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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान सरकार शराब तस्करों पर मेहरबानी दिखाने की तैयारी में है। राज्य सरकार ने शराब तस्करी से जुड़े 5784 से अधिक मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि, यह सभी मामले सशर्त वापस लिए जाएंगे, यानी कुछ खास शर्तों के अधीन। राजस्थान गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं, जिसके तहत ये मुकदमे न्यायालयों से वापस लिए जाएंगे।
यह फैसला राज्य सरकार के विधि सचिव IAS रवि शर्मा के आदेश पर लिया गया है, और इसके तहत वित्त विभाग ने राजस्थान आबकारी अधिनियम (Rajasthan Excise Act-1950) में दर्ज प्रकरणों को सशर्त वापस लेने का निर्णय लिया है। यह फैसला उन लोगों के लिए राहत का कारण बन सकता है जिनके खिलाफ शराब तस्करी से संबंधित छोटे-मोटे मामले चल रहे थे।
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शराब तस्करों से सशर्त मामले वापस लेने के आदेश
गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं, जिनमें यह स्पष्ट किया गया है कि केवल कुछ खास शर्तों को पूरा करने वाले मामलों को ही वापस लिया जाएगा। शर्तें पूरी करने वाले कुल 5784 प्रकरणों को चिह्नित किया गया है। इन मामलों में, जिनमें 30 जून 2025 तक आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका हो, शराब तस्करी के आरोपी के खिलाफ प्रथम बार अपराध करने का मामला हो, और जिनमें बरामदगी की अधिकतम मात्रा 10 लीटर शराब की हो, उन्हें सशर्त वापस लिया जाएगा।
राज्य सरकार के शराब तस्करों से मुकदमे वापस लेने के फैसले को लेकर कई प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एक ओर, विपक्षी दलों ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे अपराधियों को बढ़ावा देने वाला करार दिया है। उनका कहना है कि इससे शराब तस्करी को और बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि अपराधियों को सजा का डर नहीं होगा।
वहीं, सत्तारूढ़ दल ने इस फैसले का समर्थन किया है और इसे एक सुधारात्मक कदम बताया है। उनका कहना है कि यह कदम जेलों पर दबाव कम करने और छोटे अपराधियों को एक नया अवसर देने के लिए उठाया गया है।
राजस्थान में शराब तस्करी के मुकदमे वापस लेंगे
इसके अलावा, इन प्रकरणों में न्यायालयों से मामले वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किए जाएंगे। इसके लिए अभियोजन विभाग के प्रदेश में उपनिदेशकों को आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही, अदालतों में सरकार की तरफ से पैरवी करने वाले संबंधित अभियोजन अधिकारियों और सहायक अभियोजन अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे इन मामलों में अदालतों से प्रकरण वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करें।
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राजस्थान में शराब तस्करों से मुकदमे वापस लेने की शर्तें क्या हैं?
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राजस्थान में शराब तस्करी के मुकदमे वापस लेने का फैसला क्यों लिया गया?
राज्य सरकार का यह निर्णय एक ऐसी प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके तहत छोटे अपराधों को कम करने और जेलों पर दबाव को कम करने की कोशिश की जा रही है। राज्य सरकार का मानना है कि जिन लोगों ने पहली बार शराब तस्करी का अपराध किया है और जिनकी बरामदगी की मात्रा भी बहुत कम है, उनके खिलाफ सख्त सजा देने के बजाय उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए।
यह फैसला राज्य के न्यायिक प्रणाली और पुलिस विभाग पर भी दबाव कम करने में मदद करेगा। राज्य की जेलों में अपराधियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, और यह कदम जेलों में क्षमता से अधिक भरने की समस्या को हल करने के लिए उठाया गया है।
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शराब तस्करों से मुकदमे वापस लेने का सामाजिक असर
राजस्थान में शराब तस्करी से जुड़े अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, और यह न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि समाज में भी इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं। शराब तस्करी से जुड़े अपराधों में छोटे अपराधियों की अधिक संख्या है, और इन छोटे अपराधों को सशर्त वापस लेने से राज्य सरकार की कोशिश यह है कि इन अपराधियों को सुधारने का मौका दिया जाए।
यह फैसला शराब तस्करी की समस्या पर काबू पाने के लिए एक नये दृष्टिकोण को दर्शाता है। सरकार का यह मानना है कि यदि किसी आरोपी ने पहली बार अपराध किया है और उसकी बरामदगी की मात्रा भी कम है, तो उसे सुधारने के बजाय कठोर सजा देना समाज के लिए लाभकारी नहीं होगा।
क्या मुकदमे वापस लेने का फैसला अपराधियों को बढ़ावा देगा?
यह सवाल राज्य सरकार के फैसले के बाद उठना स्वाभाविक है कि क्या इस तरह के फैसले से शराब तस्करी के अपराधियों को बढ़ावा मिलेगा। कई लोगों का यह कहना है कि इस तरह के फैसले से अपराधी यह सोच सकते हैं कि छोटी-मोटी तस्करी के मामलों में अगर उन पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तो वे अपराध को बढ़ावा देंगे।
हालांकि, राज्य सरकार ने इस फैसले को एक राहत देने वाली प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत किया है। सरकार का कहना है कि यह निर्णय उन अपराधियों के लिए है जिन्होंने पहली बार शराब तस्करी में लिप्त होने की गलती की है, और जिनकी बरामदगी की मात्रा भी कम है। इसके बजाय, राज्य सरकार उन अपराधियों को सजा देने के बजाय उन्हें सुधारने की कोशिश करेगी।
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5784 मामले वापस लेने के बाद का रास्ता
राज्य सरकार ने जिन 5784 मामलों को वापस लेने का फैसला किया है, उन मामलों में अब अदालत से प्रार्थना पत्र पेश किया जाएगा। यह प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है, और इन मामलों में सरकार की तरफ से पैरवी करने वाले अभियोजन अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द अदालतों में संबंधित प्रार्थना पत्र पेश करें।
इस फैसले से राज्य की न्यायिक प्रणाली पर भी दबाव कम होगा और अदालतों में लंबित मामलों की संख्या घटेगी। साथ ही, इससे उन छोटे अपराधियों को राहत मिलेगी, जिनके खिलाफ छोटी-मोटी तस्करी के मामले थे और जिन्होंने पहली बार अपराध किया था।