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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान में पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ.राजेश्वर सिंह को राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commissioner) का नया आयुक्त नियुक्त किया गया है। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किए, और इसके साथ ही मधुकर गुप्ता का कार्यकाल राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर समाप्त हो गया। अब राजेश्वर सिंह की जिम्मेदारी राजस्थान में शहरी निकाय और पंचायतीराज संस्थाओं के चुनावों को करवाने की होगी। बता दें, TheSootr ने 13 अगस्त 2025 को ही पूर्व डॉ. राजेश्चर सिंह के राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त बनने की संभावनाओं पर खबर प्रकाशित की थी।
राजेश्वर सिंह का प्रशासनिक अनुभव काफी लंबा और प्रभावशाली रहा है। उन्होंने राज्य के विभिन्न अहम पदों पर कार्य किया है, और उनकी कार्यशैली में सख्त ईमानदारी और प्रशासनिक कुशलता की छाप रही है।
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पूर्व IAS राजेश्वर सिंह का प्रशासनिक करियर
राजेश्वर सिंह का जन्म 12 जुलाई 1964 को वाराणसी में हुआ था। वे 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, और उन्होंने हिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की है। राजस्थान में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1998-1999 में जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) के सचिव के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया।
राजेश्वर सिंह को जयपुर कलक्टर के रूप में व्यापक पहचान मिली थी। 23 जून 2005 से 23 मार्च 2007 तक उन्होंने जयपुर के कलेक्टर के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने भरतपुर, उदयपुर, और जयपुर के संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने राज्य के प्रशासनिक कार्यों को सुव्यवस्थित किया।
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पंचायतीराज में पूर्व IAS राजेश्वर सिंह का योगदान
राजस्थान निर्वाचन आयुक्त राजेश्वर सिंह के पास पंचायतीराज (Panchayati Raj) के क्षेत्र में लंबे समय का प्रशासनिक अनुभव है। वे पंचायतीराज और ग्रामीण विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) भी रहे हैं। यहां उन्होंने ग्रामीण विकास के कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे इंदिरा गांधी पंचायतीराज संस्थान के महानिदेशक (DG) भी रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में पंचायतीराज संस्थाओं के विकास की दिशा में कई अहम फैसले लिए गए, जिससे गांवों और छोटे नगरों में बेहतर प्रशासनिक सुधार देखने को मिले।
उनका ये अनुभव अब राज्य निर्वाचन आयोग में उनके कार्य के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा, क्योंकि उन्हें पंचायत चुनावों के संचालन और शहरी निकायों के चुनाव में दखल देने का कार्य सौंपा गया है।
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पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ कार्यकाल
राजस्थान निर्वाचन आयोग के आयुक्त राजेश्वर सिंह के कार्यकाल में सचिन पायलट के साथ उनका सामंजस्य भी महत्वपूर्ण रहा है। जब सचिन पायलट राजस्थान के उपमुख्यमंत्री (Deputy CM) थे, तब राजेश्वर सिंह पंचायतीराज और ग्रामीण विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) थे। 3 दिसंबर 2019 से 20 अगस्त 2020 तक वे इस विभाग के ACS रहे और उनके कार्यकाल के दौरान कई अहम योजनाओं का कार्यान्वयन हुआ।
इसके बाद, राजेश्वर सिंह का तबादला जनजाति क्षेत्र विकास विभाग में किया गया था, जहां उन्होंने विकास कार्यों को गति दी। वे राजस्थान रोडवेज के अध्यक्ष (Chairman) भी रहे और इस पद पर रहते हुए उन्होंने राजस्थान रोडवेज को बेहतर कार्यक्षमता और सेवा देने की दिशा में काम किया।
रेवेन्यू बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य
राजेश्वर सिंह ने जुलाई 2021 से जुलाई 2024 तक राजस्थान रेवेन्यू बोर्ड (Revenue Board) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने राज्य के भूमि और राजस्व मामलों में कई सुधार किए। उनका यह कार्यकाल भी प्रभावशाली रहा, और उन्होंने राज्य के भूमि रिकॉर्ड को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई। राजेश्वर सिंह की ईमानदारी और कार्यक्षमता के कारण उन्होंने इस पद पर भी सराहना प्राप्त की।
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राज्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नई जिम्मेदारी
अब, राजेश्वर सिंह के कंधों पर राज्य निर्वाचन आयुक्त (State Election Commissioner) के रूप में एक नई जिम्मेदारी आ गई है। इस पद पर नियुक्त होने के बाद उनकी पहली बड़ी चुनौती शहरी निकाय और पंचायतीराज संस्थाओं के चुनावों के संचालन की होगी। उनका प्रशासनिक अनुभव और पंचायत चुनावों में सुधार की दिशा में उनके द्वारा किए गए प्रयास इस जिम्मेदारी को सही ढंग से निभाने में मदद करेंगे।
उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए वोटर लिस्ट अपडेट (Voter List Update) करने का कार्यक्रम पहले ही शुरू कर दिया था, हालांकि हाईकोर्ट द्वारा चुनावों की तात्कालिकता से संबंधित कुछ पाबंदियों से राहत भी मिली थी। अब, वे चुनावों के आयोजन को लेकर उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए जल्दी चुनाव कराने की दिशा में काम करेंगे।
पूर्व IAS राजेश्वर सिंह बने राजस्थान के निर्वाचन आयुक्त
राजेश्वर सिंह की कार्यशैली में ईमानदारी और पारदर्शिता का सबसे अधिक महत्व रहा है। उन्होंने हमेशा सरकारी कामकाजी में सुधार के लिए अपनी नीतियों में बदलाव किए हैं। उनके कार्यकाल में पारदर्शिता, तत्परता और निर्णय लेने की क्षमता को प्राथमिकता दी गई, जिससे सरकारी योजनाओं का बेहतर तरीके से कार्यान्वयन हुआ।