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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान का भरतपुर इन दिनों उबाल पर है। वजह कोई सियासी या सामाजिक नहीं, बल्कि भरतपुर की पूर्व रियासत की परंपराओं से जुड़ी है। विवाद तब उठा, जब पूर्व राजघराने के सदस्य अनिरुद्ध सिंह ने मोती महल पर रियासतकालीन ध्वज उतार कर नया झंड़ा लगा दिया। हालांकि, अनिरुद्ध का दावा है कि ध्वज भरतपुर स्टेट का ही है, लेकिन लोगों का आरोप है कि ध्वज बदल दिया गया है।
इस विवाद ने अब उग्र रूप धारण कर लिया है। इसने खासकर सिनसिनवार जाट समुदाय को उद्वेलित कर दिया है। इस मामले पर इतनी तीखी प्रतिक्रिया हुई कि 29 अगस्त को भरतपुर के ऐतिहासिक गांव सिनसिनी में सर्वसमाज की महापंचायत हुई। इसमें पुरातन धरोहर संरक्षण समिति के अध्यक्ष दिनेश सिनसिनी के नेतृत्व में आरोप लगाया कि अनिरुद्ध सिंह ने मोती महल से भरतपुर स्टेट का ध्वज उतार कर समस्त सरदारी (बिरादरी) का अपमान किया है। भरतपुर रियासत के सम्मान को बनाए रखने के लिए भरतपुर की समस्त सरदारी 21 सितंबर को महल पर वापस झंडा फहराएगी।
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21 सितंबर तक गलती सुधारने का अल्टीमेटम
सिनसिनी गांव के सरपंच राजाराम कहते हैं कि 21 सितंबर तक हम अनिरुद्ध को भरतपुर स्टेट का झंडा फहरा कर अपनी गलती सुधारने का मौका दे रहे हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते तो समस्त सरदारी महल पर झंडा लगाने के लिए आगे आएगी। महापंचायत के बाद भरतपुर के लोगों की तरफ से कलक्टर और एसपी को ज्ञापन देकर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा गया है। हालांकि, जिला प्रशासन के एक अधिकारी का कहना है कि सरकार पूर्व राजपरिवार के झंडे को लेकर सीधे कोई कदम उठाने में असमर्थ है। हम इस बात पर नजर रखे हुए हैं कि इस मामले को लेकर कानून व्यवस्था प्रभावित न हो।
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ध्वज बदलने से विवाद में आए अनिरुद्ध सिंह ने विरोध कर रहे लोगों के अल्टीमेटम स्वीकार करते हुए एक वीडियो संदेश में कहा है कि यह लोकतंत्र है। मैं घर पर कोई भी झंडा लगा सकता हूं, बशर्ते वह गैर कानूनी न हो। जो लोग झंड़े के रंगों को लेकर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें इतिहास की जरा भी जानकारी नहीं है। मेरे बारे में अनर्गल बातें करने वालों के बारे में उच्च स्तर पर सरकार, पुलिस और प्रशासन को जानकारी दे दी है। इस मामले में विश्वेन्द्र सिंह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
सिनसिनी गांव से हैं राजपरिवार का निकास
भरतपुर के लोग खासकर सिनसिनवार जाट समुदाय का यहां के पूर्व राजपरिवार से आज भी खास लगाव है। यह समुदाय पूर्व राजपरिवार में अपनी परंपराओं और सम्मान को देखता है। भरतपुर रियासत पर सिनसिनवार जाट राजाओं का ही आधिपत्य रहा है। भरतपुर राजपरिवार का निकास सिनसिनी गांव से है। कहा जाता है कि इस गांव के लोग कालांतर में सिनसिनवार जाट कहलाए। महाराजा सूरजमल को भरतपुर रियासत का आदर्श राजा माना जाता है।
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संपत्ति विवाद से लिखी पटकथा
विवाद सिर्फ ध्वज उतरने तक नहीं है। इसकी पटकथा करीब चार साल पहले भरतपुर के पूर्व राजपरिवार में संपत्ति को लेकर छिड़ी जंग से लिखना शुरू हो गई थी। संपत्ति विवाद में पूर्व मंत्री और भरतपुर के पूर्व शासक सवाई बृजेन्द्र सिंह के पुत्र विश्वेन्द्र सिंह परिवार में अलग-थलग पड़ गए, जबकि उनकी पत्नी और पूर्व सांसद दिव्या सिंह और पुत्र अनिरुद्ध सिंह एक साथ हो गए। हालात तब अधिक बिगड़ गए, जब पत्नी और पुत्र ने विश्वेन्द्र सिंह को घर से निकाल दिया और मोती महल पर कब्जा जमा लिया। मोती महल भरतपुर के पूर्व राजपरिवार का मुख्य निवास है।
