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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान के नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनका नागौर स्थित आवास पिछले दो महीनों से बिजली के बिना था, लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद वहां जल्द ही रोशनी वापस आ जाएगी। हालांकि, राजस्थान हाई कोर्ट ने हनुमान बेनीवाल के परिवार को 6 लाख रुपए की बिजली बिल राशि 72 घंटे के भीतर जमा करने का निर्देश दिया है, जिसके बाद बिजली विभाग को कनेक्शन बहाल करने का आदेश दिया है।
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बेनीवाल बिजली विवाद की शुरुआत कहां से हुई?
यह पूरा मामला 10.75 लाख रुपए (10.75 Lakh Rupees) के बकाया बिजली बिल से जुड़ा हुआ है, जो कि राजस्थान की राजनीति में भी सुर्खियों में रहा। हालांकि, बिजली विभाग इसे एक सामान्य बकाया वसूली अभियान (Outstanding Bill Collection Campaign) का हिस्सा बता रहा है, जबकि हनुमान बेनीवाल ने इसे राज्य सरकार द्वारा बदले की भावना (Political Revenge) से किया गया कदम बताया था।
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बेनीवाल के घर का कनेक्शन कटने के बाद की स्थिति
यह विवाद जुलाई 2025 में शुरू हुआ था, जब अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (AVVNL) (Ajmer Vidyut Vitaran Nigam Limited) ने 2 जुलाई को हनुमान बेनीवाल के नागौर आवास का बिजली कनेक्शन काट दिया था। यह कनेक्शन उनके भाई प्रेमसुख बेनीवाल (Premsukh Beniwal) के नाम पर था और इस पर भारी-भरकम बकाया बिल (Outstanding Bill) था। बिजली विभाग ने दावा किया था कि उसने मई 6 से लेकर लगातार छह बार नोटिस भेजे थे, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली और न ही भुगतान हुआ।
बेनीवाल ने लगाया राजनीतिक बदला लेने का आरोप
बिजली कनेक्शन काटे जाने के बाद, आरएलपी सुप्रीमो बेनीवाल ने इसे राजनीतिक बदले की भावना से किया गया कदम करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार उन्हें परेशान करने के लिए ऐसे कदम उठा रही है। हनुमान बेनीवाल ने कहा था कि उनकी पार्टी RLP (Rajasthan Loktantrik Party) लगातार जनता के मुद्दे उठा रही है, और इसलिए सरकार बौखला गई है। उनका कहना था कि इस कार्रवाई के पीछे सरकार की राजनीतिक प्रतिशोध की भावना है, क्योंकि उनकी पार्टी ने सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई थी। यह मामला सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में रहा और विपक्षी नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
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जब मामला तूल पकड़ा, तो अजमेर विद्युत वितरण निगम के नागौर अधीक्षण अभियंताअशोक चौधरी ने सफाई दी कि निगम एक विशेष अभियान चला रहा था, जिसके तहत 1 लाख रुपए से अधिक के बकायेदारों के कनेक्शन काटे जा रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रेमसुख बेनीवाल के नाम पर सबसे अधिक बकाया था, और इसलिए उनका कनेक्शन काटा गया।, अशोक चौधरी ने यह भी कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से नियमों के अनुसार की गई थी और इसका किसी भी राजनीतिक विवाद से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने कहा कि निगम सभी बकायेदारों पर एक जैसी कार्रवाई करता है, ताकि बकाया वसूली की जा सके और सिस्टम में सुधार रहे।
हनुमान बेनीवाल बिजली कनेक्शन विवाद क्या है?
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6 लाख रुपए जमा करने का निर्देश
मामला बढ़ने के बाद प्रेमसुख बेनीवाल (Premsukh Beniwal) ने राजस्थान हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने बिजली विभाग की कार्रवाई को चुनौती दी। याचिका में मांग की गई थी कि कनेक्शन को तुरंत बहाल किया जाए। कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए बुधवार को सुनवाई की और दोनों पक्षों को सुना।
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए प्रेमसुख बेनीवाल को आदेश दिया कि वह 6 लाख रुपए (6 Lakh Rupees) की राशि तीन दिनों के भीतर जमा करें। कोर्ट ने कहा कि एक बार यह राशि जमा हो जाने के बाद, बिजली विभाग को तुरंत कनेक्शन बहाल करना होगा। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस मामले में दोनों पक्षों के बीच विवाद सुलझाने के लिए एक सेटलमेंट कमेटी (Settlement Committee) बनाई जाए, जिसे एक महीने का समय दिया गया है।
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क्या हनुमान बेनीवाल बिजली मामला अब थम जाएगा?
इस पूरे घटनाक्रम ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इसे केवल एक बिजली बिल विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखा। उनके मुताबिक, राज्य सरकार ने उनके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई करने के लिए बिजली विभाग का सहारा लिया।
यह विवाद पार्टी के भीतर भी चर्चा का विषय बन गया है। हनुमान बेनीवाल और उनकी पार्टी RLP ने इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से उठाते हुए सरकार पर निशाना साधा। विपक्ष ने भी इस घटना को सरकार की नाकामी और विरोधी दलों के खिलाफ प्रतिशोध की भावना के रूप में देखा।
वहीं, अजमेर विद्युत वितरण निगम ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक बकाया वसूली अभियान था, जो बड़े बकायेदारों के कनेक्शन काटने का हिस्सा था।
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