राजस्थान हाईकोर्ट : विधायकों की खरीद-फरोख्त का केस बंद, भाजपा ने साधा कांग्रेस पर साधा निशाना

राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में केस बंद करने का आदेश दिया। गत कांग्रेस सरकार के दौरान लगे आरोपों पर कोर्ट ने एफआर के आधार पर निर्णय दिया।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान हाईकोर्ट ने अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार के समय विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में एसीबी (Anti Corruption Bureau) द्वारा दर्ज किए गए केस को बंद कर दिया। यह मामला 2020 में विधायकों की खरीद-फरोख्त और राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायकों को प्रभावित करने के आरोपों से जुड़ा था। कोर्ट ने एसीबी द्वारा पेश की गई एफआर (Final Report) के आधार पर इस मामले को बंद करने का आदेश दिया।

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2020 में मानेसर में जमा कांग्रेस विधायक। Photograph: (TheSootr)

एसीबी ने खुद ही प्रकरण में कोई अपराध साबित नहीं किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि एसीबी ने खुद ही प्रकरण में कोई अपराध साबित नहीं किया और इसलिए एफआर पेश की। अदालत ने माना कि एफआईआर को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले थे। न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने भरत मालानी और अशोक सिंह की याचिका का निस्तारण कर दिया।

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वकील की दलील: केवल फोन रिकॉर्डिंग पर आधारित 

इस मामले में याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता वीआर बाजवा और पंकज गुप्ता ने दलील दी कि इस प्रकरण में कोई ठोस साक्ष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल फोन रिकॉर्डिंग के आधार पर था, जिसमें याचिकाकर्ता आपस में गपशप कर रहे थे। एसीबी ने इस बात पर ध्यान दिया कि कोई ठोस सबूत नहीं हैं, और इस कारण एफआर पेश की गई। इसलिए, इस मामले को बंद कर देना चाहिए था।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ (Madan Rathore) ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस की साजिश फिर से नाकाम हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने जानबूझकर झूठे केस दर्ज करवाए थे ताकि अपनी आंतरिक फूट को छिपाया जा सके।

राजस्थान विधायक खरीद-फरोख्त मामला क्या है?

यह पूरा मामला जुलाई 2020 का है, जब सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। इस दौरान गहलोत सरकार ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाते हुए एसओजी (SOG) और एसीबी (ACB) में मामले दर्ज कराए थे। एसीबी ने निर्दलीय विधायक रमीला खड़िया और अन्य को खरीदने की कोशिश के आरोप में अशोक सिंह और भरत मलानी के खिलाफ केस दर्ज किया था। यह मामला फोन रिकॉर्डिंग पर आधारित था। दावा किया गया था कि आरोपियों ने चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने और राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए प्रेरित करने की कोशिश की थी। हालांकि, एसीबी की जांच में ये आरोप साबित नहीं हो सके।

सचिन पायलट ने केस बंद होने पर क्या कहा?

पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस मामले पर सीधे-सीधे कुछ कहने से इनकार कर दिया। पायलट ने कहा कि मैंने रिपोर्ट देखी नहीं है, लेकिन जब कोर्ट ने निर्णय दे दिया है तो अब क्या बचा है कहने को। मुझे लगता है न्यायपालिका में सभी का भरोसा है। देश की न्यायपालिका सुदृढ़ है, मजबूत है। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह एक फर्जी मामला था, तो पायलट ने मुस्कुराते हुए कहा कि जब आप कह रहे हो और कोर्ट का निर्णय आ चुका है तो मुझसे क्या कहलवाना चाहते हो।

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मंत्री रावत बोले- सांच को नहीं आंच

हाईकोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए राजस्थान के मंत्री सुरेश रावत ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सांच को आंच नहीं। उस समय भी यह उनकी आपसी लड़ाई थी। आपसी लड़ाई में राजस्थान की सरकार होटलों में बैठी रही। जनता का शोषण करने का काम इन्होंने किया। अब कोर्ट ने भी माना कि वह इनका ड्रामा और आपसी लड़ाई थी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस झगड़े के कारण राजस्थान कई साल पीछे चला गया। रावत के मुताबिक, दूसरों पर उंगली उठाना कांग्रेस की पुरानी आदत है।

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FAQ

1. राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में क्या फैसला दिया?
राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में एसीबी द्वारा पेश की गई एफआर के आधार पर केस को बंद कर दिया। कोर्ट ने इसे कोई अपराध न मानते हुए मामले को समाप्त कर दिया।
2. एफआर क्या होती है और इसका क्या महत्व है?
एफआर (Final Report) वह रिपोर्ट है जो जांच एजेंसी द्वारा अदालत में पेश की जाती है। इसका उद्देश्य यह बताना है कि मामले में कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला और आरोपियों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता।
3. भाजपा का राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर क्या कहना है?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस की यह साजिश फिर से नाकाम हो गई है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने इस झूठे मामले को उठाकर अपनी आंतरिक फूट को छिपाने की कोशिश की।
4. विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच में एसीबी की भूमिका क्या थी?
2020 में एसीबी ने इस मामले की जांच शुरू की थी, जिसमें आरोप था कि याचिकाकर्ताओं ने विधायकों को पैसे का लालच देकर राज्यसभा चुनाव को प्रभावित किया था। एसीबी ने जांच के बाद एफआर पेश की, क्योंकि कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले।
5. विधायकों की खरीद-फरोख्त मामला बंद होने का राजस्थान की राजनीति पर क्या असर होगा?
इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने केस को बंद कर दिया है, लेकिन राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रह सकता है।

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