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भरतपुर रियासत के झंडा विवाद में गई थी राजा मानसिंह की जानवर्ष 1985 में राजस्थान विधानसभा चुनाव हो रहे थे। विश्वेन्द्र सिंह के चाचा राजा मानसिंह डीग से निर्दलीय प्रत्याशी थे और कांग्रेस के प्रत्याशी सेवानिवृत्त आईएएस ब्रजेंद्रसिंह थे। कांग्रेस के पक्ष में सभा करने 20 फरवरी 1985 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर डीग आए थे। बताया जाता है कि कांग्रेस समर्थकों ने किले में लक्खा तोप के पास लगे राजा मानसिंह के रियासतकालीन झंडे को हटाकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया था। इससे राजा मानसिंह नाराज हो गए। FIR के अनुसार राजा मानसिंह ने चौड़ा बाजार में लगे तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के सभा मंच को जोंगा (वाहन) की टक्कर से तोड़ दिया। इसके बाद वे हायर सेकंडरी स्कूल पहुंचे और सीएम के हेलीकॉप्टर को टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई। इसके बाद हुए घटनाक्रम में पुलिस फायरिंग में राजा मानसिंह की मौत हो गई थी। | |
बेदखली के समय विश्वेन्द्र थे मंत्री
विश्वेन्द्र सिंह को जब मोतीमहल भरतपुर से बेदखल किया गया, उस समय वे पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में मंत्री थे। बेदखली के बाद से अब वे भरतपुर में किराए के घर में अकेले रह रहे हैं। समय के साथ संपत्ति की लड़ाई इतनी पेचीदी हो गई कि पिता-पुत्र ने भरतपुर में एक-दूजे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा रखी हैं। इतना ही नहीं, पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र ने अपनी पत्नी और पुत्र के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में भरण-पोषण का मामला भी दाखिल कर रखा है।
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निजी मामले में नहीं बोले लोग
मोतीमहल भरतपुर झंडा विवाद को लेकर लोगों का कहना है कि पूर्व राजपरिवार का संपत्ति विवाद पारिवारिक मामला (Bharatpur Former Royal Family Dispute) है, इसलिए इसमें किसी ने भी दखल नहीं दिया। लेकिन, नाराजगी तब सामने आई, जब कुछ महीने से अनिरुद्ध सिंह ने सोशल मीडिया पर यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि भरतपुर राजपरिवार का संबंध करौली के जादौन राजपूत राजवंश से है। कहते हैं कि इस बयान के बाद सिनसिनवार जाट समुदाय की भावनाएं आहत होने लगी। उनका तर्क रहा कि भरतपुर राजपरिवार का निकास सिनसिनी जाटवंश से माना जाता है। हमारा राजपूत राजवंश से कोई ताल्लुक नहीं रहा है। भरतपुर राजघराना जाटवंशी रहा। उसका करौली के जादौन राजपूत वंश से कभी कोई संबंध नहीं है।
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ध्वज बदलना मतलब हार स्वीकारना
मोती महल से भरतपुर स्टेट का ध्वज बदलने के मामले ने आग में घी का काम किया। इस घटना ने भरतपुर के सिनसिनवार जाट समुदाय को काफी बेचैन कर दिया। अनिरुद्ध के खिलाफ उनका गुस्सा सामने आने लगा। राष्ट्रीय लोकदल के जिला अध्यक्ष एडवोकेट संतोष फौजदार कहते हैं कि इतिहास में भरतपुर अजेय रहा है। मुगल हों या अंग्रेज, किसी के सामने भरतपुर न कभी झुका और न कभी हारा। उनके अनुसार ध्वज तब उतारा जाता है, जब कोई दूसरी स्टेट हमारी स्टेट पर जीत हासिल कर लेवे। ध्वज उतारने का कृत्य भरतपुर को अपमानित करने जैसा है। वहीं, पूर्व सांसद और वयोवृद्ध समाजवादी नेता पं. रामकिशन ने भी संतोष फौजदार का समर्थन किया।
कानून व्यवस्था पर रख रहे नजर
फिलहाल, ध्वज बदलने के विवाद पर उच्च स्तर पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। एक उच्च स्तरीय अधिकारी ने कहा कि हम भरतपुर की कानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं देंगे। इसके लिए जो भी जरूरी कदम होंगे, उसे आवश्यक रूप से उठाए जाएंगे।