जयपुर में मकान ढहा, वृद्धा की मौत, 15 दिन में मकान गिरने से गई तीसरी जान

जयपुर में एक जर्जर मकान ढहने से सास की मौत, बहू घायल। इस हादसे के बाद नगर निगम की तत्परता पर सवाल उठ रहे हैं। 15 दिन में दो हादसों में 3 की मौत। पूरा मामला TheSootr में।

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Nitin Kumar Bhal
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जयपुर के पुराने शहर इलाके में 18 सितंबर 2025 को एक जर्जर मकान गिरने से एक दर्दनाक हादसा हो गया। इस हादसे में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई, जबकि उनकी बहू घायल हो गई। घटना सुभाष चौक थाना क्षेत्र के झिलाई हाउस में सुबह 7 बजे के आसपास घटी। स्थानीय लोगों का कहना है कि मकान मालिक ही इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि वह जर्जर मकानों की मरम्मत नहीं करवा रहे थे। इस हादसे के बाद, नगर निगम और रेस्क्यू टीम की तत्परता पर सवाल उठने लगे हैं। लोगों ने आरोप लगाया कि रेस्क्यू टीम समय से नहीं पहुंची।

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हादसे में सास की मौत, बहू घायल

हादसे के दौरान सास, धन्नीबाई (60) मलबे में दबकर मौके पर ही दम तोड़ चुकी थीं, जबकि उनकी बहू, सुनीता (35), गंभीर रूप से घायल हुईं। सुनीता को पैर में फ्रैक्चर होने के कारण उन्हें तुरंत सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया। राहत की बात यह रही कि हादसे के समय घर में रहने वाले दो बच्चे बाहर खेल रहे थे, इसलिए उनका कोई नुकसान नहीं हुआ।

घटना के बाद स्थानीय लोगों ने नगर निगम पर आरोप लगाए हैं कि रेस्क्यू टीम दुर्घटना के दो घंटे बाद मौके पर पहुंची। यह भी बताया गया कि 12 दिन पहले सुभाष चौक क्षेत्र में एक हवेली गिरने से बाप-बेटी की मौत हो गई थी, जिसके बाद अब यह दूसरा बड़ा हादसा है।

हादसे के बाद स्थानीय लोग काफी आक्रोशित हो गए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कई बार जर्जर भवनों के बारे में प्रशासन को जानकारी दी थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। घटनास्थल पर मौजूद एक रिश्तेदार, तरुण महावर, ने कहा कि उन्हें स्थानीय लोगों से फोन पर हादसे के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद भी रेस्क्यू टीम को घटनास्थल पर पहुंचने में देरी हुई। स्थानीय लोग यह भी कह रहे हैं कि यदि प्रशासन समय रहते सक्रिय हो जाता तो शायद हादसा टल सकता था।

नगर निगम की तत्परता पर सवाल

हादसे के बाद नगर निगम की रेस्क्यू टीम की देरी से पहुंचने को लेकर स्थानीय लोगों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि नगर निगम द्वारा तैयार की गई एक सूची में इस साल अगस्त में जयपुर में 48 जर्जर मकानों और हवेलियों को चिन्हित किया गया था। इनमें से आठ बिल्डिंगों को नगर निगम ने सील भी किया था, लेकिन फिर भी यह हादसा घटित हुआ। यह सवाल उठता है कि नगर निगम ने जर्जर मकानों को लेकर सचेत क्यों नहीं हो पाया।

इन घटनाओं से स्पष्ट हो रहा है कि नगर निगम की ओर से इन खतरनाक भवनों की मरम्मत और सुरक्षा को लेकर उचित कदम नहीं उठाए गए थे। इसने शहर में रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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मानसून के दौरान जर्जर भवनों की पहचान

इस साल मानसून के दौरान, अगस्त में जयपुर के किशनपोल क्षेत्र में 48 जर्जर भवनों की पहचान की गई थी। इनमें से कुछ भवनों को नगर निगम ने सील कर दिया था, लेकिन इस कार्यवाही के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया। इसके बावजूद, 15 दिन के भीतर दो प्रमुख हादसों ने 3 लोगों की जान ले ली। इन हादसों ने यह साबित कर दिया कि नगर निगम का तत्काल प्रभावी कदम उठाना कितना महत्वपूर्ण था।

इस मामले में यह भी देखा गया कि नगर निगम ने उन भवनों पर ध्यान नहीं दिया जिनकी स्थिति और भी खराब हो चुकी थी। भवनों की स्थिति का ठीक से मूल्यांकन करना, और उन भवनों की मरम्मत करवाना, यह नगर निगम की प्राथमिक जिम्मेदारी है।

