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Photograph: (TheSootr)
Bharatpur Former Royal Family Dispute : राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित मोतीमहल (Moti Mahal) पर ध्वज को लेकर मचा विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व मंत्रीविश्वेन्द्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाया है कि रात के समय कुछ असामाजिक तत्वों ने मोती महल की छत पर घुसपैठ की और जानबूझकर ध्वज को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व राजपरिवार की विरासत पर हमला किया गया। इस घटना ने भरतपुर और डीग जिले के स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस आक्रमण के कारण, मोती महल और राजपरिवार की मान्यताओं और सम्मान पर सीधा असर पड़ा है। आइए TheSootr में जानते हैं इस पूरी घटना के बारे में और अनिरुद्ध सिंह द्वारा किए गए आरोपों को विस्तार से।
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कल रात कुछ गुंडों ने मोती महल पैलेस के परिसर में घुसपैठ की और जानबूझकर तोड़फोड़ की। इन दुराचारी प्रयासों का लक्ष्य महल की छत पर लगे ध्वजस्तम्भ को नुकसान पहुँचाना था — जो हमारी विरासत और सम्मान का प्रतीक है। ध्वजस्तम्भ को सहारा देने वाली धातु की तारें जानबूझकर काट दी गईं, जैसा… pic.twitter.com/2pHZ3pxhnb
— Anirudh D. Bharatpur (@thebharatpur) September 17, 2025
ध्वज को नुकसान पहुंचाने की कोशिश
अनिरुद्ध सिंह ने सोशल मीडिया के जरिए इस घटना का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कुछ असामाजिक तत्वों ने रात के समय मोती महल परिसर में घुसपैठ की और ध्वज स्तम्भ को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की। उनके अनुसार, इन तत्वों ने ध्वज को फाड़ने के लिए धारदार तारों का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, ध्वज स्तम्भ को सहारा देने वाली धातु की तारें जानबूझकर काट दी गईं।
अनिरुद्ध सिंह ने इसे घृणित हमला बताया और कहा कि इस प्रकार के कृत्य शर्मनाक, अस्वीकार्य और बर्दाश्त से बाहर हैं। उनका कहना है कि इस कृत्य का उद्देश्य केवल ध्वज और विरासत का अपमान करना था। उनका यह भी कहना था कि ऐसे कृत्य हमारे पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर पर सीधा हमला हैं।
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मोतीमहल ध्वज विवाद क्या है?
राजस्थान का भरतपुर इन दिनों उबाल पर है। वजह कोई सियासी या सामाजिक नहीं, बल्कि भरतपुर की पूर्व रियासत की परंपराओं से जुड़ी है। विवाद तब उठा, जब पूर्व राजघराने के सदस्य अनिरुद्ध सिंह ने मोती महल पर रियासतकालीन ध्वज उतार कर नया झंड़ा लगा दिया। हालांकि, अनिरुद्ध का दावा है कि ध्वज भरतपुर स्टेट का ही है, लेकिन लोगों का आरोप है कि ध्वज बदल दिया गया है। इस विवाद ने अब उग्र रूप धारण कर लिया है। इसने खासकर सिनसिनवार जाट समुदाय को उद्वेलित कर दिया है। इस मामले पर इतनी तीखी प्रतिक्रिया हुई कि 29 अगस्त को भरतपुर के ऐतिहासिक गांव सिनसिनी में सर्वसमाज की महापंचायत हुई। इसमें पुरातन धरोहर संरक्षण समिति के अध्यक्ष दिनेश सिनसिनी के नेतृत्व में आरोप लगाया कि अनिरुद्ध सिंह ने मोती महल से भरतपुर स्टेट का ध्वज उतार कर समस्त सरदारी (बिरादरी) का अपमान किया है। भरतपुर रियासत के सम्मान को बनाए रखने के लिए भरतपुर की समस्त सरदारी 21 सितंबर को महल पर वापस झंडा फहराएगी।
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21 सितंबर तक गलती सुधारने का अल्टीमेटम
