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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) में नए निर्वाचन आयुक्त के चयन को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं, खासकर 2025 में होने वाले पंचायत और निकाय चुनावों के मद्देनजर। वर्तमान में, मधुकर गुप्ता इस पद पर कार्यरत हैं, और उनका कार्यकाल 17 सितंबर को समाप्त होने जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, राजस्थान सरकार जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए इस पद के लिए नियुक्ति करेगी।
राज्य के सत्ता के गलियारों से लेकर जयपुर और दिल्ली तक यही सवाल गूंज रहा है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त कौन होगा? इस पद की अहमियत को देखते हुए, सरकार जल्द ही किसी एक नाम पर सहमति बना सकती है।
राजस्थान में निर्वाचन आयुक्त पद के चार प्रमुख दावेदार
राजस्थान के नए निर्वाचन आयुक्त के पद के लिए चार प्रमुख नाम चर्चा में हैं। इनमें से दो दावेदार कार्यरत IAS अधिकारी हैं और दो रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं। आइए जानते हैं उन चार प्रमुख दावेदारों के बारे में
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1. IAS शुभ्रा सिंह
शुभ्रा सिंह वर्तमान में राजस्थान रोडवेज विभाग की चेयरपर्सन के रूप में कार्यरत हैं। उनके नाम को लेकर कई राजनेता और राजनीतिक विश्लेषक इसे महत्वपूर्ण मानते हैं, खासकर इस वजह से कि वे महिला IAS अधिकारी हैं। राजस्थान में मुख्य सचिव ऊषा शर्मा के बाद कोई महिला अधिकारी इतने बड़े पद पर कार्यरत नहीं थीं। शुभ्रा सिंह की लंबी दिल्ली पोस्टिंग और उनकी मिलनसार छवि को देखते हुए उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
शुभ्रा सिंह के पास मुख्य सचिव के पद के लिए भी मौका था, लेकिन अंततः सुधांश पंत को मुख्य सचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद, शुभ्रा सिंह को सचिवालय से बाहर पोस्टिंग दी गई। उनके नाम की चर्चा से यह संकेत मिलता है कि सरकार महिलाओं के लिए मजबूत भूमिका निभाने के संदर्भ में शुभ्रा सिंह को चुनाव आयोग के लिए नियुक्त कर सकती है।
2. IAS राजेश्वर सिंह
राजेश्वर सिंह, जो गहलोत सरकार में पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रह चुके हैं, उनकी प्रशासनिक पकड़ बहुत मजबूत मानी जाती है। वे पंचायतों के पुनर्गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उन्हें विशेष रूप से राजपूत समुदाय को साधने के लिए एक मजबूत उम्मीदवार माना जाता है।
हालांकि, उनके नाम पर एक राजनीतिक समीकरण भी है, क्योंकि गहलोत सरकार में पंचायती राज विभाग का जिम्मा सचिन पायलट के पास था, और राजेश्वर सिंह का पायलट से संबंध था। इसका असर उनके मार्ग में एक रोड़ा बन सकता है, लेकिन इसके बावजूद उनका प्रशासनिक अनुभव उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाता है।
3. IAS पीके गोयल
पीके गोयल, जो 1988 बैच के रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं, का प्रशासनिक अनुभव बहुत विस्तृत है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण विभागों में कार्य किया है और दोनों ही प्रमुख दलों के शासन में उनके पदों पर कार्य करने का अनुभव रहा है। पीके गोयल की छवि एक ईमानदार और साफ-सुथरी व्यक्ति के रूप में है, जो प्रशासनिक दक्षता के लिए जाने जाते हैं।
उनका राजस्थान के निवासी होना और वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखने के कारण उनका नाम विशेष रूप से चर्चा में है। यह समुदाय बीजेपी का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है, और पीके गोयल की नियुक्ति से बीजेपी को राजनीतिक फायदा हो सकता है।
4. IAS आनंद कुमार
आनंद कुमार, जो दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, सीएम भजनलाल शर्मा के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकते हैं। आनंद कुमार की गहरी प्रशासनिक समझ और प्रदेश की राजनीति में उनकी मजबूत स्थिति के कारण, वे इस पद के लिए एक प्रबल दावेदार हैं।
गहलोत सरकार में आनंद कुमार को गृह विभाग का अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया गया था और उन्हें इसके बाद वन और पर्यावरण विभाग का एसीएस बना दिया गया था। उनके इस पद पर रहते हुए किए गए कार्यों से उनकी क्षमता और कार्यक्षमता का प्रदर्शन हुआ है।
निर्वाचन आयुक्त के पद के लिए नियमों में बदलाव
राजस्थान के निर्वाचन आयुक्त के पद के लिए पहले यह नियम था कि इसे मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों से भरा जाता था। लेकिन 2018 में वसुंधरा राजे सरकार ने इस नियम में बदलाव किया और प्रेम सिंह मेहरा को वीआरएस देकर निर्वाचन आयुक्त बना दिया था। यह बदलाव साफ-सुथरी छवि वाले अधिकारियों को चुनाव आयोग जैसे संवेदनशील पद पर नियुक्त करने की दिशा में था।
अब यह देखना होगा कि सरकार इस बार क्या कदम उठाती है और क्या वे फिर से रिटायर्ड IAS अफसरों को मौका देती है या वर्तमान IAS अधिकारियों में से किसी को वीआरएस दिलवाकर इस पद के लिए नियुक्त किया जाता है।
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राजस्थान में कब होंगे पंचायती राज और निकाय चुनाव
राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनाव कब होंगे, यह एक बड़ा सवाल है। राज्य सरकार की ओर से अभी तक चुनावों की तारीख की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन खबरें हैं कि दिसंबर 2025 तक पंचायती राज और शहरी निकायों के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं।
राज्य सरकार ने चुनावों के लिए एक कैबिनेट सब कमेटी गठित की है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इसके बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अंतिम निर्णय लेंगे। मंत्री अविनाश गहलोत ने संकेत दिए हैं कि दिसंबर के अंत तक चुनाव हो सकते हैं, हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि अभी तारीखों का निर्धारण नहीं किया गया है।
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