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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के उदयपुर जिले के आदिवासी बहुल कोटड़ा क्षेत्र के बाखेल गांव में एक गंभीर समस्या सामने आई है। यहां के ग्रामीणों को श्मशान घाट की कमी के कारण अपने मृतक परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए नदी के बीच स्थित चट्टान पर जाना पड़ता है। इस बुनियादी सुविधा की कमी ने एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी को उजागर किया है।
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ग्रामीणों का दर्द
बाखेल गांव के ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से यह समस्या बनी हुई है। उन्होंने कई बार प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से श्मशान घाट बनाने की मांग की है, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिसके कारण ग्रामीणों को अत्यधिक कष्ट उठाना पड़ता है। उनकी मजबूरी का आलम यह है कि उन्हें शव को कंधे पर उठाकर नदी की चट्टान तक ले जाना पड़ता है।
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अंतिम संस्कार में आने वाली परेशानियां
ग्रामीणों ने बताया कि अंतिम संस्कार के समय उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नदी के पार जाना और शव को सुरक्षित ढंग से चट्टान तक पहुंचाना एक कठिन कार्य है। बरसात के मौसम में यह और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जब नदी का जल स्तर बढ़ जाता है और बहाव तेज हो जाता है। ऐसी स्थिति में भी ग्रामीण मजबूरी में शव लेकर नदी के बीच चट्टान तक जाते हैं।
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धार्मिक-सामाजिक जीवन पर असर
श्मशान घाट के अभाव ने गांव के सामाजिक और धार्मिक जीवन को गहरा प्रभावित किया है। ग्रामीणों का कहना है कि उनका धार्मिक जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है, क्योंकि वे मृतकों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं। गांव के बुजुर्गों और परिवारजन बार-बार प्रशासन से अनुरोध कर चुके हैं कि बाखेल में एक उचित श्मशान घाट का निर्माण कराया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी परिवार को ऐसी कठिनाई का सामना न करना पड़े।
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प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग
स्थानीय ग्रामीणों ने एक बार फिर प्रशासन से शीघ्र कार्यवाही करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि श्मशान घाट का निर्माण जल्द किया जाता है, तो उन्हें भविष्य में ऐसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस समस्या का समाधान होने से उनका जीवन आसान होगा और वे मृतकों का पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर सकेंगे।
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