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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान (Rajasthan) में अब शहरों की विकास योजनाओं (City Development Plans) को विधायकों (Legislators) की राय से तय किया जाएगा। यह बदलाव राजस्थान विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों की नाराजगी और आपत्ति के बाद हुआ है। राज्य के नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा (Jhabar Singh Kharra) ने इस मामले में यूडीएच और स्वायत्त शासन विभाग को निर्देश दिया है कि किसी भी डवलपमेंट प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा करनी होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि विकास योजनाएं आमजन की भावना के अनुरूप हों और जनहित में उचित कार्य योजना बनाई जा सके।
यह निर्णय प्रदेश भर में विकास योजनाओं को और अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि जनता की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं तैयार की जा सकें। इस कदम से विधायकों को योजना निर्माण प्रक्रिया में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि वे अपने क्षेत्रों की वास्तविक जरूरतों को सही तरीके से सरकार तक पहुंचा सकें।
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विधायक गोपाल शर्मा ने विधानसभा में उठाया था मामला
राजस्थान विधानसभा में यह मामला भाजपा (BJP) विधायक गोपाल शर्मा (Gopal Sharma) ने उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि विकास योजनाओं में जनता की राय को नजरअंदाज किया जा रहा है और योजनाओं का निर्माण मुख्य रूप से अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में चर्चा हुई और इसके बाद नगरीय विकास मंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लिया।
गोपाल शर्मा के सवाल ने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को एक मंच पर लाकर यह सुनिश्चित करने का दबाव डाला कि विकास परियोजनाओं में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका सुनिश्चित की जाए। इसके बाद, मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने विभाग के प्रमुख सचिव को पत्रावली के जरिए निर्देश दिए कि सभी विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास और नगरीय निकाय अधिकारी इस व्यवस्था का पालन सुनिश्चित करें।
इस बारे में यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि जनप्रतिनिधि जनता के बीच रहता है और उसकी जरूरत को समझता है, इसलिए हर स्थानीय प्रोजेक्ट की उसे जानकारी होनी भी चाहिए। ताकि, जरूरत के आधार पर उसे तैयार करा सके। विधायकों की राय के साथ विकास परियोजना तैयार कराने के निर्देश दिए हैं।
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विकास योजनाओं में विधायकों की राय का महत्व
नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने इस संबंध में कहा कि जनप्रतिनिधि जनता के बीच रहते हैं और उनकी जरूरतों को बेहतर तरीके से समझते हैं। इसलिए, हर स्थानीय प्रोजेक्ट की उन्हें जानकारी होना चाहिए, ताकि वे जरूरत के आधार पर उसे तैयार करवा सकें। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक विकास परियोजना को विधायकों के साथ चर्चा करने के बाद ही आगे बढ़ाना चाहिए।
यह कदम खासकर उन क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण होगा जहां स्थानीय जनप्रतिनिधि और जनता के बीच मजबूत संबंध होते हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विकास योजनाएं न केवल सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप हों, बल्कि वे जनता की वास्तविक जरूरतों को भी ध्यान में रखें।
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विपक्ष का आरोप 'ब्यूरोक्रेट-ड्रिवन' विकास मॉडल
विपक्ष ने बार-बार आरोप लगाया था कि राज्य में 'ब्यूरोक्रेट-ड्रिवन' विकास मॉडल चलाया जा रहा है, जिसमें जनता की आवाज को दबाया जा रहा है। विपक्ष का यह कहना था कि विकास योजनाएं केवल अधिकारियों द्वारा बनाई जा रही हैं, जबकि विधायक और जनप्रतिनिधि इस प्रक्रिया से बाहर हैं।
विपक्ष के इस आरोप के बाद, सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उनका कहना था कि विकास योजनाओं पर कोई राय नहीं ली जाती, जबकि वे जनता से सीधे जुड़े होते हैं और उनके क्षेत्र की जरूरतों को बेहतर समझते हैं।
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प्रदेशभर में लागू होगा नया निर्देश
अब, यह व्यवस्था केवल जयपुर विकास प्राधिकरण तक सीमित नहीं रहेगी। यूडीएच राजस्थान के अनुसार इसके बाद यह दायरा पूरे प्रदेश के विकास प्राधिकरणों और नगरीय निकायों पर लागू होगा। मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि यह निर्णय राज्यभर में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है।
यह कदम प्रदेश में पारदर्शी और लोकतांत्रिक तरीके से विकास कार्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि विकास योजनाओं के निर्माण में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को उनकी जिम्मेदारी और अधिकार मिलेंगे।
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अगले एक-दो दिनों में आधिकारिक आदेश
नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने इस संबंध में विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस व्यवस्था का पालन सभी विकास प्राधिकरणों और नगरीय निकायों में सुनिश्चित किया जाए। विभाग द्वारा इस पर आधिकारिक आदेश अगले एक-दो दिनों में जारी किए जाएंगे। इसके बाद, राज्य के सभी विकास प्राधिकरणों और नगर निगमों को इस नए दिशा-निर्देश का पालन करना होगा।
सुधार की दिशा में यह कदम
यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों की दिशा में एक अहम कदम है। विकास योजनाओं में विधायकों की भागीदारी से यह सुनिश्चित होगा कि योजनाएं न केवल कागजों पर, बल्कि जमीन पर भी प्रभावी रूप से लागू हों। साथ ही, यह जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही को भी बढ़ाएगा, क्योंकि अब जनप्रतिनिधि योजनाओं के निर्माण में सीधे तौर पर शामिल होंगे। यह सुधार जनता और सरकार के बीच एक मजबूत पुल बनाने में मदद करेगा, जिससे विकास कार्यों को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।
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