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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) में वेतन वृद्धि के लिए कई अधिकारियों ने जो डिग्रियां प्रस्तुत की थीं, वे अब फर्जी साबित हुई हैं। यह मामला पिछले 6 सालों से चल रहा था और अब तक इसकी गहरी जांच की जा रही थी। इस मामले में कुल 41 अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंने फर्जी डिग्रियां प्रस्तुत की थीं। इसमें कुछ अधिकारियों ने दो साल के कोर्स को डेढ़ साल में पूरा किया, तो कुछ ने बिना छुट्टी लिए प्रैक्टिकल तक दे डाला।
यह मामला 2012 के वेतन समझौते से जुड़ा हुआ है, जिसके अनुसार, एमएससी आईटी (MSc IT) डिग्री रखने वाले कर्मचारियों को वेतन वृद्धि में अतिरिक्त लाभ देने का प्रावधान था। लेकिन अब यह सामने आया है कि यह वेतन वृद्धि पाने के लिए कई अधिकारियों ने फर्जी डिग्रियां बनाई, जिससे उनका वेतन वृद्धि का दावा अवैध हो गया है।
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डिग्रियों के फर्जी होने की वजह
उक्त अधिकारियों ने जिन यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त की, उनमें से अधिकतर यूनिवर्सिटी को राजस्थान में स्टडी कैम्पस खोलने की अनुमति नहीं थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि इन डिग्रियों को देने वाले विश्वविद्यालयों के पास राजस्थान में अपनी शाखाएं खोलने की यूजीसी की मंजूरी नहीं थी, जो कि इस पूरे मामले को और भी गंभीर बनाता है। इसके अलावा, कुछ अधिकारियों ने तो दो साल की डिग्री को डेढ़ साल में ही पूरा कर लिया, जो एक असंभव कार्य था।
यह घटना तब सामने आई जब राजस्थान में सहकारी बैंक के कर्मचारियों के वेतन वृद्धि का मामला सहकारिता मंत्रालय के पास पहुंचा। सहकारिता मंत्री गौतम दक ने इस मामले को गंभीरता से लिया और कहा कि यह मामला उनके ध्यान में आया है और इसमें कार्रवाई की जाएगी।
कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी से डिग्रियां
कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी (Karnataka State Open University) से आठ अधिकारियों ने डिग्रियां प्राप्त की थीं। हालांकि, विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मार्कशीट जरूर दी थी, लेकिन डिग्री नहीं दी थी। यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि इन अधिकारियों को डिग्रियां कैसे मिल गईं।
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सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय का मामला
इस मामले में सबसे अधिक सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय (Sikkim Manipal University) की डिग्रियां सामने आईं, जो 2014 में जारी की गईं। इस विश्वविद्यालय से जिन डिग्रियों की जांच की गई, उनमें द्वितीय सेमेस्टर की मार्कशीट पहले प्रथम सेमेस्टर से पहले की तारीख की थी, जो किसी भी मानक विश्वविद्यालय प्रणाली के तहत गलत है। इस तरह की डिग्रियों के बारे में यह सवाल उठता है कि क्या विश्वविद्यालय ने पूरी प्रक्रिया को सही तरीके से अपनाया था।
अधिकारियों की सूची
जिन अधिकारियों ने फर्जी डिग्रियां पेश की थीं, उनकी सूची में कई बड़े नाम शामिल हैं। इन अधिकारियों में से कुछ नाम इस प्रकार हैं:
पी.के.नाग, मनोज साहा, केडी शर्मा, कल्याण चौहान, ताराचंद, पी.एल.बैरवा, आर.पी. गावरिया, मूलचंद सुधार, अमरचंद मीणा, सुमित मीणा, सर्वेश चौधरी, मनीष गुप्ता, रुचि शर्मा, नेहा गुप्ता, अंकित अग्रवाल, महेन्द्रपाल, अविना शर्मा, अनिश कुमार, सुरेन्द्र राठौड़, अभिषेक रायजादा, सत्यनारायण, पीयूष जी. नारायण, रितेश जैन, शिवचरण गुर्जर, आर.के. राजोरिया, एसएल स्वामी, एसके पाटनी, केके मडिया, दिनेश बगड़ी, राजेन्द्र मीणा, हेमा मंगलानी, अमित शर्मा, गणेश नारायण मीणा, दीपक दामनिया, रवि कुमार, धर्म मीणा, मैना जैन, मुकेश सैनी, कृष्ण कुमार, हेमंत बालोतिया।
इन सभी अधिकारियों ने डिग्री का प्रस्ताव (Proposal) देकर वेतन वृद्धि प्राप्त करने का प्रयास किया था, लेकिन अब यह डिग्री अमान्य (Invalid) घोषित की गई है।
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अपेक्स बैंक क्या है?राजस्थान में अपेक्स बैंक, जिसे राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (RSCB) के नाम से जाना जाता है, राज्य का प्रमुख सहकारी बैंक है। यह खासकर ग्रामीण और किसान समुदाय के लिए कई दशकों से बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रहा है। इसका मुख्यालय जयपुर में स्थित है। अपेक्स बैंक के उद्देश्य और कार्य
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फर्जी डिग्री देने वालों पर क्या कार्रवाई होगी?
राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई है। सहकारिता मंत्री गौतम दक ने कहा है कि यह मामला उनकी जानकारी में आया है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, इस समय तक सभी आरोपियों की गिरफ्तारी या सजा के बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन मामले की जांच जारी है।
राज्य में इस घटना के बाद सहकारी बैंकों और शासन में कार्यरत कर्मचारियों के लिए यह एक चेतावनी हो सकती है कि वे किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचें, क्योंकि इस तरह के मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
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वेतन समझौते के तहत डिग्री का महत्व
राजस्थान में वर्ष 2012 में सहकारी बैंकों के कर्मचारियों और सरकार के बीच एक वेतन समझौता हुआ था, जिसके तहत एमएससी (आईटी) (MSc IT) डिग्री वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त वेतन वृद्धि दी गई थी। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की शिक्षा और विकास को बढ़ावा देना था, लेकिन अब यह समझौता संदिग्ध हो गया है क्योंकि बहुत से अधिकारियों ने फर्जी डिग्रियां प्रस्तुत की थीं।