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Photograph: (TheSootr)
सुनील जैन @ अलवर
राजस्थान के खैरथल-तिजारा जिले में फाइनेंस का काम कर रही नवअंश इंडिया निधि लिमिटेड पांच हजार निवेशकों के करीब 300 करोड़ रुपए लेकर फरार हो गई। यह कंपनी मजदूर, छोटे दुकानदार और महिलाओं को धन दोगुना करने का झांसा देकर उनकी बचत राशि जमा करती थी। तीन दिन से कंपनी के दफ्तर पर ताला जड़ा हुआ है।
बताया जाता है कि यह फाइनेंस कंपनी करीब 12 साल पहले नरेश चौधरी नामक युवक ने मातोर गांव में आकर खोली थी। कंपनी का मुख्यालय भी इसी छोटे से गांव में था। कंपनी ने यहां के गरीब परिवारों को पैसे दोगुने करने का सपना दिखा कर उन्हें निवेश के लिए प्रोत्साहित किया। कंपनी संचालक नरेश चौधरी इस गांव के दाताराम का भांजा था तो लोगों ने उस पर भरोसा कर लिया। चौंकाने वाली बात यह रही कि इतने साल में इस कंपनी पर पुलिस और प्रशासन को कभी संदेह नहीं हुआ।
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खोल दिए पांच हजार खाता
दोनों मामा-भांजे ने आसपास के करीब 5000 खाताधारकों (निवेशक) के करीब 250 से 300 करोड रुपए की राशि जमा कर ली। अचानक ही संचालक नरेश चौधरी लोगों की जमा राशि लेकर फरार हो गया। अब हालात यह है कि जिन खाताधारकों के पैसे इसमें लगे हुए हैं, उनके सामने बड़ा आर्थिक संकट पैदा हो गया है। उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बताया जाता है कि खाताधारकों की एक लाख से लेकर 20-25 लाख रुपए तक इस फाइनेंस कंपनी में जमा हैं।
निवेशकों का कहना है कि मातौर गांव में तीन दिन से निवेशकों की लगातार पंचायत हो रही हैं। लेकिन, समाधान निकालने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही। फाइनेंस कंपनी में औसतन एक खाताधारक का औसतन पांच लाख रुपए जमा है। ये लोग कंपनी के एजेंट को प्रतिदिन ₹10 ,₹20 ,₹50 प्रतिदिन जमा करने के लिए देते थे।
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नवअंश इंडिया निधि लिमिटेड धोखाधड़ी: एजेंटों के जरिए करते थे उगाही
फाइनेंस कंपनी में करीब 15 लाख रुपए फंसा चुके सद्दाम हुसैन का कहना है कि नवअंश इंडिया निधि लिमिटेड का हेडऑफिस भी मातौर गांव में ही है। कंपनी ने स्थानीय एजेंटों के जरिए मजदूरों, छोटे व्यापारियों और दुकानदारों से बचत राशि जमा करवाई। लोगों को पासबुक और बॉन्ड दिए जाते थे। साथ ही समय-समय पर ब्याज भी दिया गया। इसी वजह से लोगों का भरोसा कंपनी पर बढ़ता गया। सद्दाम के अनुसार कंपनी दुकानदारों और जरूरतमंदों को लोन भी देती थी। लेकिन, लोन उन्हीं को देता था, जो कंपनी से जुड़े हुए थे। जमा राशि का 20% से लेकर 50 फ़ीसदी तक लोन दिया जाता था। एफडी और आरडी के नाम पर पैसे इकट्ठे किए गए। कंपनी 6 महीने, 12 महीने और 24 महीने की आरडी बनाकर लोगों को फंसाती थी। उधर, संचालक नरेश चौधरी के मामा दाताराम के अनुसार कंपनी में लगभग 5 हजार लोगों के खाते खुले थे और करोड़ों रुपए जमा हो चुके थे। एजेंट दाताराम, सतपाल, दिनेश, मुबीन, असरु, बलविंदर, पपन, विक्की पांडेय, विक्की सहित कई लोग कलेक्शन का काम करते थे।
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राजस्थान में फाइनेंस कंपनी धोखाधड़ी का मामला: मामा दाताराम ने झाड़ा पल्ला
दाताराम ने बताया कि करीब 12 साल पहले भांजा नरेश चौधरी पुत्र उदय सिंह निवासी झिरियाना फाइनेंस का काम करने आया था। पहले तो मेरे बेटे को उसने काम पर लगाया, फिर जब उसने काम नहीं किया तो मुझे इसमें एजेंट के रूप में जोड़ा। हमने लोगों से उगाई शुरू की। मातौर के साथ ही आसपास के एक दर्जन से अधिक गांवों में एजेंटों के जरिए कलेक्शन किया जाता था। समय-समय पर पेमेंट देकर ग्राहकों का विश्वास जीता। एजेंट को बाकायदा कमीशन दिया जाता था।
एक से डेढ़ माह पहले नरेश चौधरी ने लोगों को पैसा देना कम कर दिया। उसके बाद 6 दिन पहले जब उसने पैसे नहीं दिए तो सभी एजेंट कंपनी संचालक नरेश चौधरी के पास गए। उसने कहा कि वह एक-दो दिन में मैं पेमेंट कर देगा। लेकिन, अब पता नहीं वह कहां है और उसने पैसा कहां निवेश किया है। दाताराम ने कहा कि उसने पैसे का क्या किया है पता नहीं है मेरे बीमार होने के कारण मैंने 1 जनवरी 2025 को रिटायरमेंट ले लिया था।
मातौर निवासी दाताराम ने बताया कि करीब 12 साल पहले भांजा नरेश चौधरी पुत्र उदय सिंह निवासी झिरियाना फाइनेंस का काम करने आया था। पहले तो मेरे बेटे को उसने काम पर लगाया, फिर जब उसने काम नहीं किया तो मुझे इसमें एजेंट के रूप में जोड़ा। दाताराम ने कहा कि उसने पैसे का क्या किया है पता नहीं है मेरे बीमार होने के कारण मैंने 1 जनवरी 2025 को रिटायरमेंट ले लिया था।
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तीन दिन पहले एजेंटे की सदमे में मौत
कंपनी संचालक नरेश चौधरी के फरार होने के बीच एक घटनाक्रम हुआ। कंपनी से जुड़े एक एजेंट दिनेश का शव खैरथल के रेलवे अंडरब्रिज के पास मिला। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर यह जांच शुरू कर दी है कि मामला आत्महत्या है या हत्या, क्योंकि परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है। दिनेश की मौत के बाद गांव में हंगामा मच गया। आक्रोशित ग्रामीण कंपनी संचालक नरेश चौधरी के मामा दाताराम के घर इकट्ठा होकर विरोध जताने लगे। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी संचालक पैसे लेकर फरार हो गया। इससे एजेंट और निवेशक परेशान हैं। पुलिस इस मामले में नरेश चौधरी की तलाश कर रही है।
उधर, मृतक दिनेश के परिजन का आरोप है कि करोड़ों की राशि डूबने के डर से एजेंट पर दबाव बढ़ा, जिसके चलते यह घटना हुई है। गांव वाले मांग कर रहे हैं कि सरकार और प्रशासन हस्तक्षेप कर निवेशकों की राशि सुरक्षित करवाए और कंपनी मालिक को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। लेकिन खाताधारकों की ओर से अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया है।
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