राजस्थान विधानसभा में कैमरा विवाद, राज्यपाल से मिले कांग्रेस विधायक, रखी यह मांग

राजस्थान विधानसभा में विधायकों की निजता के हनन को लेकर एक गंभीर राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने स्पाई कैमरों के आरोप लगाए।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान विधानसभा में विधायकों की निजता के हनन को लेकर एक गंभीर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने विधानसभा में दो अतिरिक्त कैमरे लगाए जाने को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने इन कैमरों को 'स्पाई कैमरे' बताया और कहा कि ये कैमरे कांग्रेस विधायकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगाए गए हैं। इस मामले को लेकर कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल जूली के नेतृत्व में गुरुवार यानि 11 सितंबर 2025 को राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से मिला और उन्हें इस पूरे मामले की शिकायत करते हुए एक ज्ञापन सौंपा।

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राजस्थान विधानसभा में दो नए कैमरों के आरोप

टीकाराम जूली ने विधानसभा सत्र के दौरान सदन में यह मुद्दा उठाया। उनका सवाल था कि विधानसभा में दो नए कैमरे किसकी अनुमति से और किस फंड से लगाए गए हैं। उनका आरोप है कि ये कैमरे विधायकों की आवाज भी रिकॉर्ड करते हैं, भले ही सदन चल रहा हो या नहीं। जूली ने कहा कि विधानसभा में हमेशा से कैमरे लगे होते हैं, जिनका एक्सेस सभी के पास होता है, लेकिन ये दो नए कैमरे अलग हैं।

कैमरों की कीमत और अनियमितताएं

जूली के अनुसार, इन नए कैमरों का एक्सेस सिर्फ विधानसभा स्पीकर के पास है और इसका कंट्रोल उनके रेस्ट रूम में है। उन्होंने कहा कि ये कैमरे 'कंप्लीट रिकॉर्डिंग सिस्टम' के साथ लगाए गए हैं, जिनकी कीमत 18 लाख 46 हजार रुपए है। जूली ने यह भी दावा किया कि इन कैमरों का भुगतान विधानसभा के इमरजेंसी फंड से किया गया है, जो एक गंभीर अनियमितता है।

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'अपग्रेड' या 'अतिरिक्त कैमरे'?

जूली ने स्पीकर के इस बयान पर भी सवाल उठाया कि कैमरों को सिर्फ 'अपग्रेड' किया गया है। जूली का कहना था कि 'अपग्रेड' करना और 'अतिरिक्त कैमरे' लगाना दो अलग-अलग बातें हैं। इस मुद्दे ने विधानसभा में गंभीर विवाद पैदा कर दिया है, क्योंकि जूली का कहना था कि ये कैमरे निजी जानकारी की रिकॉर्डिंग कर रहे हैं और इससे विधायकों की निजता का उल्लंघन हो रहा है।

राज्यपाल से शिकायत कर ज्ञापन सौंपा

टीकाराम जूली के साथ उपनेता रामकेश मीणा, सचेतक रफीक खान और अन्य कांग्रेस विधायक राजभवन पहुंचे। उन्होंने राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से मुलाकात की और उन्हें इस पूरे मामले की शिकायत करते हुए एक ज्ञापन सौंपा। जूली ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को सभी सबूत और तथ्य पेश किए हैं।

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कांग्रेस ने की सर्वदलीय कमेटी की मांग

टीकाराम जूली ने राज्यपाल से मांग की कि विधानसभा को तत्काल सीज कर दिया जाए और इस मामले की जांच के लिए एक सर्वदलीय कमेटी बनाई जाए। इस कमेटी में सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ-साथ BAP, BSP और राष्ट्रीय लोकदल जैसे दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हों। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जांच को और निष्पक्ष बनाने के लिए हाई कोर्ट के एक रिटायर जज को भी इस कमेटी में शामिल किया जाए। बता दें, इस मुद्दे को लेकर राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस का हंगामा जारी रहा था।

विधानसभा की गौरवशाली परंपराओं का उल्लंघन

टीकाराम जूली ने इस पूरे विवाद को राजस्थान विधानसभा की गौरवशाली परंपराओं के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा, 'हमें दुख से कहना पड़ रहा है कि विधानसभा की परंपराएं गौरवशाली रही हैं और सदन के भीतर कोई भी सदस्य, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का या फिर स्पीकर, अगर कोई बात कहते हैं तो बड़ी जिम्मेदारी से कहते हैं।'

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राजस्थान विधानसभा में कैमरा विवाद निजता के हनन पर सवाल

जूली ने कहा कि स्पीकर का यह कहना कि 'किसी की निजता का हनन नहीं हुआ है और न होगा', सही नहीं है, क्योंकि ये कैमरे जासूसी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्पीकर ने जिस प्रकार से इस मुद्दे को हल करने की कोशिश की, वह स्थिति को और जटिल बना रहा है।

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FAQ

1. टीकाराम जूली ने क्या आरोप लगाए हैं?
टीकाराम जूली ने विधानसभा में दो अतिरिक्त कैमरे लगाए जाने को लेकर आरोप लगाया है कि ये कैमरे कांग्रेस विधायकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगाए गए हैं और उनकी निजता का उल्लंघन कर रहे हैं।
2. विधानसभा में लगे कैमरों की कीमत क्या है?
कांग्रेस का आरोप है कि इन कैमरों की कीमत 18 लाख 46 हजार रुपए बताई जा रही है। जूली का आरोप है कि इसका भुगतान विधानसभा के इमरजेंसी फंड से किया गया है, जो एक गंभीर अनियमितता है।
3. टीकाराम जूली ने राज्यपाल से क्या मांग की?
जूली ने राज्यपाल से विधानसभा को सीज करने और विधानसभा में लगे कैमरों के मामले की जांच के लिए एक सर्वदलीय कमेटी बनाने की मांग की है, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हों।
4. क्या विधानसभा में लगे कैमरों का मामला राजस्थान विधानसभा की परंपराओं के खिलाफ है?
टीकाराम जूली का कहना है कि यह मामला राजस्थान विधानसभा की गौरवशाली परंपराओं के खिलाफ है और इससे विधायकों की निजता का उल्लंघन हो रहा है।

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