औरंगजेब विवाद: एमएलएसयू की वाइस चांसलर सुनीता मिश्रा ने मांगी माफी, विरोध अभी नहीं थमा

औरंगजेब की प्रशंसा वाले बयान पर राजस्थान में विवाद उठने के बाद एमएलएसयू की वाइस चांसलर सुनीता मिश्रा ने माफी मांगी। इसके बावजूद, विभिन्न संगठन उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

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Gyan Chand Patni
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मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (एमएलएसयू) की वाइस चांसलर प्रो. सुनीता मिश्रा ने मुगल सम्राट औरंगजेब को "महान प्रशासक" कहने पर माफी मांगी, लेकिन उनके बयान के बाद विरोध प्रदर्शन जारी रहे। भाजपा, एबीवीपी और करणी सेना ने उनके बयान को लेकर तीव्र प्रतिक्रिया दी और इस्तीफे की मांग की।

विवाद की शुरुआत

राजस्थान के उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में 12 सितंबर को एक सेमिनार आयोजित किया गया था, जहां प्रो. सुनीता मिश्रा ने औरंगजेब की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी प्रशासनिक क्षमता महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान जैसे महान योद्धाओं से कम नहीं थी। यह बयान विवाद का कारण बन गया, क्योंकि यह टिप्पणी मेवाड़ के लोगों, विशेष रूप से राजपूत समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाली मानी गई।

प्रोफेसर मिश्रा की यह टिप्पणी तुरंत ही राजनीतिक संगठनों और छात्र समूहों के विरोध का कारण बन गई। भाजपा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और करणी सेना ने इस टिप्पणी को "हिंदू धर्म को नुकसान पहुंचाने वाली" और "मेवाड़ की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली" करार दिया।

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माफी की घोषणा

विरोध के बाद, प्रो. सुनीता मिश्रा ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने अपनी टिप्पणी से हुए आक्रोश के लिए मेवाड़ के लोगों, विशेष रूप से करणी सेना और एबीवीपी से माफी मांगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि, "इस मामले को अब खत्म मान लिया जाना चाहिए।" उन्होंने एक पत्र में भी माफी मांगी।

हालांकि, माफी के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी रहे, और छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में आकर विरोध किया।  

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राजनीतिक प्रतिक्रिया और बढ़ता विवाद

राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे "माओवादी विचारधारा" से प्रभावित बताया और सवाल उठाया कि मिश्रा किसे महिमामंडित करने की कोशिश कर रही हैं। खराड़ी ने कहा, "उदयपुर के लोग इन टिप्पणियों से बेहद आहत हैं और राज्य सरकार को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।"

साथ ही, उदयपुर के सांसद मन्ना लाल रावत ने भी मिश्रा के इस्तीफे की मांग की और उन पर "राष्ट्रहित के खिलाफ काम करने" का आरोप लगाया।

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जांच के लिए समिति गठित

इस बीच राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागड़े ने मोहन लाल सुखिाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर की कुलगुरू सुनिता मिश्रा के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच के लिए उदयपुर के सम्भागीय आयुक्त की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी को जल्द से जल्द जांच करके राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए है। 

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मिश्रा के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच इस्तीफे की मांग

प्रोफेसर मिश्रा ने 2023 में अशोक गहलोत के शासनकाल के दौरान एमएलएसयू की कुलपति के रूप में पदभार संभाला था, और अब जब उनके कार्यकाल के तीन सालों में आठ महीने बाकी हैं, उन्हें इस्तीफे की मांग का सामना करना पड़ रहा है।

करणी सेना और एबीवीपी की कड़ी प्रतिक्रिया

राजस्थान में करणी सेना और एबीवीपी ने इस विवाद को ""धार्मिक अपमान" के रूप में लिया। करणी सेना ने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे प्रतिष्ठित और सम्मानित योद्धा की तुलना औरंगजेब से करना पूरी तरह से अपमानजनक है।

इसके अलावा, एबीवीपी ने इस विवाद को केवल प्रशासनिक विवाद से कहीं अधिक बताया और इसे "राजनीतिक और सांस्कृतिक सम्मान का मुद्दा" करार दिया। उनका कहना था कि ऐसी टिप्पणी से राजस्थान की स्थानीय संस्कृति और पहचान को नुकसान पहुंचता है।

विश्वविद्यालय परिसर में विरोध

एमएलएसयू में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। छात्रों ने विरोध के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रोफेसर मिश्रा के खिलाफ नारेबाजी की। विरोध का मुख्य कारण यह था कि औरंगजेब जैसे विवादास्पद सम्राट की प्रशंसा कर मेवाड़ की संस्कृति और राजपूत समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई। 

मुगल शासक औरंगजेब पर प्रो. सुनीता मिश्रा का विवादित बयान राजपूत समाज में नाराजगी का कारण बन गया। हालात संभालने के लिए प्रो. सुनीता मिश्रा ने मांगी माफी, लेकिन अब भी मामला शांत नहीं हुआ है।

FAQ

1. औरंगजेब को 'महान प्रशासक' कहने पर विरोध क्यों हुआ?
यह बयान मेवाड़ के लोगों, खासकर राजपूत समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाला था। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान राजपूतों और हिंदू धर्म पर उनकी नीति को लेकर विवाद रहा है, और इस कारण यह बयान बहुत ही विवादास्पद साबित हुआ।
2. प्रो. सुनीता मिश्रा ने माफी क्यों मांगी?
प्रोफेसर मिश्रा ने अपनी टिप्पणी से उपजे विरोध और आक्रोश को शांत करने के लिए माफी मांगी। उन्होंने मेवाड़ के लोगों, विशेष रूप से करणी सेना और एबीवीपी से माफी मांगी और कहा कि इस मुद्दे को अब खत्म मान लिया जाना चाहिए।
3. इस विवाद से एमएलएसयू को क्या नुकसान हो सकता है?
इस विवाद से विश्वविद्यालय की छवि को नुकसान हो सकता है। विद्यार्थियों और राजनीतिक संगठनों के विरोध के कारण विश्वविद्यालय में अस्थिरता और विरोध बढ़ सकता है। यह विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कामकाज को प्रभावित कर सकता है।

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