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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान के अजमेर शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया। एक महिला ने अपनी तीन साल की बेटी काव्या को आनासागर झील में फेंककर उसकी जान ले ली। यह घटना बुधवार देर रात को आनासागर के गौरव पथ पर हुई, जब महिला अपनी बच्ची को लेकर झील के किनारे आई और उसे मौत के घाट उतार दिया।
इस घटना की जानकारी पुलिस को सुबह 10:30 बजे तब मिली, जब मासूम बच्ची का शव आनासागर झील की सतह पर तैरता हुआ मिला। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गोताखोरों की मदद से शव को निकाला और जांच शुरू की। इस मामले में महिला को गिरफ्तार कर लिया गया, और जांच जारी है।
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आनासागर झील में शव की बरामदगी
पुलिस को सुबह सूचना मिली कि देवनारायण शिव मंदिर के पास आनासागर झील में एक शव तैरता हुआ है। पुलिस ने तुरंत घटना स्थल पर पहुंचकर गोताखोरों की मदद से शव को निकाला। शव की पहचान बाद में काव्या (3) के रूप में हुई। यह शव झील के उस स्थान पर मिला था जहां रेलिंग नहीं थी, जिससे यह संदेह हुआ कि यह एक हत्या का मामला हो सकता है। (मां ने की बेटी की हत्या) पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला और महिला के खिलाफ केस को और गंभीर रूप से जांचना शुरू किया। इस घटना के खुलासे के बाद, पुलिस ने महिला और उसके लिव-इन पार्टनर को गिरफ्तार कर लिया।
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वारदात का खुलासा
सीओ नॉर्थ रुद्रप्रकाश शर्मा ने बताया कि पुलिस ने शुकलपुरा इलाके में महिला अंजलि उर्फ प्रिया और उसके लिव-इन पार्टनर अल्केश गुप्ता को बुधवार तड़के चार बजे देखा। दोनों संदिग्ध स्थानों पर घूमते हुए दिखे। पूछताछ के दौरान, महिला ने अपनी बच्ची काव्या की गुमशुदगी की बात बताई।
इसके बाद पुलिस ने अभय कमांड सेंटर और क्षेत्रीय सीसीटीवी कैमरों की जांच की। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि मंगलवार रात 10:39 बजे से 1:27 बजे तक महिला अपनी बच्ची के साथ चौपाटी पर घूमती हुई दिखी। कुछ देर बाद, महिला अकेले मोबाइल चलाती हुई दिखाई दी। जब पुलिस ने इन बयानों में विरोधाभास पाया और संतोषजनक जवाब नहीं मिले, तो उन्होंने मामले को संदिग्ध माना और गहन जांच शुरू की।
महिला ने बच्ची को कैसे मारा?
पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ कि महिला ने पहले अपनी बच्ची काव्या को सुलाया। जब बच्ची गहरी नींद में थी, तो महिला ने उसे चौपाटी के उस स्थान से फेंक दिया जहां कोई रेलिंग नहीं थी और झील में डूबने के लिए छोड़ दिया (मां ने बेटी को आनासागर में धकेला)। पुलिस का मानना है कि महिला ने यह हत्या की योजना पहले से बनाई थी और उसके बाद ही उसने अपने लिव-इन पार्टनर अल्केश को घटनास्थल पर बुलाया।
अल्केश और महिला ने करीब आधे घंटे बाद बच्ची को खोजने का नाटक किया, ताकि किसी को शक न हो सके। पुलिस ने महिला और अल्केश को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
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महिला की पृष्ठभूमि
अंजली सिंह उर्फ प्रिया, जो बनारस की रहने वाली थी, का विवाह राजूसिंह नामक व्यक्ति से हुआ था। पारिवारिक विवाद और आर्थिक समस्याओं के कारण वह मानसिक अवसाद का शिकार हो गई थी। अपनी बेटी काव्या को लेकर वह घर छोड़कर अजमेर आ गई और यहां पर अल्केश गुप्ता के साथ लिव-इन में रहने लगी।
राजूसिंह ने बनारस में पुलिस को अपनी पत्नी और बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दी थी, और इस मामले में अब पुलिस अल्केश की भूमिका की भी जांच कर रही है। यह घटना यह दर्शाती है कि मानसिक तनाव और पारिवारिक समस्याओं के कारण किसी व्यक्ति को किस हद तक नुकसान पहुँचाया जा सकता है।
पुलिस जांच और आगे की कार्यवाही
पुलिस ने अजमेर में बच्ची की हत्या मामले में त्वरित जांच की और आरोपी महिला अंजली को गिरफ्तार कर लिया। उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने अल्केश गुप्ता से भी पूछताछ शुरू की। पुलिस की प्राथमिक जांच में यह पता चला है कि महिला ने अपनी मानसिक स्थिति को ठीक से संभाल नहीं पाया था और इस कारण से उसने अपनी मासूम बेटी की जान ले ली।
पुलिस ने इस मामले में महिला के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है।
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पारिवारिक विवाद और मानसिक तनाव
अंजली का मानसिक तनाव और पारिवारिक विवाद उसकी इस भयावह घटना को अंजाम देने का कारण बन गए। उसके जीवन में तनाव, अकेलापन और आर्थिक परेशानियों ने उसे सही निर्णय लेने से रोक दिया। यह घटना समाज में मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को रेखांकित करती है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए समाज और परिवारों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझना होगा और इसके प्रति संवेदनशील होना होगा।
समाज की जिम्मेदारी
इस घटना ने अजमेर और पूरे राज्य को झकझोर दिया है। इस तरह की घटनाएँ समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी और मानसिक स्वास्थ्य पर विचार करने की आवश्यकता को उजागर करती हैं। बच्चों के प्रति जिम्मेदारी, परिवारों के बीच संवाद और सही मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, इस घटना ने यह भी साबित किया कि समाज और परिवारों को किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर नजर रखनी चाहिए और उन्हें समय पर सहायता प्रदान करनी चाहिए।