबीवीपी का विरोध और मांग
वहीं छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र लगातार इस बयान के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। एबीवीपी ने कहा कि प्रोफेसर मिश्रा का इस्तीफा ही एकमात्र समाधान है। उनका कहना है कि केवल छुट्टी पर भेजने से समस्या का समाधान नहीं होगा। छात्रों की मांग है कि जब तक कुलपति को हटाया नहीं जाएगा, तब तक विश्वविद्यालय के कॉलेज नहीं खुलेंगे।
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प्रो. मिश्रा को 30 दिन की छुट्टी पर भेजा
प्रो. मिश्रा के विवादित बयान के बाद राजस्थान सरकार ने उन्हें 30 दिन की छुट्टियों पर भेजने का आदेश दिया है। यह कदम विवाद को शांत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन छात्रों और राजनीतिक दलों की मांग है कि उन्हें पद से हटा दिया जाए।
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क्या है राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ?
राज्य की राजनीति में यह मुद्दा गंभीर रूप से उभरकर सामने आया है। औरंगजेब पर दिए गए बयान ने न केवल शैक्षिक समुदाय में विवाद पैदा किया है, बल्कि यह पूरे राज्य के राजनीतिक माहौल को भी प्रभावित कर रहा है। विपक्षी दल और छात्र संगठन इस मुद्दे को सख्ती से उठा रहे हैं, जबकि भाजपा के नेताओं का कहना है कि इस प्रकार के बयान समाज में असहमति और तनाव पैदा कर सकते हैं।