सिनसिनी गांव के सरपंच राजाराम कहते हैं कि 21 सितंबर तक हम अनिरुद्ध को भरतपुर स्टेट का झंडा फहरा कर अपनी गलती सुधारने का मौका दे रहे हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते तो समस्त सरदारी महल पर झंडा लगाने के लिए आगे आएगी। महापंचायत के बाद भरतपुर के लोगों की तरफ से कलक्टर और एसपी को ज्ञापन देकर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा गया है। हालांकि, जिला प्रशासन के एक अधिकारी का कहना है कि सरकार पूर्व राजपरिवार के झंडे को लेकर सीधे कोई कदम उठाने में असमर्थ है। हम इस बात पर नजर रखे हुए हैं कि इस मामले को लेकर कानून व्यवस्था प्रभावित न हो।
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सिनसिनी गांव से हैं राजपरिवार का निकास
भरतपुर के लोग खासकर सिनसिनवार जाट समुदाय का यहां के पूर्व राजपरिवार से आज भी खास लगाव है। यह समुदाय पूर्व राजपरिवार में अपनी परंपराओं और सम्मान को देखता है। भरतपुर रियासत पर सिनसिनवार जाट राजाओं का ही आधिपत्य रहा है। भरतपुर राजपरिवार का निकास सिनसिनी गांव से है। कहा जाता है कि इस गांव के लोग कालांतर में सिनसिनवार जाट कहलाए। महाराजा सूरजमल को भरतपुर रियासत का आदर्श राजा माना जाता है।
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संपत्ति विवाद से लिखी पटकथा
विवाद सिर्फ ध्वज उतरने तक नहीं है। इसकी पटकथा करीब चार साल पहले भरतपुर के पूर्व राजपरिवार में संपत्ति को लेकर छिड़ी जंग से लिखना शुरू हो गई थी। संपत्ति विवाद में पूर्व मंत्री और भरतपुर के पूर्व शासक सवाई बृजेन्द्र सिंह के पुत्र विश्वेन्द्र सिंह परिवार में अलग-थलग पड़ गए, जबकि उनकी पत्नी और पूर्व सांसद दिव्या सिंह और पुत्र अनिरुद्ध सिंह एक साथ हो गए। हालात तब अधिक बिगड़ गए, जब पत्नी और पुत्र ने विश्वेन्द्र सिंह को घर से निकाल दिया और मोती महल पर कब्जा जमा लिया। मोती महल भरतपुर के पूर्व राजपरिवार का मुख्य निवास है।
भरतपुर रियासत के झंडा विवाद में गई थी राजा मानसिंह की जानवर्ष 1985 में राजस्थान विधानसभा चुनाव हो रहे थे। विश्वेन्द्र सिंह के चाचा राजा मानसिंह डीग से निर्दलीय प्रत्याशी थे और कांग्रेस के प्रत्याशी सेवानिवृत्त आईएएस ब्रजेंद्रसिंह थे। कांग्रेस के पक्ष में सभा करने 20 फरवरी 1985 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर डीग आए थे। बताया जाता है कि कांग्रेस समर्थकों ने किले में लक्खा तोप के पास लगे राजा मानसिंह के रियासतकालीन झंडे को हटाकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया था। इससे राजा मानसिंह नाराज हो गए। FIR के अनुसार राजा मानसिंह ने चौड़ा बाजार में लगे तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के सभा मंच को जोंगा (वाहन) की टक्कर से तोड़ दिया। इसके बाद वे हायर सेकंडरी स्कूल पहुंचे और सीएम के हेलीकॉप्टर को टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई। इसके बाद हुए घटनाक्रम में पुलिस फायरिंग में राजा मानसिंह की मौत हो गई थी। | |
ध्वज बदलना मतलब हार स्वीकारना
मोती महल से भरतपुर स्टेट का ध्वज बदलने के मामले ने आग में घी का काम किया। इस घटना ने भरतपुर के सिनसिनवार जाट समुदाय को काफी बेचैन कर दिया। अनिरुद्ध के खिलाफ उनका गुस्सा सामने आने लगा। राष्ट्रीय लोकदल के जिला अध्यक्ष एडवोकेट संतोष फौजदार कहते हैं कि इतिहास में भरतपुर अजेय रहा है। मुगल हों या अंग्रेज, किसी के सामने भरतपुर न कभी झुका और न कभी हारा। उनके अनुसार ध्वज तब उतारा जाता है, जब कोई दूसरी स्टेट हमारी स्टेट पर जीत हासिल कर लेवे। ध्वज उतारने का कृत्य भरतपुर को अपमानित करने जैसा है। वहीं, पूर्व सांसद और वयोवृद्ध समाजवादी नेता पं. रामकिशन ने भी संतोष फौजदार का समर्थन किया।
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कानून व्यवस्था पर रख रहे नजर
फिलहाल, मोतीमहल भरतपुर झंडा विवाद पर उच्च स्तर पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। एक उच्च स्तरीय अधिकारी ने कहा कि हम भरतपुर की कानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं देंगे। इसके लिए जो भी जरूरी कदम होंगे, उसे आवश्यक रूप से उठाए जाएंगे।