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5 सितंबर 2025 को हवेली ढहने से हुई थी पिता-पुत्री की मौत 

जयपुर में 5 सितंबर 2025 की रात को भी एक 4 मंजिला जर्जर हवेली भरभराकर ढह गई। मलबे में 7 लोग दब गए। हादसे में पिता-पुत्री की मौत हो गई थी। हादसा 5 सितंबर 2025 की रात 12 बजे सुभाष चौक सर्किल स्थित बाल भारती स्कूल के पीछे हुआ। हादसे के दौरान मकान में 19 लोग मौजूद थे। मकान का पिछला हिस्सा गिरते ही 12 लोग बाहर निकल गए। हादसे में प्रभात (33) और उनकी बेटी पीहू (6) की मौत हो गई। हादसे के बाद प्रभात के परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद प्रशासन, मकान मालिक और युवक के परिजनों के बीच बातचीत हुई। मकान मालिक ने प्रभात के परिजनों को 6 लाख 21 हजार रुपए देने का आश्वासन दिया। इसके बाद परिजनों ने शवों को उठाया।

जयपुर में बारिश से मकान गिरा

जयपुर में जर्जर भवनों की स्थिति बहुत चिंताजनक है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन भवनों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा खतरे में है। इन भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण में देरी के कारण आए दिन हादसे होते रहते हैं। नगर निगम को इन भवनों की स्थिति की गंभीरता को समझते हुए आवश्यक कदम उठाने चाहिए थे। शहर के विभिन्न इलाकों में बेज़ुबान लोग इस समस्या का सामना कर रहे हैं, जो शायद प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो रहे हैं।

नगर निगम को एक योजना बनानी चाहिए थी, जिसके तहत जर्जर भवनों को तुरंत खाली कराया जाता और उनकी मरम्मत की जाती। इसके अलावा, पुराने भवनों के पुनर्निर्माण के लिए स्थायी उपायों की योजना भी बनाई जानी चाहिए।

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रेस्क्यू कार्य और नगर निगम की जिम्मेदारी

जयपुर में मकान ढहा हादसे के बाद रेस्क्यू कार्य में देरी की वजह से स्थानीय लोग और परिजन नाराज हैं। यह सवाल उठता है कि जयपुर नगर निगम हेरिटेज को इन जर्जर भवनों के बारे में पूर्व से जानकारी थी, तो फिर वह समय पर रेस्क्यू कार्य क्यों नहीं कर पाए? ऐसे मकानों में बारिश से हादसे होते हैं जयपुर के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए प्रशासन और नगर निगम को अपने कार्यों में अधिक तत्परता दिखानी चाहिए।

नगर निगम को यह सुनिश्चित करना होगा कि जर्जर भवनों का जल्द से जल्द मरम्मत किया जाए और किसी भी तरह के हादसे से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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FAQ

जयपुर में हुए जर्जर मकान के हादसे में कितनी जानें गईं?
इस हादसे में एक बुजुर्ग महिला, धन्नीबाई (60) की मलबे में दबने से मौत हो गई, जबकि उनकी बहू, सुनीता (35), घायल हुईं।
क्या जयपुर नगर निगम ने जर्जर मकानों का पुनर्निर्माण किया था?
नगर निगम ने अगस्त में 48 जर्जर भवनों की पहचान की थी और आठ को सील किया था, लेकिन इन भवनों का पुनर्निर्माण या मरम्मत समय रहते नहीं की गई।
जयपुर में हुए जर्जर मकान के हादसे में रेस्क्यू टीम घटनास्थल पर देर से क्यों पहुंची?
हादसे के बाद रेस्क्यू टीम घटनास्थल पर दो घंटे बाद पहुंची, जिससे स्थानीय लोग नाराज हो गए और इस देरी को लेकर सवाल उठाए गए हैं।
जयपुर में हुए जर्जर मकान के हादसे में किसे जिम्मेदार ठहराया गया है?
स्थानीय लोगों ने मकान मालिक को इस हादसे का जिम्मेदार बताया है, क्योंकि उसने जर्जर भवन की मरम्मत नहीं की थी।
जयपुर में जर्जर भवनों की संख्या कितनी है?
जयपुर में अगस्त में 48 जर्जर भवनों की पहचान की गई थी, जिनमें से कुछ को सील किया गया था।

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